पाकुड़: जिले में शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने और मध्याह्न भोजन (मिड-डे मील) की गुणवत्ता सुनिश्चित करने को लेकर प्रशासनिक स्तर पर सक्रियता बढ़ गई है। इसी क्रम में गुरुवार को समाहरणालय स्थित सभागार में उपायुक्त मनीष कुमार की अध्यक्षता में जिला स्तरीय स्टीयरिंग सह मॉनिटरिंग समिति की समीक्षा बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में विद्यालयों में मिड-डे मील की स्थिति, खाद्यान्न आपूर्ति, छात्रों की उपस्थिति, ड्रॉपआउट बच्चों की पुनः नामांकन प्रक्रिया समेत कई अहम बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा की गई।
विद्यालयों में मध्याह्न भोजन की नियमित निगरानी के निर्देश
बैठक में उपायुक्त ने विद्यालयों में मध्याह्न भोजन (मिड-डे मील) वितरण व्यवस्था की समीक्षा करते हुए निर्देश दिया कि प्रत्येक विद्यालय में भोजन की गुणवत्ता और उपलब्धता पर विशेष ध्यान दिया जाए।
उन्होंने अधिकारियों से कहा कि मिड-डे मील की निगरानी नियमित रूप से की जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि छात्रों को पोषणयुक्त भोजन मिले। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि प्रोटीनयुक्त भोजन की मात्रा पर्याप्त हो ताकि बच्चों के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़े।
रसोइयों का आयुष्मान कार्ड से अच्छादन अनिवार्य
बैठक में विद्यालयों में कार्यरत रसोइयों के लिए आयुष्मान कार्ड अनिवार्य करने पर चर्चा हुई। उपायुक्त ने निर्देश दिया कि 114 रसोइयों की मैपिंग जल्द से जल्द पूरी की जाए और सभी रसोइयों का आयुष्मान भारत योजना के तहत पंजीकरण सुनिश्चित किया जाए।
उन्होंने संबंधित अधिकारियों को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि रसोइयों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना बेहद जरूरी है क्योंकि वे प्रतिदिन हजारों बच्चों के लिए भोजन तैयार करते हैं। यदि वे स्वस्थ रहेंगे, तो भोजन की गुणवत्ता भी बेहतर होगी।
विद्यालयों में खाद्यान्न आपूर्ति में किसी भी प्रकार की देरी न हो
बैठक में विद्यालयों में खाद्यान्न आपूर्ति की स्थिति की समीक्षा की गई। उपायुक्त ने कहा कि खाद्यान्न की आपूर्ति हर महीने समय पर होनी चाहिए ताकि छात्रों को भोजन मिलने में किसी प्रकार की बाधा न आए।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि यदि किसी विद्यालय में खाद्यान्न की कमी होती है, तो इसकी जानकारी तुरंत दी जाए और वैकल्पिक व्यवस्था की जाए।
छात्रों की उपस्थिति 80 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य
बैठक के दौरान उपायुक्त ने विद्यालयों में छात्रों की उपस्थिति पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि नामांकन की तुलना में कक्षाओं में उपस्थिति कम पाई जा रही है, जो चिंता का विषय है।
उन्होंने सभी संबंधित पदाधिकारियों को एक सप्ताह के भीतर छात्रों की उपस्थिति को 80 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को अभिभावकों से संवाद स्थापित कर बच्चों को नियमित विद्यालय भेजने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
ड्रॉपआउट बच्चों को फिर से विद्यालय से जोड़ने की योजना
बैठक में ड्रॉपआउट बच्चों को पुनः विद्यालय से जोड़ने के लिए किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा की गई। उपायुक्त ने निर्देश दिया कि ऐसे बच्चों की पहचान कर उन्हें फिर से शिक्षा प्रणाली में जोड़ा जाए।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि गांवों में जागरूकता अभियान चलाकर अभिभावकों को समझाया जाए कि बच्चों की शिक्षा उनके उज्जवल भविष्य के लिए बेहद आवश्यक है।
एसएमएस रिपोर्टिंग और विद्यालय प्रबंधन पर विशेष ध्यान
बैठक में एसएमएस (स्कूल मॉनिटरिंग सिस्टम) रिपोर्टिंग को शत-प्रतिशत पूरा करने पर भी जोर दिया गया। उपायुक्त ने निर्देश दिया कि बीईईओ (ब्लॉक शिक्षा विस्तार अधिकारी), बीआरपी (ब्लॉक रिसोर्स पर्सन), सीआरपी (क्लस्टर रिसोर्स पर्सन) और बीपीओ (ब्लॉक प्रोग्राम ऑफिसर) इसे सुनिश्चित करें।
उन्होंने कहा कि विद्यालय प्रबंधन और अनुशासन को मजबूत करने के लिए प्रशासन हरसंभव सहयोग करेगा और इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
प्रमुख अधिकारियों की उपस्थिति
बैठक में जिला आपूर्ति पदाधिकारी अभिषेक कुमार सिंह, जिला शिक्षा पदाधिकारी अनीता पुरती, जिला शिक्षा अधीक्षक नयन कुमार, बीआरपी, सीआरपी समेत अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
उपायुक्त ने बैठक के अंत में कहा कि शिक्षा और पोषण से जुड़ी सभी योजनाओं को पूरी प्रतिबद्धता के साथ लागू किया जाए और सभी अधिकारी अपने स्तर से जिम्मेदारी का निर्वहन करें ताकि जिले के बच्चों को बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें।
यह बैठक जिले में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने और छात्रों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हुई।