एक तरफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के जरिए देश के साथ ही अपनी पार्टी को भी एकजुट करने में लगे हैं, तो दूसरी तरफ अलग-अलग राज्यों में पार्टी की आंतरिक कलह ही खत्म नहीं हो रही है। राजस्थान में सीएम गहलोत और सचिन पायलट के बीच रह-रहकर विवाद की खबरें सामने आती ही रहती हैं, लेकिन अब झारखंड कांग्रेस में आंतरिक कलह का मामला सामने आया है।
यहां पार्टी नेतृत्व व पूर्व प्रवक्ताओं के बीच वाकयुद्ध छिड़ा हुआ है। दरअसल, झारखंड कांग्रेस नेतृत्व ने तीन पूर्व प्रवक्ताओं आलोक दूबे, लाल किशोर नाथ शाहदेव, राजेश गुप्ता व एक अन्य नेता साधुशरण गोप के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की थी। इसके तहत उन्हें पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित करने की अनुशंसा केंद्रीय नेतृत्व से की गई, जिसके बाद चारों नेता स्थानीय नेतृत्व के खिलाफ मुखर होकर सामने आए।
प्रदेश अध्यक्ष पर उठाए सवाल
प्रदेश अध्यक्ष की कार्रवाई के बाद चारों नेताओं ने प्रेसवार्ता आयोजित की और अनुशासन समिति व प्रदेश अध्यक्ष पर कई सवाल उठाए। वरिष्ठ नेता आलोक दूबे ने कहा, हमने 32 सालों तक कांग्रेस पार्टी की सेवा की है। उन्होंने कहा, दूसरे दलों से आए लोग आज कांग्रेस पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओं को अपमानित कर रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष अपनी व्यक्तिगत दुश्मनी और अहंकार के चलते ऐसा फैसला ले रहे हैं। उन्होंने कहा, हमारे खिलाफ पक्षपातपूर्ण फैसला लिया गया है। पार्टी की विचारधारा के खिलाफ काम करने वाले लोगों को महत्वपूर्ण पद दिए गए, यह जांच का विषय है।
कमेटियों के गठन पर भी हुआ था विवाद
दिसंबर, 2022 में झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने जिला व प्रखंड स्तरीय कमेटियों का गठन किया था। इस लिस्ट में अल्पसंख्यकों को जगह न दिए जाने के बाद काफी विवाद हुआ था, जिसके बाद दूसरी लिस्ट जारी हुई और चार जिलों में अल्पसंख्यक जिलाध्यक्षों की नियुक्ति की गई। इसके बाद यह विवाद भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भी देखने को मिला, जब प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के सामने कार्यकर्ताओं के दो गुट आपस में भिड़ गए थे।