Saturday, May 10, 2025
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NASA के Perseverance रोवर को मंगल पर दिखे गहरे पानी के सबूत! कभी बहाए गए थे भारी-भरकम पत्थर!

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अंतरिक्ष एजेंसी NASA मंगल मिशन में लगातार खोज कर रही है कि क्या यहां पर कभी पानी रहा होगा! नासा का ये अभियान जारी है और एजेंसी लगातार इस ग्रह के बारे में जानकारियां इकट्ठा करने में लगी है। कहा जाता है कि जहां पानी हो सकता है, वहां जीवन भी हो सकता है। नासा का पर्सेवरेंस रोवर लगातार मंगल की सतह पर खोज कर रहा है। अब यहां पर एक ऐसी जगह मिली है जहां पानी बहने जैसे निशान देखे जा सकते हैं। इतना ही नहीं, इसने भारी-भरकम पत्थर ढोए होंगे, ऐसा कहा गया है! तो क्या मंगल पर कभी नदी बह रही थी?

स्पेस एजेंसी नासा के पर्सेवरेंस रोवर को मंगल के जेजेरो क्रेटर (Jezero Crater) पर एक ऐसी जगह दिखाई दी है जिसे देखकर लगता है कि यहां कभी भारी मात्रा में पानी बह रहा होगा। नासा ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर इसकी जानकारी दी है। रोवर को यहां एक बॉल्डर फील्ड यानि ऐसी जगह मिली है जो कोणीय पत्थरों से भरी हुई है। इन पत्थरों के आकार और बनावट को देखकर लगता है कि ये पानी द्वारा बहाकर लाए गए हैं। ये ठीक वैसे ही दिख रहे हैं जैसे धरती पर किसी नदी के रास्ते में इकट्ठा हुए पत्थर दिखते हैं। 

NASA ने इसके बारे में लिखा है, ‘ये पत्थर पानी द्वारा ढोए गए हैं, यह पानी या तो बहुत गहरा रहा होगा या फिर बहुत तेज बहाव वाला रहा होगा।’ नासा ने जो फोटो शेयर की है उसे देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि कैसे रोवर यहां खोजबीन कर रहा है। इसके टायर के निशान यहां साफ देखे जा सकते हैं। रोवर में 6 पहिए लगे हैं। सभी पहिए 20 इंच साइज के हैं। इन पहियों के निशान से तुलना कर अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां पर कितने भारी पत्थर पानी द्वारा बहाए गए हैं। 

इससे पहले नासा के क्यूरोसिटी रोवर को भी एक ऐसी जगह मंगल पर मिली थी जहां पर किसी पानी की झील के होने का अंदेशा लगाया था। ये निशान मंगल के एक खास क्षेत्र में मिले थे जिसे सल्फेट बियरिंग यूनिट के नाम से जाना जाता है। यहां के बारे में इससे पहले शोधकर्ता ये मानकर चल रहे थे कि जो चट्टानें यहां बनी हैं वे सिकुड़ रही हैं। क्योंकि इन पर लहरों की आकृति वाले निशान पाए गए थे। लेकिन नई खोज के बाद वैज्ञानिकों का कहना है कि यह पानी के किसी प्राचीन स्रोत की निशानी हो सकती है। कुल मिलाकर अभी तक मिले सबूतों के आधार पर कहा जा सकता है कि मंगल पर कभी भारी मात्रा में पानी रहा होगा। क्योंकि यहां सूखी झीलें, झरने और यहां तक कि लहरों के निशान भी खोजे जा चुके हैं। 
 

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