Sunday, July 13, 2025
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Jharkhand: बिरसा चिड़ियाघर में बना बटरफ्लाई पार्क जल्द ही जनता के लिए खोला जाएगा, पूर्वी भारत में यह सबसे बड़ा

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बिरसा चिड़ियाघर में ओपन-एयर बटरफ्लाई पार्क।
– फोटो : BBBP

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पूर्वी भारत का सबसे बड़ा ओपन-एयर बटरफ्लाई पार्क जल्द ही भगवान बिरसा जैविक पार्क (बीबीबीपी) में जनता के लिए खोल दिया जाएगा। चिड़ियाघर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी। यह पार्क बीबीबीपी के परिसर में एक्वैरियम के ठीक सामने 19 एकड़ की विशाल भूमि पर बनाया गया है। भगवान बिरसा जैविक पार्क रांची शहर से लगभग 25 किलोमीटर दूर है, जिसे बिरसा चिड़ियाघर के नाम से जाना जाता है।

पहले चरण का विकास कार्य लगभग पूरा

अधिकारी ने कहा, बटरफ्लाई प्रेमियों को मनोरंजन के साथ-साथ शैक्षिक मूल्य प्रदान करने के उद्देश्य से बनाया गए इस पार्क के पहले चरण का विकास कार्य लगभग पूरा हो चुका है। इस पार्क की अनुमानित लागत दो करोड़ रुपये है। पहले चरण में जो विकास कार्य किए गए हैं उनमें एक बटरफ्लाई कंजर्वेटरी, इसके अलावा आवास विकास जैसे पराग पौधों का रोपण, तितली पार्क के लिए पैदल मार्ग का निर्माण, एक तालाब और एक प्रवेश द्वार शामिल है।

बिरसा चिड़ियाघर के निदेशक जब्बार सिंह ने बताया कि अभी पार्क में कुछ सुधारीकरण और अन्य कार्य चल रहे हैं। इसे एक या दो महीने में जनता के देखने के लिए खोल दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि पार्क को हरे-भरे क्षेत्र में विकसित किया गया है, जो आगंतुकों को पारिस्थितिकी (Ecology) में तितलियों के महत्व के बारे में जागरूक करने में मदद करेगा। सिंह ने कहा, स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र में जैव विविधता की बढ़ती आवश्यकता के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने में तितलियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। अच्छी संख्या में तितलियों की मौजूदगी एक उत्तम प्राकृतिक वातावरण का सूचक है।

वन्यजीव विशेषज्ञों ने कहा कि रांची, धनबाद और जमशेदपुर जैसे शहरी क्षेत्र वाहनों और उद्योगों की बढ़ती संख्या से प्रदूषित हैं। अशांति के प्रभाव को कम करने के लिए तितली या पारिस्थितिक पार्क जैसे विषयगत उद्यान समय की मांग है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण में तितलियों का अस्तित्व पौधों के परागणकर्ता, अन्य जानवरों के लिए भोजन स्रोत और वैज्ञानिक खोजों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

झारखंड में तितलियों की 75 से अधिक प्रजातियां मौजूद

सिंह ने कहा कि झारखंड में तितलियों की 75 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। पार्क में अनुकूल वातावरण तैयार किया जाएगा ताकि तितलियां प्राकृतिक रूप से विकसित हो सकें। उन्होंने कहा, 900 वर्ग मीटर के क्षेत्र में एक ढका हुआ कंजर्वेटरी बनाया गया है ताकि उन्हें पक्षियों और किसी अन्य शिकार से बचाया जा सके।

चिड़ियाघर प्राधिकरण झारखंड में पाई जाने वाली अधिकांश प्रजातियों जैसे ट्वनी कोस्टर, सार्जेंट, बुश ब्राउन, बैरोनेट, प्लेन टाइगर, लेमन पैंसी, कॉमन सेलर और अन्य को पार्क में रखने की कोशिश करेगा। आने वाले चरणों में पार्क में और सुविधाएं जोड़ी जाएंगी। वर्तमान में, आगंतुकों के लिए पाथवे और बेंच स्थापित किए गए हैं और आने वाले दिनों में पर्यटकों को और अधिक सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। सिंह ने कहा कि इसके अलावा तितलियों के लिए और नर्सरी भी बनाई जाएंगी।

2017 में तत्कालीन सीएम रघुबर दास ने रखी थी नींव

एक वरिष्ठ वन अधिकारी ने कहा, पार्क के पहले चरण को पूरा होने में लगभग छह साल लगे। तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुबर दास ने 29 जून, 2017 को पार्क की नींव रखी थी। हालांकि, परियोजना पर काम तीन साल बाद 2020 में शुरू हुआ। कोविड-19 महामारी के कारण परियोजना के क्रियान्वयन में ज्यादा देरी हुई। उन्होंने कहा कि पार्क जनता के लिए खोलने के लिए लगभग तैयार है। उन्होंने कहा, इसमें दो प्रवेश द्वार होंगे। एक एक्वेरियम की तरफ मुख्य प्रवेश द्वार और दूसरा प्रवेश द्वा गेस्ट हाउस की तरफ होगा।

उन्होंने कहा, मुख्य प्रवेश द्वार पर एक टिकट खिड़की और एक संरक्षण कक्ष होगा। तितली पार्क के आवास के वार्षिक रखरखाव पर लगभग 25 लाख रुपये खर्च होंगे। रांची के ओरमांझी क्षेत्र में 104 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले इस जैविक उद्यान में स्तनधारियों, सरीसृपों और पक्षियों की 83 प्रजातियों के लगभग 1,450 जानवर हैं।

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