पाकुड़। सोमवार की शाम को पुलिस सुरक्षा व्यवस्था के बीच श्री श्री सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति और सरस्वती पुस्तकालय द्वारा मां दुर्गा की विदाई का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर बड़ी मां दुर्गा को हर्षोल्लास और बैंड बाजा के साथ विदाई दी गई। श्रद्धालुओं ने गगनभेदी ताल के साथ नाचते-गाते हुए मां की नम आंखों से विदाई दी। यह कार्यक्रम स्थानीय लोगों के लिए एक भावुक क्षण बन गया, जिसमें उन्होंने मां दुर्गा के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट की।
सामुदायिक भागीदारी और उत्साह
इस विदाई समारोह में शहरी क्षेत्र के विभिन्न मोहल्लों जैसे मुडकी, मतल्ला, ग्वालपाड़ा और छोटी अलीगंज से आए श्रद्धालुओं ने मां दुर्गा की प्रतिमा को बाजे-गाजे के साथ विदाई दी। इस दौरान भगत पाड़ा और आसपास के मोहल्लों की महिलाओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। उन्होंने एक-दूसरे को सिंदूर लगाते हुए सदा सुहागन रहने की कामना की। वहीं, पुरुष वर्ग ने गुलाल लगाकर माता रानी की जयकारा लगाते हुए इस कार्यक्रम को जीवंत बनाया। इस उत्सव में आतिशबाजी और पटाखों का भी जोरदार प्रदर्शन किया गया, जिसने वातावरण को और भी रंगीन बना दिया।
आदिवासी संस्कृति की झलक
प्रतिमा विसर्जन के दौरान, श्रद्धालुओं ने परंपरागत वेशभूषा में सजकर आदिवासी संस्कृति के माध्यम से मां दुर्गा की वंदना की। यह दृश्य देखने लायक था, जिसमें स्थानीय लोग अपनी संस्कृति को जीवित रखते हुए मां की श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे थे। मां दुर्गा की प्रतिमा तलवा डंगा, भगत पाड़ा, हाट पाड़ा और राजापाड़ा होते हुए काली भाषण पोखर पहुंची। यहां पूजा समिति की ओर से प्रतिमा का व्यवस्थित विसर्जन किया गया।
सुरक्षा व्यवस्था का विशेष ध्यान
प्रतिमा विसर्जन के दौरान पूरे भ्रमण क्षेत्र में पुलिस और महिला पुलिस मुस्तैद दिखी। उनका मुख्य उद्देश्य सुरक्षा सुनिश्चित करना था, ताकि श्रद्धालु बिना किसी चिंता के कार्यक्रम का आनंद ले सकें। मां के विसर्जन के समय शहरी क्षेत्र में विद्युत संबंध विच्छेद कर दिया गया, जिससे कार्यक्रम के आयोजन में कोई बाधा न आए।
सैकड़ों भक्तों की उपस्थिति
इस भव्य समारोह में उत्तम कुमार भगत, पंकज कुमार मिश्रा, जगदीश प्रसाद भगत, प्रदीप कुमार भगत, प्रवीण कुमार भगत, कैलाश कुमार भगत, विभाष कुमार मिश्रा, ओमप्रकाश भगत, कृष्ण कुमार भगत, बसंत कुमार, विश्वजीत भगत और विक्कू भगत जैसे अनेक श्रद्धालु उपस्थित थे। सैकड़ों भक्तों ने मां दुर्गा के प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा व्यक्त की। इस प्रकार, मां दुर्गा की विदाई एक यादगार और भावुक अवसर बना, जिसने पूरे क्षेत्र में सामुदायिक एकता और विश्वास का प्रतीक प्रस्तुत किया।