Friday, February 21, 2025
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फाइलेरिया उन्मूलन अभियान की सफलता के लिए धर्मगुरुओं के साथ बैठक, जन-जागरूकता पर दिया गया जोर

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पाकुड़: जिले में फाइलेरिया उन्मूलन अभियान को सफल बनाने के उद्देश्य से लिट्टीपाड़ा प्रखंड कार्यालय के सभागार में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक की अध्यक्षता अनुमंडल पदाधिकारी साईमन मरांडी ने की, जिसमें विभिन्न धर्मों के पंडित, पुजारी, गुरु बाबा, मौलवी, इमाम, चर्च मिशन के सिस्टर और समाजसेवी उपस्थित थे

बैठक में उपस्थित सभी धर्मगुरुओं और समाजसेवियों को फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के महत्व और इसके प्रभाव को समझाया गया। साथ ही, लोगों को इस अभियान में अधिक से अधिक संख्या में भाग लेने और दवा सेवन को लेकर जागरूक करने की अपील की गई


फाइलेरिया उन्मूलन अभियान को लेकर जागरूकता जरूरी

अनुमंडल पदाधिकारी ने बताया कि 10 से 25 फरवरी तक पूरे प्रखंड में फाइलेरिया उन्मूलन अभियान चलाया जा रहा है। इस दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर जाकर लोगों को दवा खिलाएगी

उन्होंने कहा कि एएनएम, स्वास्थ्य सहिया, एमपीडब्ल्यू, सीएचओ और आंगनबाड़ी सेविका के माध्यम से लोगों को दवा दी जाएगी ताकि इस बीमारी को जड़ से खत्म किया जा सके। लिट्टीपाड़ा प्रखंड को पूरी तरह से फाइलेरिया मुक्त बनाने का संकल्प लिया गया है और इसे सफल बनाने में समाज के हर वर्ग का सहयोग जरूरी है।


धार्मिक स्थलों से होगा जन-जागरूकता का प्रसार

बैठक में यह निर्णय लिया गया कि मंदिरों, मस्जिदों और चर्च में इस अभियान के प्रति जागरूकता फैलाई जाएगी

  • मंदिरों में पूजा-अर्चना के दौरान श्रद्धालुओं को फाइलेरिया से बचाव की जानकारी दी जाएगी।
  • मस्जिदों में नमाज के बाद लोगों को इस बीमारी के खतरे और दवा सेवन के महत्व के बारे में बताया जाएगा।
  • चर्च में प्रार्थना सभाओं के दौरान मिशनरी सिस्टर और पादरियों द्वारा लोगों को जागरूक किया जाएगा।

अनुमंडल पदाधिकारी ने कहा कि धर्मगुरु समाज में बड़ी भूमिका निभाते हैं और उनकी बातों का प्रभाव लोगों पर गहरा पड़ता है। इसलिए उनका सहयोग इस अभियान को सफल बनाने में अत्यधिक महत्वपूर्ण है।


फाइलेरिया के लक्षण और बचाव पर दी गई जानकारी

इस बैठक में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. मुकेश बेसरा ने फाइलेरिया रोग के बारे में विस्तृत जानकारी दी।

  • उन्होंने बताया कि फाइलेरिया को आमतौर पर ‘हाथी पांव’ के नाम से जाना जाता है। यह मच्छर के काटने से फैलता है और दूसरी सबसे बड़ी बीमारी है जो विकलांगता और शारीरिक विकृति का कारण बनती है
  • यह बीमारी केवल पैरों तक सीमित नहीं होती, बल्कि हाथ, स्तन और अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकती है
  • उन्होंने बताया कि दवा सेवन के दौरान कुछ लोगों को हल्के प्रतिकूल प्रभाव जैसे सिरदर्द, उल्टी, चक्कर, बुखार और दस्त हो सकते हैं। लेकिन यह घबराने की बात नहीं है, बल्कि यह इस बात का संकेत है कि दवा शरीर के अंदर मौजूद फाइलेरिया के कीड़ों को खत्म कर रही है
  • इस दवा को खाली पेट नहीं लेना चाहिए और गर्भवती महिलाओं, गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों और दो साल से छोटे बच्चों को यह दवा नहीं दी जानी चाहिए

सभी धर्मगुरु और समाजसेवी अभियान में देंगे सहयोग

बैठक में मौजूद धर्मगुरुओं और समाजसेवियों ने इस अभियान को सफल बनाने में पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि धार्मिक स्थलों से जागरूकता फैलाने के साथ-साथ वे व्यक्तिगत रूप से भी ग्रामीणों को दवा सेवन के लिए प्रेरित करेंगे

बैठक में प्रमुख रूप से प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी रफीक आलम, अमिताभ झा, प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी मानिक चंद्र दास, प्रखंड कल्याण पदाधिकारी के.सी. दास, महिला पर्यवेक्षिका सोनाली, सठिया मिशन की सिस्टर किरण तिर्की, मार्शला एक्का, इमाम और मौलाना ताहिर आलम, शराफत अंसारी, मो. मोइनुद्दीन अंसारी, समाजसेवी निज़ाम अंसारी, रशीद अंसारी, मालिक अस्तर, नाजिर हुसैन, गुरु बाबा, पुजारी जमीन हेम्ब्रम सहित बड़ी संख्या में धर्मगुरु और समाजसेवी उपस्थित थे


फाइलेरिया उन्मूलन के लिए जागरूकता जरूरी

अनुमंडल पदाधिकारी ने अंत में सभी धर्मगुरुओं और समाजसेवियों से अपील की कि वे इस अभियान को सफल बनाने के लिए लोगों को दवा सेवन के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि अगर सभी लोग नियमित रूप से दवा लेंगे तो जल्द ही पूरा क्षेत्र फाइलेरिया मुक्त हो सकता है

इस बैठक के माध्यम से प्रशासन ने स्पष्ट संदेश दिया कि फाइलेरिया को जड़ से खत्म करने के लिए समाज के हर वर्ग का सहयोग जरूरी है और धर्मगुरुओं की इसमें अहम भूमिका होगी।

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