दिशोम गुरु के निधन पर झारखंड में शोक की लहर
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक संरक्षक, पूर्व मुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद दिशोम गुरु शिबू सोरेन के 04 अगस्त 2025 को हुए निधन से पूरे झारखंड राज्य में शोक की लहर दौड़ गई। राज्य के निर्माता, आदिवासी अधिकारों के रक्षक और सामाजिक न्याय के पुरोधा के रूप में उनकी पहचान हमेशा जीवित रहेगी। उनके स्वर्गवास के उपलक्ष्य में आज एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया, जिसमें उनके संघर्ष, विचारधारा और समाज सेवा के प्रति उनकी निष्ठा को याद किया गया।
झामुमो प्रखंड अध्यक्ष के नेतृत्व में श्रद्धांजलि सभा
यह श्रद्धांजलि सभा झामुमो प्रखंड अध्यक्ष मुस्लेउद्दीन शेख के नेतृत्व में धनुष पूजा स्थित झामुमो कार्यालय में संपन्न हुई। इस मौके पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं, स्थानीय कार्यकर्ताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं पंचायत स्तर के पदाधिकारियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। सभी ने दिशोम गुरु के योगदान को याद करते हुए दो मिनट का मौन रखकर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की।
मुस्लेउद्दीन शेख का भावुक संबोधन
अपने संबोधन में मुस्लेउद्दीन शेख ने कहा – “शिबू सोरेन झारखंड की आत्मा थे। छोटे से गांव नेमरा से निकलकर उन्होंने महाजनी सुधखोरी के खिलाफ आवाज बुलंद की और कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने न केवल राज्य के निर्माण में ऐतिहासिक भूमिका निभाई, बल्कि आदिवासी, दलित, पिछड़े और शोषित समाज की आवाज को बुलंद किया। उनका जाना पार्टी के लिए अपूरणीय क्षति है, जिसे कोई पूरा नहीं कर सकता।”
संघर्ष और विचारधारा को याद किया गया
सभा में उपस्थित नेताओं और कार्यकर्ताओं ने शिबू सोरेन के लंबे संघर्ष, उनके राजनीतिक सफर, विचारधारा और समाज के प्रति समर्पण को याद किया। उन्होंने हमेशा गरीब और वंचित वर्गों के हक की लड़ाई लड़ी और जन आंदोलनों को नई दिशा दी। कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों ने उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।
पूरा झारखंड शोक में डूबा
इस कठिन समय में झामुमो परिवार सहित समस्त झारखंडवासी दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर रहे हैं और उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त कर रहे हैं। उनके निधन से उत्पन्न रिक्तता को भर पाना असंभव माना जा रहा है, क्योंकि वे केवल एक नेता नहीं बल्कि एक आंदोलनकारी और मार्गदर्शक भी थे।
कार्यक्रम में शामिल हुए अनेक वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता
इस श्रद्धांजलि सभा में अल्पसंख्यक जिला अध्यक्ष कदम रसूल, केंद्रीय समिति सदस्य उमर फारूक, बुद्धिजीवी सचिन सिद्धार्थ शंकर, प्रकाश सिंह, युवा उपाध्यक्ष रेजाउल हक, प्रखंड सचिव राजेश सरकार, उपाध्यक्ष अजफरूल शेख, राम सिंह टुडू, स्माइल रहमान, अब्दुल सत्तार, मोसरफ़ हुसैन, लखन हेंब्रम, प्रदीप कुमार, हलीम अंसारी, मुबारक हुसेन, बुलाई सोरेन, वीरेंद्र घोष, पतरस मरांडी, चंदन रोहिम शेख उर्फ लाल चंद, भंडारी, रोजीबुल शेख, अली शेख, टिंकू कुमार मंडल, अल्फाज़ुद्दीन, अमीरुल इस्लाम, सोफीकुल शेख, फुरकान शेख, आलमगीर आलम, हुसैन शेख, मुजीबुर शेख, आसरफुल हक, कमरूद्दीन शेख, बशीर शेख, तीनकोरी विश्वास सहित सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद रहे।
झारखंड के लिए एक युग का अंत
शिबू सोरेन का जीवन संघर्ष, सेवा और बलिदान की मिसाल है। उनकी राजनीति का केंद्र बिंदु हमेशा जनहित और सामाजिक न्याय रहा। आज उनका जाना झारखंड के लिए एक युग के अंत जैसा है। आने वाली पीढ़ियां उनके त्याग, साहस और नेतृत्व को याद करती रहेंगी।