Thursday, August 7, 2025
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पाकुड़ व्यवहार न्यायालय में बीएनएसएस, पोक्सो और एनडीपीएस अधिनियमों पर जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन

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पाकुड़: झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (झालसा), रांची के निर्देशानुसार पाकुड़ व्यवहार न्यायालय के कॉन्फ्रेंस हॉल में शनिवार को एक दिवसीय जिला स्तरीय बहु हितधारक परामर्श कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का आयोजन जिला विधिक सेवा प्राधिकार, पाकुड़ के तत्वावधान में किया गया, जिसकी अध्यक्षता प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष शेष नाथ सिंह ने की।


दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई, जिसमें प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश शेष नाथ सिंह, कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश सुधांशु कुमार शशि, पुलिस अधीक्षक निधि द्विवेदी, अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम क्रांति प्रसाद, लीगल एड डिफेंस काउंसिल सिस्टम के चीफ सुबोध कुमार दफादर तथा बार एसोसिएशन के सचिव दीपक कुमार ओझा ने भाग लिया।


बीएनएसएस अधिनियम: कानूनी सुधारों की नई दिशा

कार्यक्रम में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023 पर विस्तार से चर्चा हुई। कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश सुधांशु कुमार शशि ने बताया कि यह अधिनियम दंड प्रक्रिया संहिता 1973 (CrPC) की जगह लेकर आधुनिक न्याय व्यवस्था की आवश्यकता को पूरा करने के लिए लाया गया है। इसके अंतर्गत:

  • फोरेंसिक और डिजिटल तकनीकों का एकीकरण
  • न्यायिक प्रक्रिया में समयसीमा तय करना
  • विचाराधीन कैदियों के अधिकारों का संरक्षण
  • मानवाधिकारों के अनुरूप जमानत प्रावधानों का संशोधन

जागरूकता के माध्यम से जनता को इस नई संहिता के लाभ और चुनौतियों से अवगत कराया गया।


पॉक्सो अधिनियम: बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि

पुलिस अधीक्षक निधि द्विवेदी ने कहा कि पॉक्सो अधिनियम विशेष रूप से 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों की यौन शोषण से सुरक्षा हेतु लागू है। उन्होंने कहा कि:

  • अपराध की तत्काल शिकायत दर्ज कराई जाए
  • 24 घंटे के भीतर मेडिकल जांच अनिवार्य है
  • बिना वारंट गिरफ्तारी की भी अनुमति है यदि पर्याप्त साक्ष्य हों

पीड़ित की आयु निर्धारण के लिए जन्म प्रमाण पत्र, स्कूली रिकॉर्ड या चिकित्सा परीक्षण पर भरोसा किया जाएगा ताकि अपराधी को सख्त सजा दिलाई जा सके।


पोक्सो अधिनियम की व्यावहारिक चुनौतियों पर चर्चा

डॉ. मनीष कुमार ने पॉक्सो अधिनियम के अंतर्गत चिकित्सकीय जांच, साक्ष्य एकत्रीकरण और पीड़ित की मानसिक व सामाजिक सुरक्षा जैसे पहलुओं पर गहन जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि कानूनी प्रक्रिया के दौरान संवेदनशीलता और गोपनीयता बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।


एनडीपीएस अधिनियम पर विस्तृत चर्चा

अपर सत्र न्यायाधीश क्रांति प्रसाद ने एनडीपीएस अधिनियम (NDPS Act) के तहत नशीले पदार्थों की तस्करी, तलाशी, जब्ती और मुकदमा दर्ज करने की प्रक्रिया पर विस्तृत व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि अनुसंधानकर्ताओं को जांच के दौरान हर पहलू को विधिक रूप से सुनिश्चित करना चाहिए ताकि दोषियों को सजा मिल सके और कानून का भय बना रहे।


तकनीकी प्रगति के साथ न्यायिक पारदर्शिता

कार्यशाला में यह भी बताया गया कि बीएनएसएस अधिनियम के तहत डिजिटल साक्ष्य, ई-मेल और इलेक्ट्रॉनिक संवादों को भी न्याय प्रक्रिया में शामिल किया गया है। इससे न्यायिक निर्णयों में पारदर्शिता और सटीकता आएगी। साथ ही सुनवाई में देरी को कम करने के लिए विशेष प्रयासों पर बल दिया गया।


राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन

कार्यक्रम का मंच संचालन सचिव रूपा बंदना किरो ने किया और अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी विशाल मांझी द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया। अंत में राष्ट्रगान गाया गया।


बड़ी संख्या में अधिकारियों और अधिवक्ताओं की उपस्थिति

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इस कार्यशाला में न्यायिक पदाधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी, अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी सदिश उज्जवल बेक, लीगल एड डिफेंस काउंसिल सिस्टम के प्रमुख सदस्य, अधिवक्ता व अन्य कानूनी हितधारक बड़ी संख्या में मौजूद रहे।

इस आयोजन ने न्यायिक प्रणाली में पारदर्शिता और प्रभावशीलता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जो आने वाले समय में जनता के अधिकारों के संरक्षण और विधिक जागरूकता में अहम भूमिका निभाएगा।

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