एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) ने बुधवार को कहा कि सरकार अकेले यह तय नहीं कर सकती है कि सोशल मीडिया पर चलने वाली कौन खबर गलत है और कौन सही। इसलिए सरकार आईटी नियमों में मसौदा संशोधन को हटाकर डिजिटल मीडिया के नियामक ढांच के लिए परामर्श की नई पहल शुरू करे।
एडिटर्स गिल्ड ने कहा है कि नियामक ढांचे पर प्रेस निकायों, मीडिया संगठनों और अन्य हितधारकों के साथ सार्थक परामर्श हो ताकि प्रेस की स्वतंत्रता को कमजोर न किया जा सके। मसौदा संशोधन में यह प्रावधान है कि प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) की तरफ से जिस खबर को फर्जी माना जाएगा सोशल मीडिया कंपनियों को उसे हटना पड़ेगा।
गिल्ड ने कहा कि अगर फर्जी खबरों का निर्धारण करने का अधिकार सिर्फ सरकार के हाथों में ही होगा तो इससे सेंसरशिप की स्थिति पैदा हो जाएगी। गलत खबरों से निपटने के लिए पहले से ही कई कानून हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने मंगलवार को सूचना प्रौद्योगिकी नियमों का संशोधित मसौदा जारी किया था।