Sunday, January 12, 2025
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बैद्यनाथ की श्रृंगार पूजा में अर्पित होता है पुष्प नाग मुकुट

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परमजीत कुमार/देवघर. जब भी आप कैदी शब्द सुनते होंगे तो आपके मन में नकारात्मक भाव और क्राइम याद आता होगा. लेकिन यह खबर पढ़ कर आप आश्चर्य चकित रह जाएंगे. देवघर के सेंट्रल जेल के कैदियों के द्वारा बाबा बैद्यनाथ पर श्रृंगार पूजा के वक़्त चढने वाला पुष्प नाग मुकुट तैयार किया जाता है.

देवघर का बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. यहां की परंपरा व मान्यता इसे अन्य ज्योतिर्लिंगों से अलग बनी है. यहां हर रोज शाम के वक्त बाबा बैद्यनाथ की श्रृंगार पूजा की जाती है. इस दौरान फूल-बेलपत्र से बने पुष्प नाग मुकुट से बाबा का श्रृंगार किया जाता है. जिसे देवघर सेंट्रल जेल के कैदियों द्वारा तैयार किया जाता है.

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1888 से चली आ रही यह परंपरा

देवघर के तीर्थ पुरोहित प्रमोद श्रृंगारी ने लोकल 18 से बताया कियह मुकुट चढ़ाने की परम्परा प्राचीन काल से ही चलती आ रही है. पहले स्वर्ण मुकुट चढ़ाया जाता था. लेकिन ये 1888 की घटना है. तब इस मंदिर के मठाधीश श्री सैलजानंद ओझा हुआ करते थे और यहां के लेफ्टिनेंट गवर्नर थे ईस्टवार्ड वेले. ईस्टवार्ड वेले के पुत्र किसी युद्ध मे गुम हो गए थे तो वो अर्जी लगाने बैद्यनाथ धाम मंदिर पहुंचे थे.

पांच नाग का मुकुट बनाते हैं कैदी

वहीं इस मंदिर के मठाधीस श्री शैलजानंद ओझा के द्वारा सलाह दी गई कि भगवान शिव पंचानंद हैं. ये पंचाक्षरी मंत्र से प्रसन्न भी होते हैं. पांच नाग का पुष्प मुकुट अर्पित कीजिए पुत्र मिल जाएगा. इसके बाद ईस्टवार्ड वेले की आज्ञा से यहां के जेल में कैदियों के द्वारा पुष्प नाग मुकुट बनाया गया. बाबा और भोलेनाथ पर अर्पित होने लगा. बाद मे चिठ्ठी के माध्यम से पता चला ईस्टवार्ड वेले को उसका पुत्र मिल गया है. तब से यह परंपरा चलती आ रही है.

जेल के अंदर विशेष कक्ष में मुकुट होता है तैयार

जेल अधीक्षक से मिली जानकारी के अनुसार यह मुकुट तैयार करने में कैदियों की बहुत दिलचस्पी रहती है. हर दिन कैदियों का एक समूह यह मुकुट तैयार करता है. कैदी यह मुकुट विशेष कक्ष में तैयार करते हैं. जिसे बाबा कक्ष भी कहते हैं. कैदियों को मुकुट तैयार करने के लिए बाहर से फूल और बेलपत्र उपलब्ध करा दिया जाता है. सबसे बड़ी बात जो कैदी का समूह मुकुट तैयार करते हैं उस दिन वह समूह उपवास में रहते हैं .

कब निकलता है जेल से मुकुट

कैदियों के द्वारा बनाया गए इस नाग पुष्प मुकुट की 1888 से ही परंपरा चलती आ रही है. हर रोज नए पुष्प और बेलपत्र से पुष्प नाग मुकुट को तैयार किया जाता है और तैयार होने के बाद हर शाम को जेल कर्मी के द्वारा इस मुकुट को कंधे पर उठाकर बोल बम और हर-हर महादेव के जयघोष के साथ जेल से बाहर निकलते है और बाबा मंदिर पहुंचाते हैं. इस दौरान इसे दर्शन के लिए लोगों की भीड़ जमी रहती है.

Tags: Deoghar news, Jharkhand news, Local18, Religion 18

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