देवघर. सावन महीने का पहला प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाएगा. हिंदू धर्म में इस प्रदोष व्रत का विशेष महत्व माना जाता है. जो भी श्रद्धालु इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं. उसकी हर मनोकामना जल्द पूरी होती है. साथ ही आने वाली सारी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं. वहीं देवघर के ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि सावन का पहला प्रदोष व्रत 15 जुलाई दिन शनिवार को रखा जाएगा. शनिवार के दिन रहने से इस प्रदोष को शनि प्रदोष व्रत भी कहा जा रहा है. इस दिन सिद्धि योग का भी निर्माण हो रहा है.
देवघर के ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुदगल ने लोकल 18 को बताया कि त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 14 जुलाई की रात 11:00 बजे से लेकर अगले दिन 15 जुलाई की रात 12 बजे तक रहने वाला है. प्रदोष काल में शाम के वक्त भगवान शिव की पूजा आराधना की जाती है. इसी कारण 15 जुलाई को शनि प्रदोष व्रत रखा जाएगा. पूरे दिन व्रत रखकर प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने के बाद एक समय फलाहार किया जा सकता है.
शनि प्रदोष व्रत का महत्व
मुदगल का कहना है कि प्रदोष का व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से पुत्र कामना की प्राप्ति होती है. वहीं सावन माह के प्रदोष का व्रत रख कर भगवान शिव की पूजा करने से सारी बाधाएं समाप्त हो जाती है. इस दिन शाम में व्रत रख कर पुत्र की मनोकामना करते हुए संध्या काल में शिव जी के ऊपर जलाभिषेक करना चाहिए. साथ ही बेलपत्र अर्पण करें. ऐसा करने से निश्चित ही पुत्र की प्राप्ति होगी.
पूजा का शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि शनिवार को प्रदोष का व्रत रखें. सुबह स्नान कर व्रत की शुरुआत करें. वहीं संध्या 5:30 बजे से लेकर 7:30 बजे तक प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने का शुभ मुहूर्त है. सूर्यास्त के 45 मिनट बाद से प्रदोष काल प्रारंभ हो जाता है.
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