Monday, June 9, 2025
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धरती आबा’ को झामुमो कार्यकर्ताओं का श्रद्धासुमन: बिरसा चौक पर किया गया मल्यार्पण, जनजातीय अस्मिता के प्रतीक को किया गया नमन

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भगवान बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि पर झामुमो कार्यकर्ताओं ने दी श्रद्धांजलि

पाकुड़ बाजार स्थित बिरसा चौक पर भगवान बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि के अवसर पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने उनके स्मारक पर मल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम का नेतृत्व केंद्रीय समिति सदस्य सह सांसद प्रतिनिधि श्याम यादव ने किया। इस दौरान वहां मौजूद सभी कार्यकर्ताओं ने धरती आबा को शत्-शत् नमन करते हुए उनके बलिदान और योगदान को स्मरण किया।


धरती के सच्चे सपूत को दी गई सच्ची श्रद्धांजलि

बिरसा मुंडा न केवल एक स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि वे जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए लड़ने वाले जनजातीय समाज के अग्रदूत थे। उनके अद्वितीय नेतृत्व और बलिदान ने उन्हें पूरे देश में धरती आबा के रूप में प्रतिष्ठित किया। झामुमो कार्यकर्ताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि बिरसा मुंडा का जीवन दर्शन आज भी समाज को न्याय, समानता और स्वाभिमान के लिए प्रेरित करता है।


बिरसा चौक बना श्रद्धा का केंद्र

इस कार्यक्रम के लिए पाकुड़ का ऐतिहासिक बिरसा चौक पूरी तरह से श्रद्धांजलि स्थल में परिवर्तित हो गया था। जहां भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा को फूलों से सजाया गया था और कार्यकर्ताओं ने सामूहिक रूप से पुष्पांजलि अर्पित की। पूरे माहौल में देशभक्ति और आदिवासी गौरव की भावना स्पष्ट रूप से दिखाई दी।


झामुमो के सक्रिय कार्यकर्ता रहे उपस्थित

इस आयोजन में कई झामुमो कार्यकर्ता उपस्थित रहे जिन्होंने संगठन की एकजुटता और आदिवासी पहचान को लेकर प्रतिबद्धता दिखाई। उपस्थित लोगों में प्रमुख रूप से मिथलेश घोष, पीटर मरांडी, मुकेश सिंह, नूर आलम, पिंटू गुप्ता, पतरास मरांडी, धीरू घोष, अली शेख, मो. मुबारक, काबिल शेख, बक्कर शेख, शमीम अंसारी, और अलमगीर आलम के नाम शामिल हैं। इन सभी ने भगवान बिरसा मुंडा के योगदान को स्मरण करते हुए समाज के प्रति सजग और समर्पित रहने का संकल्प लिया।


बिरसा मुंडा की प्रेरणा से संगठन को मिली नई ऊर्जा

झामुमो कार्यकर्ताओं ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा केवल एक ऐतिहासिक व्यक्तित्व नहीं, बल्कि एक आदर्श और आंदोलन के प्रतीक हैं। उनके सिद्धांत आज भी जन-जन को प्रेरणा देते हैं और यही प्रेरणा संगठन को आगे बढ़ने की नई ऊर्जा देती है। उनके दिखाए रास्ते पर चलकर ही झारखंड और पूरे देश में सामाजिक न्याय और समता की स्थापना संभव है।


निष्कर्ष: आदिवासी अस्मिता का अमर प्रतीक हैं बिरसा मुंडा

भगवान बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि केवल एक स्मृति दिवस नहीं, बल्कि यह दिन संकल्प और चेतना का प्रतीक बन गया है। झामुमो कार्यकर्ताओं ने इस अवसर पर न केवल श्रद्धांजलि दी, बल्कि उनके आदर्शों को जीवन में उतारने का भी संकल्प लिया। ऐसे आयोजनों के माध्यम से समाज में आदिवासी अस्मिता, संवैधानिक अधिकारों, और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा को मजबूती मिलती है।


धरती आबा को कोटि-कोटि नमन
उनकी राह पर चलना ही सच्ची श्रद्धांजलि है

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