स्वास्थ्य विभाग और पिरामल स्वास्थ्य की संयुक्त पहल
पाकुड़ प्रखंड अंतर्गत चांदपुर पंचायत भवन में स्वास्थ्य विभाग और पिरामल स्वास्थ्य के संयुक्त प्रयास से टीबी (क्षय रोग) जांच शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर की अध्यक्षता चांदपुर के मुखिया पूर्णेंदु दास ने की। आयोजन का मुख्य उद्देश्य क्षय रोग मुक्त ग्राम पंचायत की परिकल्पना को साकार करना और ग्रामीणों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करना था।
127 मरीजों की जांच और दवा वितरण
इस विशेष स्वास्थ्य शिविर में काबिलपुर और चांदपुर गांवों के विभिन्न आयु वर्ग के लोगों की स्वास्थ्य जांच की गई। शिविर में 127 संभावित टीबी मरीजों का परीक्षण किया गया, जो लक्षित संख्या 130 के करीब है। सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी रेशमा तोपनो और एएनएम पुष्पा कुमारी ने न केवल टीबी की जांच की, बल्कि सामान्य बीमारियों का भी परीक्षण करते हुए जरूरतमंदों को मुफ्त दवाइयां उपलब्ध कराईं।
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ग्रामीणों को क्षय रोग से बचाव पर जागरूकता
जिला पीपीएम समन्वयक सुशांत कुमार दुबे ने शिविर में उपस्थित ग्रामीणों को टीबी रोग के बचाव और उपचार के बारे में जानकारी दी। उन्होंने क्षय रोग से संबंधित सरकारी योजनाओं के लाभों और जागरूकता अभियान के महत्व पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि टीबी का समय पर पता लगाना और इलाज करवाना बेहद जरूरी है।
छात्र-छात्राओं को दी गई विशेष जानकारी
टीबी मुक्त ग्राम पंचायत के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए, वरीय स्वास्थ्य पर्यवेक्षक मिथुन पाल, पिरामल स्वास्थ्य के मो. सानिफ अंसारी और मनोज कुमार महतो ने उत्क्रमित मध्य विद्यालय चांदपुर के 98 छात्र-छात्राओं और स्कूल कर्मचारियों को टीबी के प्रति जागरूक किया। स्कूल में जागरूकता अभियान के बाद संभावित मामलों को शिविर में लाकर उनकी जांच कराई गई।
सभी सहिया रहीं मौजूद, जागरूकता का बढ़ा दायरा
शिविर में चांदपुर पंचायत के अंतर्गत सभी सहिया कार्यकर्ताओं की उपस्थिति सुनिश्चित की गई, जिन्होंने टीबी के प्रति जागरूकता फैलाने में सक्रिय भूमिका निभाई। सहिया कार्यकर्ताओं ने ग्रामीणों को टीबी के लक्षणों, बचाव और समय पर इलाज के महत्व को समझाया।
क्षय रोग मुक्त पंचायत का लक्ष्य
चांदपुर पंचायत ने टीबी मुक्त ग्राम पंचायत बनने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह शिविर न केवल मरीजों की जांच और उपचार के लिए कारगर रहा, बल्कि ग्रामीणों और बच्चों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का माध्यम भी बना।
स्वास्थ्य विभाग की सक्रिय भागीदारी
इस आयोजन ने यह साबित किया कि स्वास्थ्य विभाग और पिरामल स्वास्थ्य के बीच समन्वय से ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार किया जा सकता है। इस तरह के शिविर आगे भी आयोजित किए जाने की योजना है ताकि टीबी को पूरी तरह से जड़ से खत्म किया जा सके।