रांची. झारखंड को आदिवासियों का भी राज्य कहा जाता है और यहां के आदिवासी आज पढ़ लिख कर देश विदेश में अपने हुनर का परचम लहरा रहे हैं. इसी का जीता जागता उदाहरण है असिंता असुर. एशिया के सबसे बड़े अंतर्राष्ट्रीय साहित्य महोत्सव ‘उन्मेष’ में झारखंड के असुर समुदाय की असिंता असुर को काव्य-पाठ के लिए आमंत्रित किया गया हैं.किसी अंतर्राष्ट्रीय साहित्य महोत्सव में भाग लेने वाली वह पहली असुर महिला है.
झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा की महासचिव वंदना टेटे ने लोकल 18 से कहा कि असिंता असुर नेतरहाट के जोभीपाट गांव की रहने वाली है.असुर मोबाइल रेडियो के साथ जुड़कर वह अपनी मातृभाषा असुरी के पुरखा गीतों, कहानियों और ज्ञान परंपरा के संरक्षण और प्रसार में लगी हुई है.असिंता के पास असुर वाचिक साहित्य का खजाना है और वह एक प्रभावशाली स्टोरीटेलर है.उसने पुरखा गीतों और कहानियों के साथ-साथ नये गीतों की भी रचना की है.
रांची में मजदूरी करती थी असिंता
वंदना टेटे ने कहा कि मात्र आठवीं तक शिक्षित असिंता अपने परिवार के साथ पहले रांची में मजदूरी करती थी. गरीबी के कारण वह आगे पढ़ नहीं पाई. लेकिन मोबाइल व रेडियो के माध्यम से वह साहित्य की दुनिया से जुड़ी रही.कोविड महामारी के दौरान उसे अपने गांव लौटना पड़ा.उन्होंने आगे बताया इस साहित्य महोत्सव में कई और गणमान्य को आमंत्रित किया गया है जैसे तेतरू उरांव, नारायण उरांव सैंदा, जवाहर लाल बांकिरा, पार्वती तिर्की, महादेव टोप्पो, नीता कुसुम बिलुंग, दास राम बारदा और सलोमी एक्का. पर इनमे से एकमात्र असिंता ही पीवीटीजी आदिवासी समूह से आती है और परंपरागत स्टोरीटेलर हैं.
‘उन्मेष’ अंतर्राष्ट्रीय साहित्य महोत्सव का आयोजन भोपाल में
उन्मेष’ अंतर्राष्ट्रीय साहित्य महोत्सव का आयोजन भोपाल में 3 से 6 अगस्त तक साहित्य अकादमी, नई दिल्ली, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार एवं संस्कृति विभाग, मध्यप्रदेश शासन द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है.‘उन्मेष’ का पहला आयोजन पिछले वर्ष जून में शिमला में आयोजित किया गया था.एशिया के इस सबसे बड़े साहित्य उत्सव का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू करेंगी.
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