Wednesday, November 27, 2024
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जिले से खसरा एवं रूबेला के ख़ात्मे हेतु चलाया जाएगा एमआर कैंपेन

12 अप्रैल 2023 से शुरू होगा टीकाकरण अभियान 9 माह से 15 वर्ष की आयु के बच्चों को लगाया जाएगा टीका

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पाकुड़ । समाहरणालय स्थित सभागार में उपायुक्त वरुण रंजन की अध्यक्षता में स्वास्थ्य विभाग से संबधित ज़िला स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक आयोजित की गई।

बैठक में उपायुक्त के द्वारा बताया गया कि जिले में अप्रैल 2023 से खसरा एवं रूबेला की रोकथाम हेतु एमआर कैंपेन का आयोजन किया जाना है। जिसके तहत 9 माह से 15 वर्ष तक के बच्चों को खसरा एवं रूबेला की अतिरिक्त खुराक दी जाएगी। इस कार्यक्रम के सफल संचालन एवं स्वास्थ्य विभाग, नियमित टीकाकरण कालाजार, टीवी परिवार कल्याण कार्यक्रम इत्यादि में सहयोग हेतु सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी, समाज कल्याण विभाग, कार्यपालक पदाधिकारी नगर परिषद, सभी प्रोग्राम पदाधिकारी, आयुष पदाधिकारी, शिक्षा पदाधिकारी, श्रम अधीक्षक, अंचल पदाधिकारी एवं बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम प्रबंधन इकाई के सहयोग एवं रणनीति के तहत बीमारी से निपटने हेतु समीक्षा की गई। बैठक के दौरान स्वास्थ विभाग के अधिकारियों के द्वारा सर्वप्रथम सभी को मीजल्स एवं रूबेला बीमारी से संबंधित सभी पहलुओं से अवगत कराया गया।

आइए जानतें हैं खसरा क्या है?

खसरा एक वायरल बीमारी है जो अत्यधिक संक्रामक है।

यह संक्रमित व्यक्ति के नाक, गले या मुंह की बूंदों से फैलता है।

खसरे का टीका 1963 में पेश किया गया था और इससे पहले इस बीमारी से हर साल 20 लाख से ज्यादा मौतें होती थीं।

वर्तमान में, एक सुरक्षित और प्रभावी टीके की उपलब्धता के बावजूद, दुनिया भर में हर साल लाखों बच्चे खसरे से प्रभावित होकर मर जाते हैं। मरने वालों में ज्यादातर पांच साल से कम उम्र के हैं।

खसरा वायरस पैरामाइक्सोवायरस परिवार से संबंधित है और यह आम तौर पर सीधे संपर्क और हवा के माध्यम से फैलता है।

दुनिया भर में आक्रामक टीकाकरण अभियान के कारण, 2000 से 2018 तक खसरे से होने वाली मौतों में लगभग 73% की गिरावट आई है।

खसरे के लक्षण आमतौर पर संक्रमण के 10-12 दिन बाद दिखाई देते हैं

सामान्य लक्षण हैं:-

  • तेज़ बुखार,
  • बहती नाक,
  • लाल आंखें,
  • मुंह के अंदर छोटे सफेद धब्बे,
  • चेहरे, गर्दन के ऊपरी हिस्से पर नीचे की ओर फैलने वाले चकत्ते (यह कई दिनों के बाद दिखाई देते हैं)

रूबेला क्या है?

