Sunday, May 11, 2025
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Jharkhand: सीएम सोरेन ने कहा- आदिवासियों पर हो रही हमले की कोशिश, आज अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहे हैं स्वदेशी

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CM HEMANT SOREN
– फोटो : social media

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झारखंड के मुख्यमंत्री ने एक बार फिर मणिपुर हिंसा पर बात की। उन्होंने कहा कि स्वदेशी लोग आज देश में अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहे हैं। देश में आदिवासियों पर हमले की कोशिश की जा रही है। वहीं, भाजपा ने राज्य सरकार पर निशाना साधा है। भाजपा ने आदिवासी महोत्सव को सोरेन राज परिवार दिवस का नाम दिया है।

सरना के लिए आदिवासियों को लड़ना होगा

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन गुरुवार को दो दिवसीय झारखंड आदिवासी महोत्सव के समापन समारोह में पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि झारखंड देश का पहला राज्य है, जहां आदिवासियों की पहचान स्थापित की जा रही है। सरना को एक अलग धर्म कोड के रूप में शामिल किए जाने की मांग करते हुए विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया। अब यह मामला केंद्र के पास लंबित पड़ा है। आदिवासियों को इसके लिए लड़ना होगा। देश में ऐसे कई समुदाय हैं, जिनकी आबादी आदिवासियों से कम है। देश के करीब 13 करोड़ आदिवासियों को एक पहचान मिलनी चाहिए।

मणिपुर से भागकर झारखंड आ रहे हैं लोग

सोरेन ने कहा कि एक देश में आदिवासियों का एक अलग मंत्रालय है। लेकिन अधिकारी आदिवासियों को पहचानने के लिए तैयार ही नहीं हैं। कुछ लोग उन्हें वनवासी कहते हैं। कुछ लोग उनसे जनजाति पूछते हैं। यह काफी विरोधाभासी है। वनवासी लोग आदिवासी नहीं हैं। देश में आदिवासियों पर हमले की योजनाबद्ध तरीके से एक रणनीति बनाई जा रही है। देश के अलग-अलग हिस्सों में अत्याचार हो रहे हैं। देखिए मणिपुर में क्या हो रहा है। ब्रिटिश काल में झारखंड के कुछ आदिवासी मणिपुर गए थे। हिंसा के कारण वे यहां आ रहे हैं। हमारी सरकार उन्हें आश्वासन दे रही है।

कार्यक्रम में यह लोग भी शामिल

महोत्सव के समापन समारोह में सीएम हेमंत सोरेन अपनी पत्नी कल्पना सोरेन के साथ यहां आए थे। इसके अलावा कैबिनेट मंत्री आलमगीर आलम, चंपई सोरेन, जोबा मांझी, बादल पत्रलेख और हफीजुल हसन सहित कई नेता और अधिकारी शामिल हुए थे।

भाजपा ने कार्यक्रम पर किया हमला

झारखंड भाजपा ने दो दिनी उत्सव को सोरेन राजपरिवार दिवस का नाम दिया है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी का कहना है कि राज्य में आदिवासी दिवस के नाम पर सोरेन राज परिवार दिवस मनाया गया। महोत्सव के लिए सरकार ने प्रचार-प्रसार में करोड़ों खर्च किए। मरांडी ने कहा कि सरकार ने इतना सब कुछ किया लेकिन सिदो, काहनू, चांद भैरव, तिलका मांझी और भगवान बिरसा मुंडा जी बैनर-पोस्टरों से गायब थे। 

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