पाकुड़। झालसा रांची के निर्देशानुसार प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, शेष नाथ सिंह की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। यह बैठक रेफरल जजों और मध्यस्थों के बीच मध्यस्थता प्रक्रिया और उसके विभिन्न पहलुओं पर केंद्रित थी। बैठक पीडीजे कक्ष में आयोजित की गई और इसमें न्यायिक पदाधिकारियों के साथ-साथ मध्यस्थ अधिवक्ता भी उपस्थित रहे।
मध्यस्थता प्रक्रिया के महत्व पर विचार-विमर्श
बैठक के दौरान मध्यस्थता प्रक्रिया के विभिन्न पहलुओं पर गहन विचार-विमर्श किया गया। मध्यस्थता को न्यायिक प्रक्रिया के एक प्रभावी विकल्प के रूप में देखा जाता है, जिससे मामलों का त्वरित और सुलहपूर्ण समाधान हो सके। कार्यक्रम में रेफरल मामलों की प्रक्रियात्मक जटिलताओं पर विस्तार से चर्चा की गई और इन मामलों में मध्यस्थता को और प्रभावी बनाने के सुझावों पर बल दिया गया।
रेफरल जज और मध्यस्थों की भूमिका पर विशेष चर्चा
कार्यक्रम के मुख्य बिंदु में रेफरल जज और मध्यस्थों की भूमिका पर गहन चर्चा शामिल थी। यह स्पष्ट किया गया कि मध्यस्थता प्रक्रिया में रेफरल जज और मध्यस्थ एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करते हैं। उनके निर्णय और प्रयास ही विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने में सहायक होते हैं। इस दौरान उपस्थित न्यायिक अधिकारियों को उनकी जिम्मेदारियों के बारे में भी जागरूक किया गया।
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दिशा-निर्देशों का हुआ आदान-प्रदान
बैठक के अंतर्गत न्यायिक अधिकारियों और मध्यस्थों को मध्यस्थता से संबंधित दिशा-निर्देश प्रदान किए गए। इन दिशा-निर्देशों में मध्यस्थता प्रक्रिया को प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए आवश्यक कदमों की जानकारी दी गई। यह भी बताया गया कि रेफरल जज और मध्यस्थों को किस प्रकार अपने कार्यों को और अधिक दक्षता और निष्पक्षता के साथ करना चाहिए।
मौके पर रहे न्यायिक पदाधिकारी और अधिवक्ता
इस अवसर पर प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, शेष नाथ सिंह ने अपनी अध्यक्षता में कार्यक्रम का संचालन किया। साथ ही अन्य न्यायिक पदाधिकारी और मध्यस्थ अधिवक्ता भी बैठक में उपस्थित रहे। सभी ने बैठक के दौरान अपनी राय प्रस्तुत की और मध्यस्थता प्रक्रिया को और अधिक प्रभावशाली बनाने के उपायों पर चर्चा की।
मध्यस्थता: न्यायिक प्रक्रिया का सशक्त विकल्प
बैठक का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि मध्यस्थता प्रक्रिया को प्रभावी तरीके से लागू किया जाए और इसे विवाद समाधान के एक सशक्त और तेज विकल्प के रूप में स्थापित किया जा सके। इस प्रकार की बैठकें न्यायिक प्रक्रिया को सरल और सुलभ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
यह बैठक न केवल मध्यस्थता प्रक्रिया को बेहतर बनाने की दिशा में एक कदम था, बल्कि न्यायिक अधिकारियों और मध्यस्थों के बीच समन्वय और जागरूकता बढ़ाने का भी एक प्रयास था। ऐसे आयोजन न्यायिक प्रणाली को अधिक दक्ष और पारदर्शी बनाने में सहायक सिद्ध होते हैं।