पाकुड़। सदर अस्पताल में इलाजरत थैलेसीमिया और कैंसर पीड़ितों के लिए एक उम्मीद की किरण साबित हुआ, जब मानवता और भाईचारे की मिसाल पेश करते हुए इंसानियत फाउंडेशन के युवाओं ने रक्तदान कर उनकी जान बचाई। अस्पताल में भर्ती रेहाना खातून, तमन्ना यास्मीन, मौसमी कुमारी, आशिक शेख जो थेलेसिमिया से पीड़ित है और बुजुर्ग महिला सौल मुर्मू, जिन्हें कैंसर से पीड़ित होने के कारण तत्काल रक्त की आवश्यकता थी, डॉक्टरों ने तुरंत रक्त चढ़ाने का निर्देश दिया।
परिवार वालों ने इस संकट की घड़ी में हर संभव प्रयास किया, लेकिन रक्त की व्यवस्था करने में नाकाम रहे। जब सारे प्रयास विफल हो गए, तो उन्होंने “इंसानियत फाउंडेशन” से मदद की गुहार लगाई। फाउंडेशन के अध्यक्ष सद्दाम हुसैन और सचिव बानिज शेख ने तुरंत सक्रिय होकर अपने रक्तदाताओं को बुलाया और पाकुड़ के रक्त अधिकोष में रक्तदान करने का आह्वान किया।
रक्तदान करने वालों में मानारुल शेख (एबी पॉजिटिव), खैरुल शेख (बी पॉजिटिव), अनिकेत भगत (ए पॉजिटिव), वसीम शेख (बी पॉजिटिव) और मार्क बास्की (बी पॉजिटिव) शामिल थे। सभी रक्तदाताओं ने बारी-बारी से रक्तदान किया, जिससे मरीजों का इलाज संभव हो पाया।
इस घटना ने शांति और भाईचारे की मिसाल पेश की है। यहां के लोग एक दूसरे के प्रति सहयोग और भाईचारा बनाए रखते हैं। यह उदाहरण इस बात का प्रतीक है कि इंसानियत और आपसी सहयोग से बड़े से बड़ा काम संभव है।
इस घटना का सबसे अहम पहलू यह रहा कि एक हिंदू लड़की के लिए एक मुस्लिम युवक ने रक्तदान किया, और दूसरी ओर एक मुस्लिम बच्चे के लिए एक हिंदू युवक ने रक्तदान कर मानवता का परिचय दिया। इस अवसर पर इंसानियत फाउंडेशन के उपाध्यक्ष नुरुज्जामान, नबाब, बानिज शेख और कर्मचारी नवीन कुमार भी मौजूद थे।
रक्त दान शिविर ने एक बार फिर से यह साबित किया कि मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है। इंसानियत फाउंडेशन के सदस्यों ने न सिर्फ रक्तदान कर मरीजों की जान बचाई, बल्कि समाज में एक सकारात्मक संदेश भी दिया कि मजहब से ऊपर उठकर इंसानियत की सेवा करना ही सच्चा धर्म है।