Tuesday, May 13, 2025
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मिलिए नालंदा की रिंकू से, मछली पालन कर खुद के साथ 5 लोगों को बनाया आत्मनिर्भर

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मो.महमूद आलम/नालंदा. महिलाएं अब चूल्हा चौका से बाहर निकल अलग क्षेत्र में कामयाबी हासिल कर रही हैं. ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां महिलाओं ने कामयाबी के झंडे नहीं गाड़े हैं. नालंदा की रिंकू देवी भी इसी ओर बढ़ रही हैं. रिंकू देवी मत्स्य पालनकर रही है. इनका इस क्षेत्र में काफी नाम है. जिले के परबलपुर प्रखंड अंतर्गत मिर्ज़ापुर गांव की रहने वाली रिंकू देवी रेडियो द्वारा आयोजित सरकारी कार्यक्रमों की जानकारी मिलने के बाद विभाग से अनुदान का लाभ उठाई. 8 सालों से दो एकड़ में छः प्रकार कीमछलीपालन कर रही हैं.इसके साथ 5 बेरोजगार लोगों को रोज़गार दे रखी है. वहीं अच्छा मुनाफा कमा रही हैं.

सरकारी योजना की जानकारी ले बनी आत्मनिर्भर

रिंकू देवी ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि पहले वह गांव में रहती थी.किसान पति के साथ खेती करती थी. लेकिन रेडियो और अख़बार से योजना की जानकारी मिलने के बाद ग्रामीण स्वरोजगार योजना के समूह से जुड़ी और घर से बाहर निकली. सारी जानकारी प्राप्त करने के बाद मत्स्यपालन कार्यालय से लोन लेने में उन्हें तीन साल का वक्त लग गया.

उससे पहले उन्होंने अपने 10 कट्ठा की ज़मीन 35 हज़ार खर्च कर तालाब खुदवाकर 200 पीस फंगस मछली का जीरा खरीदकर शुरू किया. उसके बाद फिर पीछे मुड़कर नहीं देखीं. उस समय लागत से 1 गुणा मुनाफा हुआ. फिर 2.50 लाख लोन लेकर एक एकड़ में शुरू किया. जिसमें रेहू, कतला, विकेट, सिल्वर कार्प, फंगस का पालन कर रही हैं. जिसमें पूंजी छोड़कर 2 से 2.50 लाख का मुनाफा कर रही हैं.

गांव में हो जाता है सारा सेल

रिंकू देवी ने आगे यह भी बताया कि घर की माली हालात सही नहीं होने की वजह से समूह के ज़रिए घर से बाहर निकली. आज मछलीपालन कर पहचान बना चुकी हैं. रिंकू देवी पति और तीन पुत्रों के साथ मछली पालन कर रही हैं. 2004-05 में आलू प्याज़ की खेती किया करती थीं. आज दो एकड़ में मछली की फार्मिंग करती हैं. इनका सारा मछली लोकल मार्केट में ही बिक जाती है. यहीं वह पूरा नहीं कर पाती हैं.

गांव से ही सारा सेल हो जाता है. एक फंगस मछली का वजन एक से डेढ़ किलोग्राम होता है. जो बाज़ार में सवा से 150 रुपए प्रति किलो बिकता है. जिसे तैयार होने में 6 से 8 महीने का वक्त लगता है. यही नहीं पंगस मछली का ग्रामीण इलाकों में डिमांड ज़्यादा है. इनके मछली पालन का गुर सीखने आसपास के लोग आते भी है.

Tags: Bihar News, Nalanda news

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