जातीय जनगणना हर वर्ग के प्रतिनिधित्व का आधार: उदय लखमानी
पाकुड़: कांग्रेस प्रदेश महासचिव उदय लखमानी ने एक महत्वपूर्ण बयान देते हुए कहा कि जातीय जनगणना केवल एक आंकड़ा संग्रह की प्रक्रिया नहीं, बल्कि यह हर वर्ग को सही प्रतिनिधित्व देने की दिशा में एक मजबूत कदम है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जनगणना हर 10 वर्षों में कराना भारत सरकार का संवैधानिक दायित्व है, लेकिन भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार लगातार इस प्रक्रिया से बचती रही। इससे यह संदेश गया कि वह आदिवासी, दलित, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों को उनका हक देने से पीछे हट रही थी।
राहुल गांधी की लड़ाई रंग लाई, सरकार हुई बाध्य
लखमानी ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मुद्दे को सिर्फ राजनीतिक सवाल नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और संवैधानिक अधिकारों से जुड़ा प्रश्न बनाकर सड़क से लेकर सदन तक आवाज़ उठाई। उन्होंने बताया कि जब केंद्र सरकार बार-बार जातीय जनगणना से मुंह मोड़ रही थी, तब राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर लगातार संघर्ष किया और सरकार को जनगणना की अधिसूचना जारी करने के लिए मजबूर कर दिया।
यह जीत है संविधान और लोकतंत्र की
कांग्रेस महासचिव ने जोर देते हुए कहा कि यह केवल एक राजनीतिक जीत नहीं, बल्कि यह हमारे संविधान और लोकतंत्र की जीत है। यह वही संविधान है जिसने हमें तानाशाही प्रवृत्तियों से लड़ने की ताकत दी है और सामाजिक न्याय के पथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा भी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी इस जिम्मेदारी को पूर्ण निष्ठा और प्रतिबद्धता के साथ निभा रहे हैं।
भाजपा-आरएसएस द्वारा सामाजिक न्याय पर हमला, कांग्रेस हर बार खड़ी रही
लखमानी ने कहा कि जब-जब भाजपा और आरएसएस ने इस देश के संवैधानिक मूल्यों पर हमला किया है, तब-तब कांग्रेस पार्टी ही वह पहली शक्ति रही है जो जनता के अधिकारों और सामाजिक संरचना की रक्षा के लिए पूरी मजबूती से खड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना को टालना, सामाजिक न्याय की अवधारणा पर सीधा प्रहार था, लेकिन राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने उसे नाकाम कर दिया।
कांग्रेस का संकल्प – हर नागरिक को उसका हक मिलेगा
उदय लखमानी ने दोहराया कि कांग्रेस पार्टी का यह स्पष्ट और मजबूत संकल्प है कि वह इस देश के हर नागरिक को उसका हक दिलाने के लिए संघर्षरत रहेगी। उन्होंने कहा कि हमें गर्व है कि हम उस पार्टी के सदस्य हैं जो केवल सत्ता के लिए नहीं, बल्कि जनता के अधिकारों की रक्षा और संवैधानिक मूल्यों की स्थापना के लिए काम करती है।
जातीय जनगणना से वंचितों को मिलेगा न्याय
इस ऐतिहासिक घोषणा के बाद यह साफ हो गया है कि जातीय जनगणना अब केवल मांग नहीं रही, बल्कि वंचित तबकों को न्याय दिलाने का सशक्त माध्यम बन चुकी है। इसका श्रेय उस राजनीतिक इच्छाशक्ति और नेतृत्व को जाता है जो राहुल गांधी जैसे नेताओं में विद्यमान है। यह जनगणना न केवल आंकड़ों की बात करेगी, बल्कि भारत के भविष्य को अधिक समावेशी और न्यायपूर्ण बनाने में सहायक होगी।