देवघर. इस बार सावन महीने में 18 जुलाई से मलमास शुरू होने जा रहा. बता दें कि 19 साल बाद ऐसा दुर्लभ संयोग बैठ रहा कि इस बार पूरे 59 दिनों तक सावन रहनेवाला है. देवघर के प्रसिद्ध तीर्थ पुरोहित दुर्लभ मिश्रा बताते हैं कि मलमास के महीने में गृह प्रवेश, शादी विवाह, मुंडन जैसे मांगलिक कार्य करने मनाही होती है. ऐसे में लोगों के मन में दुविधा है कि मलमास के दौरान कांवड़ यात्रा करनी चाहिए या नहीं.
तीर्थ पुरोहित दुर्लभ मिश्रा ने लोकल 18 को बताया कि हर तीन साल में मलमास पड़ता है. इस मास को अधिकमास भी कहते हैं. वहीं 19 साल बाद ऐसा संयोग बैठ रहा है कि सावन के महीने मे मलमास पड़ने जा रहा है. इस मास को पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं. तीर्थ पुरोहित बताते हैं कि हर मास के एक स्वामी देवता होते हैं. अधिक मास के स्वामी श्री हरि विष्णु भगवान माने जाते हैं. भगवान विष्णु के अवतार श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है. अतः अधिक मास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है.
कांवड़ यात्रा सही या नहीं
तीर्थ पुरोहित दुर्लभ मिश्रा बताते हैं कि मलमास में मांगलिक कार्य शादी, मुंडन, जनेऊ, गृहप्रवेश जैसे कार्य की मनाही होती है. इन सब कार्य में गुरु ग्रह का प्रभाव होना अवश्यक माना जाता है, जो मलमास माह में कम हो जाता है. लेकिन मलमास में पूजा पाठ करने की मनाही नहीं रहती. इसलिए कांवड़ यात्रा करने से कोई दिक्कत नहीं है. हां, बिहार के लोग मलमास में कांवड़ यात्रा नहीं करते, क्योंकि मगध सम्राट जराशंध का वध मलमास महीने में ही हुआ था. तो मगध साम्राज्य के लोग एक महीना शोकाकुल रहते हैं. सभी जराशंध के शव यात्रा में शामिल होने राजगीर पहुंचते हैं. वहीं जराशंध का वध शिव के आशीर्वाद से भीम के हाथों हुआ था. इसलिए एक महीना 33 कोटि देवी देवता राजगीर में वास करते हैं. यही कारण बिहार के लोग मलमास में कांवड़ यात्रा नहीं करते.
कब से है मलमास
हिन्दू पंचांग के अनुसार 4 जुलाई से 17 जुलाई तक शुद्ध श्रावण माह रहेगा. फिर 18 जुलाई से 16 अगस्त तक मलमास का महीना रहनेवाला है. फिर 17 अगस्त से 31 अगस्त शुद्ध श्रावण का महीना रहनेवाला है.
Source link