Monday, November 25, 2024
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हिंदी दिवस पर कवि सम्मेलन का आयोजन, साहित्यकारों ने किया मनमोहक प्रस्तुति

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पाकुड़। हिंदी दिवस के शुभ अवसर पर श्री सारस्वत स्मृति, पाकुड़ के तत्वावधान में सर्कस मैदान में हिंदी कवियों द्वारा अपनी रचनाओं का शानदार प्रस्तुति दी गई। कवियों की प्रस्तुति से उपस्थित दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए और साहित्यिक माहौल में डूब गए। यह कार्यक्रम साहित्य और हिंदी भाषा के प्रति समर्पण का एक विशेष उदाहरण बना, जहां विभिन्न साहित्यकारों और कवियों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।

मुख्य कवियों की प्रस्तुति ने बांधा समां

इस कवि सम्मेलन में अभय कुमार सिन्हा, जो भागलपुर, बिहार से एक प्रतिष्ठित कवि एवं साहित्यकार हैं, ने अपनी अनूठी रचनाओं से श्रोताओं का दिल जीत लिया। उनके साथ-साथ सपना चंद्रा, जो कहलगांव, भागलपुर से ग़ज़लकार एवं कवयित्री हैं, ने भी अपनी ग़ज़लों से समां बांध दिया। इसके अतिरिक्त विजय कुमार भारती, भोजपुरी साहित्यकार, साहिबगंज, झारखंड से उपस्थित थे, जिनकी प्रस्तुति ने भी दर्शकों पर गहरा प्रभाव छोड़ा।

साहित्यिक जगत के प्रसिद्ध नामों की भागीदारी

इस कार्यक्रम में डा. अंजनी कुमार सुमन, प्राध्यापक (बी. एड. कॉलेज) एवं कवि, ग़ज़लकार, मुंगेर, बिहार, ने भी अपनी कविताओं के माध्यम से हिंदी दिवस को विशेष बनाया। इसके साथ ही, विनय कुमार झा “बिमल” सुपौल, बिहार, मैथिली और हिंदी के साथ-साथ अंगिका भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यकार ने भी कार्यक्रम को अपनी उपस्थिति से गौरवान्वित किया।

डॉ. प्रदीप प्रभात और अन्य कवियों की अनमोल प्रस्तुति

गोड्डा से आए डॉ. प्रदीप प्रभात और डॉ. ब्रह्मदेव कुमार ने भी अपनी रचनाओं से इस कार्यक्रम को और अधिक रोचक बना दिया। गोड्डा से ही आए डॉ. मनोज कुमार राही, डॉ. राधेश्याम चौधरी, प्रो. ओम प्रकाश मंडल, मती अर्पणा गुप्ता, सुरजीत झा, और प्रो. सुबोध कुमार झा ने भी अपनी रचनाओं से हिंदी भाषा की समृद्धि और साहित्यिक धरोहर का सम्मान किया।

झारखंड और बिहार के साहित्यकारों की विशेष उपस्थिति

साहिबगंज के कुमार संजय, जो सार्जेन्ट मेजर हैं, और देवघर से उमाशंकर राव उरेन्दु और गणेश प्रसाद उमर ने भी अपनी साहित्यिक प्रतिभा का प्रदर्शन किया। देवघर से आए अनिल कुमार झा, गोड्डा से डॉ. स्मिता शिप्रा, और आसनसोल से नवीन चन्द्र सिंह ने भी अपनी काव्य प्रस्तुतियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।

महिला कवयित्रियों की खास भूमिका

कार्यक्रम में महिला कवयित्रियों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ. सुशीला हांसदा, जो महिला कॉलेज, पाकुड़ की प्राचार्या हैं, ने भी अपनी प्रस्तुतियों से श्रोताओं को मोहित किया। डॉ. अनुराधा पाण्डेय, सहायक प्राध्यापिका, महिला कॉलेज, पाकुड़ ने भी अपनी कविताओं के माध्यम से कार्यक्रम में जोश और ऊर्जा का संचार किया।

श्री सारस्वत स्मृति का उद्देश्य और भूमिका

यह कवि सम्मेलन श्री सारस्वत स्मृति, पाकुड़ के तत्वावधान में आयोजित किया गया। श्री सारस्वत स्मृति की स्थापना वर्ष 2000 में हुई थी, और इसका मुख्य उद्देश्य समन्वित शैक्षिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिवेश का संरक्षण और विकास करना है। यह संगठन हिंदी भाषा और साहित्य के प्रचार-प्रसार में समर्पित रहा है और प्रत्येक वर्ष हिंदी दिवस के अवसर पर विविध कार्यक्रमों का आयोजन करता है। कोरोना काल के अलावा, संगठन ने हर साल इस तरह के आयोजन किए हैं, जो सृजनशीलता और सामाजिक समायोजन की भावना को प्रोत्साहित करते हैं।

साहित्यिक कार्यक्रमों की निरंतरता

इस वर्ष भी श्री सारस्वत स्मृति ने इस परंपरा को जारी रखा और हिंदी दिवस के अवसर पर सर्व भाषा कवि सम्मेलन का सफल आयोजन किया। यह संगठन भाईचारे, सहनशीलता, नम्रता, करुणा, और मानवीय मूल्यों के विकास को प्राथमिकता देता है, जो इस कवि सम्मेलन में भी स्पष्ट रूप से दिखा। श्री सारस्वत स्मृति का मुख्य उद्देश्य मानवता और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देना है, जो इस आयोजन के माध्यम से सफलतापूर्वक प्राप्त किया गया।

संगठन के नेतृत्व और योगदान

श्री सारस्वत स्मृति, पाकुड़ के संस्थापक अध्यक्ष स्वर्गीय मनमोहन मिश्र थे, और वर्तमान में इस संगठन का नेतृत्व भागीरथ तिवारी, सेवानिवृत्त पुलिस पदाधिकारी, कर रहे हैं। उपाध्यक्ष डा. मनोहर कुमार, प्राध्यापक (बी. एड. के. के. एम. कॉलेज, पाकुड़), महासचिव रामरंजन कुमार सिंह, निदेशक श्री गुरुदेव कोचिंग सेंटर सह नवीन युग विद्यालय, पाकुड़, कोषाध्यक्ष कैलाश झा, सेवानिवृत्त शिक्षक, और संगठन सचिव संजय कुमार शुक्ला, योगाचार्य सह वैद्यराज, इस संगठन के साथ जुड़े हैं और इसे निरंतर आगे बढ़ा रहे हैं।

साहित्यिक भविष्य की योजनाएं

श्री सारस्वत स्मृति भविष्य में भी ऐसे ही साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन करता रहेगा, जो हिंदी भाषा और साहित्य के प्रसार के साथ-साथ समाज में भाईचारे और समरसता को बढ़ावा देने में योगदान देगा।

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