Friday, January 24, 2025
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भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर को दी गई श्रद्धांजलि, नाई समाज ने की प्रतिमा निर्माण की मांग

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कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर नाई समाज ने किया विशेष आयोजन

पाकुड़। जिले में जिला नाई समाज उत्थान समिति द्वारा भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर की 101वीं जयंती बड़े ही सम्मान और उत्साह के साथ मनाई गई। इस अवसर पर समिति के सदस्यों ने कर्पूरी ठाकुर को पुष्प अर्पित कर उनकी स्मृति को नमन किया। आयोजन के दौरान मिठाई का वितरण किया गया, जिसमें समिति के अधिकारी और नाई समाज के लोग उपस्थित थे।

समिति ने प्रतिमा निर्माण की मांग उठाई
नाई समाज उत्थान समिति ने पाकुड़ जिला प्रशासन से कर्पूरी ठाकुर की भव्य प्रतिमा स्थापित करने की मांग की है। समिति का कहना है कि कर्पूरी ठाकुर जैसे महान नेता की प्रतिमा शहर में स्थापित होना चाहिए ताकि नई पीढ़ी उनके आदर्शों और योगदान से प्रेरणा ले सके। इस दौरान डॉक्टर देवकांत ठाकुर, मनोज ठाकुर, विजय भंडारी, सदानंद ठाकुर, संजय ठाकुर, विभीषण ठाकुर, सचिन ठाकुर, रवि ठाकुर जैसे प्रमुख सदस्यों ने अपने विचार व्यक्त किए।

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कर्पूरी ठाकुर: जननायक और समाजवादी नेता
कर्पूरी ठाकुर को “जननायक” के नाम से जाना जाता है। वे भारतीय राजनीति के ऐसे विशिष्ट नेता थे, जिन्होंने समाजवाद, समानता और सामाजिक न्याय की नई परिभाषा दी। 1942 के स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर बिहार के 11वें मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल तक, उन्होंने हर स्तर पर जनता के हित में काम किया।

प्रारंभिक जीवन और राजनीतिक सफर
कर्पूरी ठाकुर का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ और उन्होंने जयप्रकाश नारायण, डॉ. राममनोहर लोहिया और रामनंदन मिश्रा जैसे महान समाजवादी नेताओं के मार्गदर्शन में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की। उन्होंने नाई समुदाय का प्रतिनिधित्व किया, जो ओबीसी के तहत अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) के रूप में सूचीबद्ध है।
उन्होंने 1952 में राजनीति में कदम रखा और 1985 तक विधायक के रूप में लगातार जनता की सेवा की।

मुख्यमंत्री के रूप में उनके ऐतिहासिक निर्णय
कर्पूरी ठाकुर ने दो बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। उनका कार्यकाल 1970-71 और 1977-79 तक रहा। उनके मुख्यमंत्रित्व काल में कई ऐतिहासिक निर्णय लिए गए।

  1. मुंगेरी लाल आयोग की सिफारिशों के आधार पर, उन्होंने पिछड़े वर्गों को अत्यंत पिछड़े वर्गों (EBC) और अन्य पिछड़े वर्गों में पुनर्वर्गीकृत किया।
  2. वर्ष 1978 में, उन्होंने 26% आरक्षण का एक अनूठा मॉडल प्रस्तुत किया, जिसमें OBC, EBC, महिलाओं और उच्च जातियों के आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए विशेष कोटा सुनिश्चित किया गया। यह मॉडल बाद में मंडल आयोग की सिफारिशों का आधार बना।

शिक्षा और भाषा क्षेत्र में योगदान
कर्पूरी ठाकुर ने शिक्षा और भाषाई विकास के क्षेत्र में भी अहम योगदान दिया। उन्होंने स्कूलों की फीस माफ कर दी, जिससे लाखों गरीब परिवारों के बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिला। इसके अलावा, उन्होंने हिंदी और उर्दू को दूसरी आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता देकर भाषाई विविधता को बढ़ावा दिया।

सामाजिक न्याय के समर्थक और पंचायती राज के प्रवर्तक
कर्पूरी ठाकुर ने पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत किया और ग्रामीण क्षेत्रों में लोकतंत्र को बढ़ावा दिया। उनके प्रयासों से समाज के हाशिये पर खड़े वर्गों को मुख्यधारा में आने का मौका मिला।

नाई समाज का कर्पूरी ठाकुर को नमन
पाकुड़ में आयोजित इस कार्यक्रम में नाई समाज ने कर्पूरी ठाकुर के आदर्शों को आत्मसात करने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि कर्पूरी ठाकुर की जीवनगाथा नई पीढ़ी को प्रेरणा देने वाली है। उनकी प्रतिमा का निर्माण उनकी स्मृतियों को जीवित रखने और समाज में उनके योगदान को याद करने का एक सार्थक कदम होगा।

कर्पूरी ठाकुर की विरासत और वर्तमान पीढ़ी
कर्पूरी ठाकुर ने अपने कार्यों और समाजवादी विचारधारा से भारत के सामाजिक ढांचे में बड़ा बदलाव किया। उनकी नीतियां आज भी प्रासंगिक हैं और सामाजिक समानता के क्षेत्र में प्रेरणा स्रोत हैं। नाई समाज की यह पहल उनके योगदान को सम्मान देने और जनता को उनकी विरासत से जोड़ने का महत्वपूर्ण प्रयास है।

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