पाकुड़। विधानसभा चुनाव 2024 अब अंतिम चरण में प्रवेश कर चुका है, और मतदान के लिए सिर्फ 8 दिन शेष हैं। इस बार पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र में कुल 390206 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे, जिसमें 190613 महिला, 199592 पुरुष और 01 तृतीय लिंग मतदाता शामिल हैं। इस महत्वपूर्ण चुनाव में वोटिंग का दिन 20 नवंबर निर्धारित किया गया है, जबकि 23 नवंबर को दोपहर 2 बजे के बाद परिणाम की तस्वीर साफ हो जाएगी।
तीन मुख्य दावेदार, एक नई चुनौती
इस बार चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय प्रतीत हो रहा है, लेकिन एक चौथा उम्मीदवार धीरे-धीरे चुनावी मैदान में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है। मुख्य टक्कर कांग्रेस गठबंधन के निशात आलम (हाथ छाप), एनडीए गठबंधन से आजसू के अजहर इस्लाम (केला छाप) और समाजवादी पार्टी के अकील अख्तर (साइकिल छाप) के बीच मानी जा रही थी। लेकिन अब निर्दलीय प्रत्याशी मुकेश शुक्ला (फूलगोभी छाप) ने भी मैदान में उतरकर समीकरणों को बदलने की कोशिश की है।
पाकुड़ की चुनावी इतिहास पर एक नज़र
पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास विविध रहा है। यहां अब तक 16 बार चुनाव हो चुके हैं, जिनमें से 10 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है। वर्ष 2009 में, जब कांग्रेस के आलमगीर आलम और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) से नए चेहरों को टिकट दिया गया था, अकील अख्तर ने बड़ी जीत दर्ज की थी। इस बार अकील अख्तर समाजवादी पार्टी से चुनावी मैदान में हैं, और उनकी लोकप्रियता तथा अनुभव से जनता में उन्हें समर्थन मिलने की संभावना है।
चुनावी समीकरण: नए चेहरों का मुकाबला
इस बार कांग्रेस गठबंधन ने पूर्व मंत्री आलमगीर आलम की धर्मपत्नी निशात आलम को चुनाव में उतारा है, जो हाथ छाप चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ रही हैं। दूसरी ओर, गठबंधन के अंतर्गत एनडीए ने अजहर इस्लाम को उम्मीदवार बनाया है, जो केला छाप चुनाव चिन्ह के साथ मैदान में हैं। दोनों ही उम्मीदवार नए चेहरे हैं और इस वजह से जनता की प्राथमिकताओं पर आधारित उनके भविष्य का फैसला मतदान के बाद ही तय होगा।
चौथे उम्मीदवार ने बढ़ाई टक्कर
हालांकि मुख्य मुकाबला तीन प्रमुख उम्मीदवारों के बीच था, लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी मुकेश शुक्ला (फूलगोभी छाप) की एंट्री ने चुनावी समर को और अधिक चुनौतीपूर्ण बना दिया है। मुकेश शुक्ला की बढ़ती लोकप्रियता से यह साफ है कि वे भी इस चुनाव में अपना प्रभाव छोड़ सकते हैं।
भाजपा और अन्य पार्टियों का पिछला प्रदर्शन
पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र में पहले भी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने दो बार जीत दर्ज की है, जबकि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआईएम) और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने भी एक-एक बार इस क्षेत्र में विजय प्राप्त की थी। यह दर्शाता है कि पाकुड़ में हर पार्टी के लिए संभावनाएं बनी रहती हैं, और यहां किसी भी उम्मीदवार को कम आंकने की भूल नहीं की जा सकती।
जीत की रणनीति: उपलब्धियों और जनसमर्थन की गिनती
तीनों प्रमुख उम्मीदवार अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए दिन-रात क्षेत्र में प्रचार अभियान में जुटे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी निशात आलम जहां आलमगीर आलम के कार्यों और हेमंत सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने में व्यस्त हैं, वहीं अजहर इस्लाम और अकील अख्तर भी अपनी-अपनी पार्टियों की उपलब्धियों को जन-जन तक पहुंचाने में लगे हुए हैं। वहीं मुकेश शुक्ला भी जनसंपर्क अभियान चला रहे हैं।
जनता के मन में सवाल: कौन बनेगा विजेता?
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता का समर्थन किसके पक्ष में जाता है। जनता का फैसला ही चुनाव का विजेता तय करेगा। सभी उम्मीदवार अपनी-अपनी रणनीतियों के माध्यम से जनता का समर्थन पाने की कोशिश कर रहे हैं। चुनावी मैदान में जोश और उत्साह देखने लायक है, और इस बार का परिणाम आने तक हर पार्टी की नज़रें इस क्षेत्र पर टिकी रहेंगी।