झालसा रांची के निर्देशानुसार लोक अदालत का आयोजन
पाकुड़ व्यवहार न्यायालय परिसर में आज झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (झालसा), रांची के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार, पाकुड़ के तत्वावधान में मासिक लोक अदालत का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, पाकुड़, शेष नाथ सिंह ने की। इस मासिक लोक अदालत का उद्देश्य पक्षकारों के बीच आपसी सहमति से विवादों का शीघ्र और सौहार्दपूर्ण समाधान सुनिश्चित करना रहा।
नौ बेंचों का गठन और 27 वादों का निष्पादन
इस मासिक लोक अदालत के आयोजन के दौरान कुल नौ बेंचों का गठन किया गया था, जिनके माध्यम से कुल 27 वादों का सफलतापूर्वक निपटारा किया गया। वादों के निष्पादन के साथ ही अदालत ने पक्षकारों के बीच आपसी सहमति से कुल 50,000 रुपये का समझौता भी संपन्न कराया। यह समझौता न केवल पक्षकारों के लिए राहतकारी रहा, बल्कि न्यायालयों पर लंबित वादों के बोझ को भी कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
वरिष्ठ न्यायिक अधिकारियों की सक्रिय सहभागिता
इस अवसर पर प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश शेष नाथ सिंह के साथ-साथ कई वरिष्ठ न्यायिक अधिकारियों ने भी अपनी उपस्थिति और सक्रिय सहभागिता से कार्यक्रम को सफल बनाया। इनमें प्रधान न्यायाधीश, कुटुंब न्यायालय सुधांशु कुमार शशि, अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम कुमार क्रांति प्रसाद, मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी संजीत कुमार चंद्रा, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार रूपा बंदना किरो, अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी विशाल मांझी, तथा प्रभारी न्यायाधीश विजय कुमार दास शामिल रहे। सभी न्यायिक अधिकारियों ने मिलकर लोक अदालत के संचालन को सुगम और प्रभावी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पक्षकारों की उत्साही भागीदारी
इस मासिक लोक अदालत में वादी और प्रतिवादी दोनों पक्षों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से अपने विवादों का समाधान कर न्यायिक प्रक्रिया को सरल और त्वरित बनाने में सहयोग दिया। लोक अदालत के इस आयोजन ने यह संदेश दिया कि आपसी संवाद और समझौते के माध्यम से बड़े से बड़े विवादों का समाधान शांति और सौहार्द के साथ संभव है।
समापन और भविष्य की दिशा
कार्यक्रम के अंत में उपस्थित न्यायिक अधिकारियों ने लोक अदालत के महत्व पर प्रकाश डाला और इसे न्याय वितरण प्रणाली का एक सशक्त माध्यम बताया। उन्होंने कहा कि भविष्य में भी ऐसे आयोजन होते रहेंगे ताकि आम नागरिकों को शीघ्र और सहज न्याय प्राप्त हो सके। लोक अदालत के माध्यम से न केवल समय की बचत होती है, बल्कि न्याय पाने की प्रक्रिया भी सरल और किफायती बनती है।