पाकुड़। व्यय प्रेक्षक संजय नरगस और जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह उपायुक्त मनीष कुमार की उपस्थिति में विधानसभा चुनाव के अभ्यर्थियों के व्यय लेखा की जांच सूचना भवन के सभागार में की गई। इस दौरान सभी राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों की व्यय पंजी का गहन परीक्षण किया गया।
चुनाव की सफलता के लिए धन्यवाद ज्ञापन
जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह उपायुक्त मनीष कुमार ने शांतिपूर्ण और सफल चुनाव संचालन के लिए सभी राजनीतिक दलों और उनके उम्मीदवारों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के निर्देशानुसार, चुनाव समाप्ति के बाद सभी अभ्यर्थियों की व्यय पंजी का मिलान किया जाता है।
निर्वाचन आयोग द्वारा व्यय सीमा और नियमावली
उन्होंने बताया कि निर्वाचन आयोग ने चुनावी खर्च के विभिन्न मदों का निर्धारण पहले ही कर दिया है। इसमें हेलीकॉप्टर, सभा स्थल, प्रचार सामग्री, भोजन, पानी और वाहन जैसे खर्चों के लिए अलग-अलग दरें तय की गई हैं। इस जांच के दौरान सभी अभ्यर्थी अपने मूल व्यय पंजी के साथ उपस्थित रहे, जिनका मिलान व्यय कोषांग की टीम द्वारा किया गया। विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों की अधिकतम खर्च सीमा 40 लाख रुपये निर्धारित है।
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लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत नियमों की जानकारी
व्यय प्रेक्षक संजय नरगस ने उपस्थित अभ्यर्थियों और उनके अभिकर्ताओं को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के नियमों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अधिनियम की धारा 78 के अनुसार, प्रत्येक प्रत्याशी को चुनाव परिणाम की घोषणा के 30 दिन के भीतर अपना चुनाव खर्च का विवरण जिला निर्वाचन पदाधिकारी को सौंपना अनिवार्य है।
इस विवरण में प्रत्याशी और उसके एजेंट द्वारा किया गया खर्च शामिल होता है। यह खर्च नामांकन पत्र दाखिल करने की तारीख से लेकर परिणाम की घोषणा तक का होता है। चुनाव आयोग ने हर निर्वाचन क्षेत्र में व्यय पर्यवेक्षक तैनात किए हैं ताकि प्रत्याशियों के खर्च की निगरानी की जा सके और यह सुनिश्चित हो सके कि सभी खर्च आयोग के दिशानिर्देशों के अनुरूप हों।
चुनावी खर्च के दस्तावेजों का प्रबंधन और मिलान
व्यय प्रेक्षक ने आगे बताया कि चुनावी खर्च की जांच और निगरानी के लिए सभी उम्मीदवारों से खर्च का पूरा विवरण एक प्रतिलिपि में मांगा जाता है। इसमें सभा स्थल, प्रचार सामग्री, वाहनों का उपयोग, भोजन व्यवस्था और अन्य खर्च शामिल होते हैं।
अभ्यर्थियों की उपस्थिति और अधिकारियों का योगदान
इस कार्यक्रम में विभिन्न राजनीतिक दलों के अभ्यर्थी और उनके अभिकर्ता उपस्थित रहे। इसके अलावा, परियोजना निदेशक आईटीडीए अरुण कुमार एक्का, जिला आपूर्ति पदाधिकारी अभिषेक कुमार सिंह, नोडल पदाधिकारी सह राज्यकर पदाधिकारी नरेश चन्द्र, जिला सहकारिता पदाधिकारी चंद्रजीत खलखो और अन्य संबंधित कर्मियों ने भी इस प्रक्रिया में हिस्सा लिया।
चुनाव व्यय लेखा जांच का महत्व
चुनाव व्यय लेखा जांच की प्रक्रिया चुनावी पारदर्शिता और ईमानदारी सुनिश्चित करने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह प्रक्रिया सभी उम्मीदवारों को यह याद दिलाती है कि चुनाव में पारदर्शिता और वित्तीय अनुशासन का पालन करना आवश्यक है।
इस प्रकार, निर्वाचन आयोग के निर्देशों का पालन करते हुए इस कार्यक्रम को सफलता पूर्वक संपन्न किया गया।