पाकुड़। झारखंड सामान्य स्नातक योग्यताधारी संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा के आयोजन के मद्देनजर 21 और 22 सितंबर को राज्यभर में इंटरनेट सेवा बंद रही। 21 सितंबर को रात 1:00 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक और 22 सितंबर को सुबह 8:00 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक इंटरनेट सेवा बाधित रही। इसका उद्देश्य परीक्षा की पारदर्शिता और निष्पक्षता को बनाए रखना था ताकि किसी भी प्रकार का प्रश्न पत्र लीक या कदाचार न हो।
इंटरनेट बंदी से आम जनता को परेशानी
इंटरनेट सेवा बंद होने से आम जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। शनिवार को बैंक, डाकघर और सरकारी कामकाज पूरी तरह से प्रभावित रहे। इसका असर सबसे ज्यादा उन लोगों पर पड़ा जो डिजिटल भुगतान पर निर्भर हैं। फोनपे, गूगलपे जैसे डिजिटल भुगतान माध्यमों का इस्तेमाल करने वाले लोग खरीदारी या अन्य जरूरी कामों के लिए असमर्थ रहे। इससे उन्हें नगद पैसों की कमी का सामना करना पड़ा, क्योंकि एटीएम भी काम नहीं कर रहे थे।
बाजार में मंदी और गिरावट
इंटरनेट सेवा बंद होने से बाजार में भी मंदी देखी गई। लोग खरीदारी नहीं कर पाए, जिसके चलते बाजार की चहल-पहल कम हो गई। व्यवसायिक और बाजार गतिविधियाँ पूरी तरह से ठप रहीं। बताया जा रहा है कि राशि लेन-देन करने वाले कस्टमर और व्यवसायी, जिनका काम इंटरनेट पर निर्भर था, भी इससे बुरी तरह प्रभावित हुए। इससे बाजार में भी गिरावट आई और अन्य दिनों की तरह भीड़भाड़ नहीं देखी गई।
परीक्षा के दौरान सख्ती
इंटरनेट बंदी का मुख्य उद्देश्य प्रतियोगिता परीक्षा को कदाचार मुक्त और शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराना था। सरकार ने यह कदम उठाया ताकि कोई भी शरारती तत्व परीक्षा में किसी प्रकार का दुर्व्यवहार या प्रश्न पत्र लीक जैसी गतिविधियों में शामिल न हो सके। पाकुड़ जिले के सभी 15 परीक्षा केंद्रों में परीक्षा शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुई और कोई कदाचार की घटना सामने नहीं आई।
व्यवसायियों को नुकसान
व्यवसायियों के लिए भी यह इंटरनेट बंदी काफी नुकसानदायक साबित हुई। शनिवार और रविवार को बाजार में गतिविधियाँ ठप हो गईं। दुकानदार और व्यापारी अपने उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री नहीं कर पाए और डिजिटल लेन-देन भी प्रभावित हुआ। बाजार में कम भीड़ के कारण व्यापारियों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ा। यह स्थिति तब और खराब हो गई जब लोग अपने रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने में भी असमर्थ हो गए।
आम जनता की परेशानियाँ
इस इंटरनेट बंदी से आम जनता को भी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा। खरीदारी से लेकर लेन-देन तक, हर चीज प्रभावित हुई। कई लोगों ने शिकायत की कि वे अपनी जरूरी कामकाज को समय पर पूरा नहीं कर सके। बाजार में चहल-पहल की कमी और एटीएम सेवा बंद होने के कारण लोगों को रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने में मुश्किलें आईं।
इंटरनेट सेवा बहाल और बाजार की वापसी
दोपहर 1:30 बजे के बाद इंटरनेट सेवा बहाल होते ही बाजार में फिर से जान लौट आई। लोगों में फिर से स्फूर्ति देखी गई और वे अपने कामकाज में व्यस्त हो गए। इंटरनेट सेवा बहाल होने के बाद बाजार में फिर से खरीदारी शुरू हो गई और व्यवसायियों को राहत मिली। हालांकि, दो दिन की इंटरनेट बंदी ने लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि डिजिटल भुगतान पर पूरी तरह से निर्भरता कितनी बड़ी समस्या हो सकती है।
सरकार का कड़ा कदम
सरकार ने परीक्षा की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए यह कड़ा कदम उठाया था। इंटरनेट सेवा बंद करने का उद्देश्य परीक्षा के दौरान किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को रोकना था। इस कदम से परीक्षा शांतिपूर्ण और निष्पक्ष तरीके से संपन्न हुई, लेकिन आम जनता और व्यवसायियों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया कि इस तरह की बंदी सिर्फ परीक्षा के दौरान ही लागू की गई थी और यह अस्थायी उपाय था।
परीक्षा की सफलता और भविष्य के कदम
सरकार का यह कदम सफल साबित हुआ, क्योंकि परीक्षा बिना किसी कदाचार के संपन्न हुई। अब भविष्य में इस तरह की परीक्षाओं के लिए और अधिक सुरक्षात्मक उपाय किए जाने की संभावना है ताकि परीक्षा की विश्वसनीयता बनी रहे। हालांकि, इसके साथ ही यह भी आवश्यक है कि आम जनता की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए उपाय किए जाएं ताकि उनके रोजमर्रा के कामकाज पर असर न पड़े।