पाकुड़। पाकुड़ क्षेत्र में दुर्गा पूजा की भव्य शुरुआत आज संध्या षष्ठी पूजा के साथ होगी। माता रानी के विभिन्न पंडालों को श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिया जाएगा, और भक्तों का सैलाब पंडालों में उमड़ेगा। इस अवसर पर भक्त माता दुर्गा की भव्य प्रतिमा की पूजा अर्चना करेंगे। शहर के सभी प्रमुख पंडालों में सजावट पूरी हो चुकी है और पूजा समितियों ने भक्तों के स्वागत के लिए तैयारियां पूरी कर ली हैं।
रेलवे स्टेशन परिसर में विशेष आयोजन
पाकुड़ रेलवे स्टेशन परिसर स्थित श्री श्री सार्वजनिक दुर्गा पूजा सेवा समिति ने दुर्गा पूजा के कार्यक्रम की जानकारी साझा की है। समिति ने बताया कि 9 अक्टूबर, बुधवार को महाशष्ठी के अवसर पर संध्या 7:00 बजे से माता रानी की प्रतिमा का विशेष पूजा अर्चना आयोजित किया जाएगा। इस अवसर पर श्रद्धालुओं के साथ-साथ शहर के कई प्रमुख लोग भी उपस्थित रहेंगे।
समिति ने बताया कि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में पाकुड़ के उपायुक्त मनीष कुमार, समाजसेवी लुतफुल हक, पुलिस अधीक्षक प्रभात कुमार, और एवीपी-डीबीएल के बृजेश कुमार इस धार्मिक अनुष्ठान में शिरकत करेंगे। पूजा स्थल को विशेष रूप से सजाया गया है, और सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं ताकि श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के पूजा में भाग ले सकें।
महासप्तमी पूजा का आयोजन
10 अक्टूबर, गुरुवार को प्रातः 6:00 बजे से 7:25 के बीच महासप्तमी पूजा की जाएगी। सप्तमी के इस पवित्र अवसर पर भक्तों की भारी भीड़ जुटने की संभावना है। सप्तमी पूजा का खास महत्व होता है, और यह मां दुर्गा की उपासना का दूसरा प्रमुख दिन होता है। इस दिन माता की विशेष आराधना की जाती है और भक्तगण माता रानी से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
महाअष्टमी और संधि पूजा का विशेष महत्व
11 अक्टूबर, शुक्रवार को प्रातः 5:11 बजे से 6:24 बजे तक महाअष्टमी की पूजा होगी। महाअष्टमी का दिन दुर्गा पूजा का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है, और इस दिन विशेष रूप से माता के महिषासुरमर्दिनी रूप की पूजा की जाती है। पूजा समिति ने बताया कि अष्टमी की पुष्पांजलि प्रातः 7:12 बजे होगी।
इसके साथ ही, अष्टमी के दिन संधि पूजा का आयोजन प्रातः 6:24 से 7:24 बजे तक होगा। संधि पूजा दुर्गा पूजा का वह महत्वपूर्ण समय होता है जब महाअष्टमी और महानवमी की संधि पर माता की आराधना की जाती है। यह समय विशेष रूप से शक्तिशाली माना जाता है और भक्त इस अवसर पर माता से विशेष आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
महानवमी और कन्या पूजन
शुक्रवार 11 अक्टूबर को ही महानवमी की पूजा प्रातः 8:25 से प्रारंभ होगी। इसके पश्चात दिन के 11:00 बजे पुष्पांजलि का आयोजन किया जाएगा। महानवमी के इस पवित्र अवसर पर कन्या पूजन का भी आयोजन किया जाएगा। यह पूजा नव कन्याओं को देवी के रूप में पूजने की प्राचीन परंपरा है, जिसमें श्रद्धालु कन्याओं के चरण धोकर उन्हें भोजन कराते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह आयोजन भक्तों के बीच अत्यधिक श्रद्धा और भक्ति का माहौल उत्पन्न करता है।
विजया दशमी का समापन और कलश विसर्जन
12 अक्टूबर, शनिवार को प्रातः 8:00 बजे मां दुर्गा की अंतिम पूजा अर्चना की जाएगी। इसके बाद शस्त्र पूजन का आयोजन होगा, जिसमें माता के अस्त्र-शस्त्रों की पूजा की जाएगी। इस पूजा का विशेष महत्व है, क्योंकि यह शक्ति और साहस का प्रतीक है।
समिति ने बताया कि 10:30 बजे कलश विसर्जन की प्रक्रिया आरंभ होगी। इस दिन श्रद्धालु माता रानी को विदा करेंगे और उनके अगले वर्ष फिर से लौटने की कामना करेंगे। कलश विसर्जन के समय श्रद्धालुओं की भावनाएं चरम पर होंगी, क्योंकि यह क्षण माता के विदाई का होता है।
समाज और प्रशासन का सहयोग
पूजा के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के लिए जिला प्रशासन और पुलिस विभाग की ओर से विशेष इंतजाम किए गए हैं। पुलिस अधीक्षक प्रभात कुमार ने बताया कि पूरे पूजा स्थल पर सीसीटीवी कैमरों और सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है। इसके अलावा, रेलवे स्टेशन परिसर में भीड़ नियंत्रण और ट्रैफिक व्यवस्था के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
पूजा समितियों ने शहरवासियों से अपील की है कि वे पूजा के दौरान शांति और सद्भाव बनाए रखें और मां दुर्गा के आशीर्वाद से अपने जीवन को सफल और खुशहाल बनाएं।
इस तरह, पाकुड़ में दुर्गा पूजा का यह भव्य आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह समाज को एकजुट करने वाला भी है।