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गौरव सिंह/ भोजपुर. देश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त बनाने के अभियान को भोजपुर में पलीता लगता दिख रहा है. मरीजों की संख्या घटने के बदले यहां पिछले 5 साल में टीबी मरीजों की संख्या में लगभग तीन गुना की वृद्धि हो गई है. इससे जिले का स्वास्थ्य महकमा खासा परेशान है. अधिकारियों को समझ में ही नहीं आ रहा है कि तमाम प्रयासों के बावजूद जिले में टीबी के मरीजों की संख्या क्यों बढ़ रही है. भोजपुर में वर्ष 2017 से अबतक टीबी रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है.
साल 2017 में जिले में टीबी के 1396 मरीज सामने आए थे, जो 2022 में बढ़कर 3829 हो गए. अकेले वर्ष 2023 के जून तक नए 2197 मरीजों को चिन्हित किया गया है. विशेषज्ञों के अनुसार टीबी के मरीजों के बढ़ने का मुख्य कारण जागरूकता की कमी है. लोग समय पर जांच नहीं कराते हैं. इस वजह से बीमारी गंभीर होती जा रही है. अगर यही रफ्तार रहा तो अगले साल यह आंकड़ा 4000 के पार पहुंच सकता है.
टीवी के लक्षण क्या हैं और कब कराएं जांच
छाती में कफ का जमना, तीन सप्ताह या इससे अधिक दिनों तक लगातार खांसी रहना, खांसी में खून आना, वजन में लगातर गिरावट आना, थकान का अनुभव होना, बुखार आना, रात में पसीना आना, ठंड लगना, सीने में दर्द होना, सांस लेने में तकलीफ होना आदि टीबी के लक्षण हैं. चिकिसक कहते हैं कि खांसी होने पर तुरंत खखार की जांच कराएं. विशेषज्ञों के अनुसार लक्षण महसूस होने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर जांच और दवा शुरू करें.
यक्ष्मा पदाधिकारी ने क्या कहा
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. ए अहमद ने बताया कि टीबी जांच में तेजी लाने के लिए आत्यधुनिक टूनेट मशीन को आरा, बड़हरा, पीरो, जगदीशपुर, सहार व संदेश अस्पताल में लगाया गया है. जबकि सीबी नॉट मशीन आरा और पीरो अस्पताल में लगाया गया है. उन्होंने बताया कि समय पर जांच कराने से इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है.टीबी के गंभीर होने की स्थिति में मौत भी हो सकती है. किसी को भी संदेह हो तो अस्पताल जाकर अपने बलगम की जांच कराकर 6 माह तक इलाज कराएं.
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Tags: Bhojpur news, Local18, TB
FIRST PUBLISHED : July 19, 2023, 11:39 IST
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