संथाल वीरों को दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि
बीस सूत्री उपाध्यक्ष सह सांसद प्रतिनिधि श्याम यादव ने सिदो-कान्हू जयंती के अवसर पर पाकुड़ के सिदो कान्हू पार्क पहुंचकर महान स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धा सुमन अर्पित किए। उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ ऐतिहासिक संथाल विद्रोह का नेतृत्व करने वाले सिदो और कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया। इस मौके पर उपस्थित लोगों ने भी इन महापुरुषों के साहस, बलिदान और प्रेरणादायक संघर्ष को याद किया।
संथाल विद्रोह को बताया आज़ादी की नींव का प्रतीक
श्याम यादव ने इस अवसर पर कहा कि सिदो और कान्हू मुर्मू न केवल संथाल समाज के बल्कि पूरे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के गौरवशाली प्रतीक हैं। उन्होंने अंग्रेजी शासन की दमनकारी नीतियों के खिलाफ विद्रोह कर आज़ादी की पहली चिंगारी जलाई थी। उनका संघर्ष आज भी समाज को अन्याय के खिलाफ एकजुट होकर खड़े होने की प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि सिदो-कान्हू जैसे योद्धाओं का योगदान भारत के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज है।
कार्यक्रम में दिखा जनप्रतिनिधियों और कार्यकर्ताओं का उत्साह
इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम में हबीबुर्रहमान, हलीम अंसारी, दयानंद भगत सहित कई अन्य सामाजिक कार्यकर्ता और स्थानीय लोग शामिल हुए। सभी ने सिदो-कान्हू की प्रतिमा पर फूल अर्पित कर उन्हें अपनी श्रद्धा अर्पित की। कार्यक्रम के दौरान उपस्थित जनों ने उनके आदर्शों को जीवन में अपनाने का संकल्प लिया और समाज में एकता, साहस और न्याय के मूल्यों को आगे बढ़ाने की बात कही।
समाज और युवाओं के लिए प्रेरणा हैं सिदो-कान्हू
कार्यक्रम में वक्ताओं ने यह भी कहा कि युवा पीढ़ी को सिदो-कान्हू जैसे महानायकों के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। उनका संघर्ष न केवल राजनीतिक था, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक चेतना का प्रतीक भी था। आज के समय में जब समाज अनेक चुनौतियों से गुजर रहा है, तब ऐसे वीरों का स्मरण और उनके विचारों को अपनाना अधिक जरूरी हो गया है।
सिदो-कान्हू जयंती का यह आयोजन सिर्फ एक श्रद्धांजलि नहीं था, बल्कि देशभक्ति, सामाजिक चेतना और ऐतिहासिक विरासत को सम्मान देने का अवसर भी था। सांसद प्रतिनिधि श्याम यादव और अन्य उपस्थित जनों ने यह संदेश दिया कि इतिहास के इन वीरों की स्मृति को संजोकर, समाज को आगे बढ़ाने की दिशा में सभी को मिलकर कार्य करना होगा।