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मो. सरफराज आलम/सहरसा. कोसी इलाके में अब बड़ी इलायची की खेती की शुरुआत हो चुकी है. ट्रायल के रूप में की गई बड़ी इलायची की खेती सहरसा जिले में कामयाब हो गई है. सहरसा जिले के सौरबाजार प्रखंड क्षेत्र के खजुरी के रहनेवाले किसान विक्रम यादव ने अपने क्षेत्र में बड़ी इलायची की खेती की पहल की थी. इस खेती की कामयाबी के बाद विक्रम कहते है कि अब वे बड़े पैमाने पर इसकी खेती करेंगे.
बता दें, बड़ी इलायची की खेती किसानों को कम लागत में कई गुना ज्यादा मुनाफा देती है. बड़ी इलायची को काली इलायची, अघोरी इलायची के नाम से भी जाना जाता है. इसका उपयोग मसालों के तौर पर खाने का स्वाद बढ़ाने और मिठाई की खुशबू बढ़ाने में भी किया जाता है. यह एक नकदी फसल है, बाजार में इसकी कीमत बहुत अच्छी मिलती है. वर्तमान में बाजारों में इसकी कीमत 1000 से लेकर 1200 रुपए प्रति किलो तक है.
कटिहार से मंगाया गया था बीज
किसान विक्रम यादव बताते हैं कि बड़ी इलायची का बीज उन्होंने कटिहार से मंगाया था. तकरीबन एक केजी बीज लाया गया था. जिसकी कीमत लगभग 1000 रुपए पड़ी थी. उस एक केजी के बीच में तकरीबन 200 पौधों में यह बड़ी इलायची का फल देखा गया. जिससे यह साबित हो रहा है कि अब कोसी इलाके में भी इसकी खेती की जा सकती है. शुरुआती दौर में उन्हें लगा कि इसकी खेती इस इलाके में संभव नहीं है. लेकिन कुछ दिन बाद पौधे में बड़ी इलायची का फल दिखा, जिससे उन्हें काफी खुशी मिली.
यहां होती है इलाइची की खेती
बता दें कि केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे राज्यों को इलाइची का उत्पादन हब कहा जाता है. इलाइची एक ऐसा पौधा है, जो पूरे वर्ष हरा-भरा रहता है. इसकी पत्तियां भी एक से दो फ़ीट लंबी होती हैं. इलाइची का अधिकतम इस्तेमाल खाने के मसाले के रूप में किया जाता है. इलाइची की खुशबू काफी अच्छी होती है, जिसकी वजह से इसे मुखशुद्धि के रूप में इसकी पहचान है, साथ ही मिठाइयों में भी इस्तेमाल किया जाता है. इलायची की कई तरह की किस्में होती हैं, जिनकी पहचान अलग-अलग नामों से की जाती है. मुख्य रूप से इलायची दो प्रकार की होती हैं. एक छोटी (हरी) इलायची और दूसरी बड़ी (काली) इलायची के नाम से जानी जाती है.
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Tags: Farmer, Local18, PATNA NEWS
FIRST PUBLISHED : June 26, 2023, 08:22 IST
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