रूबेला सामान्य रूप से हल्का वायरल संक्रमण है जो युवा वयस्कों के साथ-साथ बच्चों को भी प्रभावित करता है।

यह संक्रामक है और इसका कोई ज्ञात इलाज नहीं है, हालांकि इसे टीकाकरण से रोका जा सकता है।
अगर गर्भवती महिला रूबेला से संक्रमित हो जाती है तो यह अजन्मे बच्चे के लिए बहुत खतरनाक है।
यह अंधापन या अपरिवर्तनीय जन्म दोष (जन्मजात रूबेला सिंड्रोम) पैदा कर सकता है।

इसी क्रम में आगे बताया गया की मीजल्स एवं रूबेला बीमारी को भारत सरकार 2023 तक खत्म करने हेतु प्रतिबद्ध है। इसके लिए लक्षित समूह के बच्चों को एमआर टीकाकरण अभियान के तहत दो डोज़ टीका लगाया जाएगा। इसी अभियान से जुड़े निगरानी मीटिंग एप्स को चिन्हित करना, हाई एफीकेसी मीजल्स रूबेला वैक्सीन की उपलब्धता 95% बच्चों का टीकाकरण करना, रूटीन इम्यूनाइजेशन कवरेज को बढ़ाने पर बिंदुवार चर्चा की गई।

इस क्रम में बताया गया कि सेविका, सहिया की भूमिका एएनएम, जीएनएम की भूमिका प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी एवं प्रखंड विकास पदाधिकारी महिला पर्यवेक्षिका का समन्वय इस टीकाकरण के लिए बेहद आवश्यक है। बैठक के दौरान उपायुक्त ने जिला समाज कल्याण विभाग तथा जेएसएलपीएस कि स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को अपने-अपने क्षेत्रों में टीकाकरण के प्रति लोगों को जागरूक करने तथा निजी एवं रूबेला जैसी खतरनाक बीमारियों के दुष्प्रभाव को बताते हुए टीकाकरण की उपयोगिता के विषय में जानकारी देने का निर्देश दिया।

इसी संबंध में उन्होंने प्रखंड स्तर पर प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी, शिक्षा प्रसार पदाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारियों के संबंध में टास्क फोर्स की बैठक कर इसके बारे में संपूर्ण जानकारी देने एवं टीकाकरण के विभिन्न चरणों को उनसे साझा करते हुए टीकाकरण का कवरेज लक्ष्य अनुरूप शत-प्रतिशत सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया। वहीं उन्होंने इससे संबंधित माइक्रोप्लान बनाने डिस्ट्रिक्ट लेवल प्रशिक्षण कार्यक्रम सभी विद्यालयों के प्रिंसिपल एवं नोडल को प्रशिक्षित करने स्वास्थ्य विभाग के कर्मी जैसे एएनएम को ट्रेनिंग देने, सहिया को ट्रेनिंग देने, प्रशिक्षण को सुपरवाइज करने निजी अस्पताल एवं आयुष चिकित्सकों का प्रशिक्षण, सभी शिक्षकों का प्रशिक्षण,ग्राम प्रधान, मुख्य सचिव वार्ड मेंबर कोच के विषय में बताते हुए उनका सहयोग लेने एवं लोगों को जागरूक एवं अवगत कराने से संबंधित बिंदुवार चर्चा एवं विचार विमर्श किया गया। वहीं बताया गया कि जिले के सभी 6 प्रखंडों में 334361 लक्षित समूह के बच्चों को टीका करने का लक्ष्य रखा गया है यह टीकाकरण 9 महीने से 15 वर्ष के आयु के बच्चों को किया जाएगा।वैक्सीनेशन का कार्य पूरी तरह से प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा किया जाएगा जिससे आने वाले दिनों में हम जिले से खसरा एवं रूबेला जैसी खतरनाक बीमारियों को खत्म करने में कामयाब हो सकेंगे।

मौके पर सिविल सर्जन डॉ मंटू कुमार टेकरीवाल, एसीएमओ डॉ अरविंद कुमार, डीआरसीएचओ डॉ मनीष कुमार सिन्हा, संबंधित विभाग के पदाधिकारी, सभी प्रखंड के एमओआईसी, डब्ल्यूएचओ के एस.एम.ओ डॉ शिरीष एवं जिला डाटा प्रबंधक प्रताप कुमार समेत अन्य उपस्थित थे।

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