Wednesday, May 21, 2025
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Jharkhand MNREGA Scam: सुप्रीम कोर्ट से निलंबित IAS के पति को गिरफ्तारी से राहत, HC के फैसले को दी थी चुनौती

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उच्चतम न्यायालय ने झारखंड कैडर की निलंबित आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल के पति अभिषेक झा को गिरफ्तारी से राहत दी है। वह राज्य के कथित मनरेगा घोटाले में धनशोधन के आरोपों का सामना कर रहे हैं। अदालत का यह फैसला प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के उस बयान के बाद आया है जिसमें उसने कहा था कि उन्हें अपनी बेटी की चिकित्सा जरूरतों को पूरा करने के लिए राहत दी जा सकती है।

सार्वजनिक धन के गबन मामले की मुख्य आरोपी हैं पूजा सिंघल

2000 बैच की आईएएस अधिकारी सिंघल खूंटी जिले की उपायुक्त रहने के दौरान 18.07 करोड़ रुपये के सार्वजनिक धन के गबन से जुड़े कथित घोटाले में मुख्य आरोपी हैं। न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि सिंघल पहले से ही हिरासत में हैं और उनको उनकी बेटी की चिकित्सीय जरूरतों के मद्देनजर पहले ही रिहा कर दिया गया था।

उच्चतम न्यायालय (एससी) ने अपने आदेश में क्या कहा?

पीठ ने कहा, चूंकि याचिकाकर्ता पति बच्चे की चिकित्सा जरूरतों को देखने के लिए उपलब्ध था, इसलिए इस अदालत ने फिलहाल पत्नी को आत्मसमर्पण करने के लिए कहा और उसने आत्मसमर्पण किया। पीठ ने 5 जुलाई को पारित अपने आदेश में कहा, ईडी की ओर से पेश होने वाले अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ने निष्पक्ष रूप से प्रस्तुत किया है कि पत्नी की हिरासत के मद्देनजर बेटी की चिकित्सा आवश्यकताओं की देखभाल करने के लिए याचिकाकर्ता(झा) को गिरफ्तारी से बचाया जा सकता है। उसका एक विशेष अस्पताल भी चला रहा है। हम उपरोक्त बयान को रिकॉर्ड पर लेते हैं और याचिका का निपटारा करते हैं।  

झारखंड उच्च न्यायालय ने खारिज कर दी थी याचिका

शीर्ष अदालत ने झारखंड उच्च न्यायालय के 18 मई के आदेश को चुनौती देने वाली झा की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। पीठ ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा, ‘यह कहने की जरूरत नहीं है कि याचिकाकर्ता (झा) उस अदालत में पेश होंगे जहां शिकायत दर्ज की गई है।’ 23 जून को उनकी याचिका शीर्ष अदालत की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई थी, जिसने उन्हें अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था और मामले की सुनवाई के लिए पांच जुलाई की तारीख तय की थी।

उच्च न्यायालय ने याचिका पर क्या कहा था?

उच्च न्यायालय ने 18 मई को उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी और उन्हें चार सप्ताह के भीतर अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने को कहा था। उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति गौतम कुमार चौधरी ने उनकी जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था, ‘उच्चतम न्यायालय ने कहा है, धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अपराधों में धारा 45 की कठोरताएं लागू होंगी।’ उन्होंने कहा, ‘करोड़ों रुपये के अपराध की गंभीरता को देखते हुए और निवेश, रिकॉर्ड में मौजूद सामग्री, भागने के जोखिम और ईडी की ओर से दायर याचिका के जरिए सावधानीपूर्वक इसकी परत चढ़ाई और शोधन किए जाने के सबूतों को देखते हुए मुझे यह मामला अग्रिम जमानत देने के लिए उपयुक्त नहीं लगता।’

अभियोजन पक्ष और याचिकाकर्ता के क्या हैं दावे

अभियोजन पक्ष के मुताबिक, सिंघल से शादी के बाद झा की किस्मत चमक गई और अधिकारी द्वारा भ्रष्ट गतिविधियों के जरिए कथित तौर पर अर्जित अपराध की आय के रूप में गलत तरीके से अर्जित नकदी उनके बैंक खातों में आने लगी। हालांकि, झा ने दावा किया है कि यह पैसा ऑस्ट्रेलिया में उनकी नौकरी से हुई वैध आय है। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में इस बात पर गौर किया था कि झा की शादी सिंघल से जून 2011 में हुई थी। हाई-प्रोफाइल आईएएस अधिकार 16 फरवरी, 2009 से 19 जुलाई, 2010 तक खूंटी जिले के उपायुक्त के रूप में तैनात रहीं।



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