Thursday, December 26, 2024
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रक्तदान से बची जान: इंसानियत फाउंडेशन की अहम भूमिका

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पाकुड़। सोनाजोड़ी स्थित सदर अस्पताल में इलाजरत अंजना, 55 वर्षीय बुजुर्ग महिला को गंभीर स्थिति में ऑपरेशन की आवश्यकता थी। अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था, लेकिन ऑपरेशन के लिए उन्हें ए निगेटिव रक्त की आवश्यकता थी। इसके अलावा, पारुल बीबी, एक 24 वर्षीय गर्भवती महिला, जिन्हें ए बी पॉजिटिव रक्त की कमी के कारण इलाज में परेशानी हो रही थी, डॉक्टर ने उन्हें रक्त चढ़ाने की सलाह दी।


रक्तदाता की तलाश में परिजनों को हुई मुश्किलें

अंजना और पारुल बीबी के परिजनों ने रक्तदाता खोजने की भरसक कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिल पा रही थी। दोनों मरीजों के लिए रक्त का मिलना बेहद मुश्किल हो गया था, जिससे उनकी स्थितियां और भी गंभीर हो गई थीं।


इंसानियत फाउंडेशन का अहम योगदान

इंसानियत फाउंडेशन के सक्रिय सदस्य मुजहारुल शेख और सनाउल आंसरि ने इस संकट के समय में मदद का हाथ बढ़ाया। मुजहारुल शेख जो ईशाकपुर से हैं, और सनाउल आंसरि, फाउंडेशन के उपाध्यक्ष, ने ए निगेटिव रक्त का 5वीं बार रक्तदान किया। यह रक्तदान रक्त अधिकोष (ब्लड बैंक) में किया गया, जिससे दोनों मरीजों के इलाज में मदद मिली और उनकी जान बच गई।

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रक्तदान से मिली राहत: परिजनों का धन्यवाद

फाउंडेशन के रक्तदाताओं के योगदान से अंजना और पारुल बीबी की स्थिति में सुधार आया। मरीजों के परिजनों ने इंसानियत फाउंडेशन का धन्यवाद किया और उनके इस नेक काम को सराहा। परिजनों ने कहा कि फाउंडेशन की मदद के बिना उनके लिए यह संकट पार करना बहुत मुश्किल था।


रक्तदाताओं का संदेश: जरूरतमंदों के साथ हमेशा खड़े रहेंगे

रक्तदान करने वाले सदस्य मुजहारुल शेख और सनाउल आंसरि ने कहा कि उन्हें बहुत अच्छा लगता है जब वे किसी जरूरतमंद को अपना रक्त देकर मदद कर पाते हैं। उनका कहना था कि यह सबसे बड़ा पुण्य है, और वे हमेशा ऐसे ही जरूरतमंदों के साथ खड़े रहेंगे। उनका यह संदेश समाज में रक्तदान के महत्व को उजागर करता है और यह प्रेरणा देता है कि हर किसी को समय-समय पर इस नेक कार्य में योगदान करना चाहिए।


मौके पर मौजूद सदस्य और कर्मचारी

इस अवसर पर इंसानियत फाउंडेशन के कई अन्य सक्रिय सदस्य भी मौजूद थे। सचिव बानिज शेख, मानारुल शेख, नबाब शेख, सलीम शेख, और राफेज शेख, आफताब आलम, अलाउद्दीन शेख जैसे सदस्य भी मौके पर मौजूद थे। इसके अलावा, रक्त अधिकोष के कर्मचारी नवीन कुमार और पियूष दास ने भी इस पूरी प्रक्रिया में सहायता प्रदान की।


यह घटना एक उदाहरण है कि किस प्रकार इंसानियत फाउंडेशन और उसके सदस्य रक्तदान के माध्यम से जीवन रक्षक बन सकते हैं। फाउंडेशन के इस कदम से न केवल दो मरीजों की जान बचाई गई, बल्कि यह समाज में रक्तदान के महत्व को भी उजागर करता है। ऐसे नेक कार्यों से ही समाज में भाईचारे और एकजुटता का संदेश फैलता है।

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