Friday, July 4, 2025
HomePakurस्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर भाजपा ने किया भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पण, युवाओं...

स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर भाजपा ने किया भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पण, युवाओं को दी प्रेरणा

देश प्रहरी की खबरें अब Google news पर

क्लिक करें

स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने किया माल्यार्पण

स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि के अवसर पर भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा द्वारा एक विशेष श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम युवा मोर्चा के जीतू सिंह के नेतृत्व में संपन्न हुआ, जिसमें भाजपा कार्यकर्ताओं ने स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य स्वामी विवेकानंद के अध्यात्म, विचार और राष्ट्र चेतना को स्मरण कर युवाओं को उनके पदचिह्नों पर चलने हेतु प्रेरित करना था।


जिलाध्यक्ष अमृत पाण्डेय ने दिए स्वामी विवेकानंद के संदेश

इस अवसर पर भाजपा जिलाध्यक्ष अमृत पाण्डेय ने कहा कि स्वामी विवेकानंद का जीवन दर्शन आज भी युवाओं के लिए प्रकाशपुंज है। उन्होंने कहा, “स्वामी विवेकानंद का मूलमंत्र था — ‘एक समय में एक काम करो और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमें डाल दो, बाकी सब कुछ भूल जाओ।’” यह मंत्र आज के दौर में भी प्रासंगिक है और हमें अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्रता और समर्पण की सीख देता है।


वैश्विक मंच पर भारतीय अध्यात्म के अग्रदूत

स्वामी विवेकानंद ने विश्व स्तर पर भारतीय संस्कृति, वेदांत और योग का प्रचार-प्रसार कर भारतीय अध्यात्म को नई पहचान दिलाई। उन्होंने न केवल ब्रिटिश शासन काल में राष्ट्रवाद को नया दृष्टिकोण प्रदान किया, बल्कि अध्यात्म को राष्ट्र निर्माण से भी जोड़ा। विवेकानंद ने जातिवाद, शिक्षा, धर्मनिरपेक्षता और मानवता जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर सशक्त विचार प्रस्तुत किए, जो आज भी समाज के मार्गदर्शन में सहायक हैं।


शिकागो में दिया ऐतिहासिक भाषण, दिलाई वैश्विक पहचान

1893 में शिकागो विश्व धर्म सम्मेलन में दिए गए उनके ऐतिहासिक भाषण ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध कर दिया। उन्होंने अपने संबोधन की शुरुआत “अमेरिकी भाइयों और बहनों” से की, जिसने पूरा सभागार तालियों से गूंजा दिया। उन्होंने कहा,
“मुझे गर्व है कि मैं उस धर्म से हूं जिसने दुनिया को सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है। हम सिर्फ सहिष्णुता में विश्वास नहीं करते, बल्कि सभी धर्मों को सत्य रूप में स्वीकार करते हैं।”
इस भाषण के माध्यम से उन्होंने भारत के सांस्कृतिक गौरव और अध्यात्म को पूरी दुनिया में स्थापित किया।


खेतड़ी राज्य से मिला ‘विवेकानंद’ नाम

स्वामी विवेकानंद को यह नाम वर्ष 1893 में खेतड़ी राज्य के महाराजा अजीत सिंह के अनुरोध पर प्राप्त हुआ। इससे पहले वे नरेंद्रनाथ दत्त के नाम से जाने जाते थे। विवेकानंद नाम धारण कर उन्होंने जीवन भर भारतीय ज्ञान परंपरा, वेदांत और योग का प्रचार किया।


बेलूर मठ में हुआ जीवन का समापन

स्वामी विवेकानंद का निधन 4 जुलाई 1902 को बेलूर मठ में हुआ, लेकिन उनके विचार, दर्शन और शिक्षाएं आज भी समाज और युवाओं के लिए मार्गदर्शक हैं। उन्होंने उपनिषदों, भगवद गीता, साथ ही गौतम बुद्ध और ईसा मसीह के विचारों से प्रेरणा लेकर भारतीय अध्यात्म को वैज्ञानिक और व्यावहारिक दृष्टिकोण के साथ दुनिया के समक्ष प्रस्तुत किया।


अनेक पदाधिकारियों ने दी श्रद्धांजलि, दिखा संगठन का एकजुट भाव

इस कार्यक्रम में भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति ने आयोजन को गरिमा प्रदान की। जिला महामंत्री रूपेश भगत, जिला उपाध्यक्ष धर्मेंद्र त्रिवेदी, महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष शबरी पाल, नगर अध्यक्ष सोहन मंडल, पवन भगत, तथा आलोक मंडल ने भी स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। सभी ने उनके जीवन और विचारों को समाज और राष्ट्र निर्माण के लिए प्रेरणास्त्रोत बताया।


स्वामी विवेकानंद — एक युगद्रष्टा, एक प्रेरणा

स्वामी विवेकानंद का जीवन केवल एक संन्यासी का जीवन नहीं था, बल्कि वह एक युगद्रष्टा, एक राष्ट्र निर्माता और एक विश्वदूत थे। उनका सपना था कि भारत एक बार फिर विकास, आत्मविश्वास और सांस्कृतिक समृद्धि के शिखर पर पहुंचे। उनकी पुण्यतिथि पर यह श्रद्धांजलि कार्यक्रम उनके सपनों के भारत को साकार करने की दिशा में एक प्रेरणादायक प्रयास सिद्ध हुआ।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments