पाकुड़। जिले में बीते जुलाई माह में कुमार कालिदास मेमोरियल कॉलेज में हुए एक घटना के बाद आदिवासी छात्रों और पुलिस के बीच विवाद ने तूल पकड़ लिया। आदिवासी छात्रों पर हुई पुलिस कार्रवाई के विरोध में भारत जकात मांझी परगना महल के बैनर तले जिला मुख्यालय के बाहर एक दिवसीय प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन का नेतृत्व झारखंड प्रभारी चंद्र मोहन मांडी ने किया।
आदिवासी छात्रों पर बर्बर कार्रवाई का आरोप
चंद्र मोहन मांडी ने प्रदर्शन के दौरान पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना था कि बिना किसी प्राथमिक जांच के एक व्यक्ति के लापता होने की खबर पर पुलिस ने आदिवासी छात्रों के साथ बर्बरता पूर्वक पिटाई की। इस कार्रवाई को छात्रों के आंदोलन को दबाने की साजिश बताया गया। उन्होंने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि आदिवासी छात्रों को सुरक्षा देने के बजाय उन्हें ही पिटा गया और उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर दी गई।
प्रदर्शन में चेतावनी
चंद्र मोहन मांडी ने यह भी स्पष्ट किया कि यह विरोध प्रदर्शन पूरी तरह से शांतिपूर्ण है, लेकिन यदि सरकार आदिवासी छात्रों पर दर्ज प्राथमिकी को वापस नहीं लेती तो आने वाले दिनों में जबरदस्त आंदोलन किया जाएगा। मांडी ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि छात्रों को न्याय नहीं मिला तो दुमका में भी आर्थिक नाकेबंदी की जाएगी और प्रदर्शन उग्र हो सकता है।
भाजपा नेताओं का समर्थन
प्रदर्शन में भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक लोबिन हेंब्रम भी शामिल थे। भाजपा ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया है। छात्रों से मिलने के लिए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, सांसद निशिकांत दुबे, और असम के मुख्यमंत्री तक पहुंचे थे। इन नेताओं ने सरकार पर कड़ा प्रहार करते हुए इस मुद्दे को राजनीतिक रंग दिया। इसके अलावा, एसटी आयोग की टीम भी इस मामले की जांच के लिए पहुंची थी।
प्रदर्शन का मुख्य कारण
मूल रूप से यह विवाद महेशपुर स्थित गया बथान में आदिवासियों की जमीन हड़पने के मुद्दे से शुरू हुआ था। आदिवासी छात्र जमीन हड़पने के विरोध में आवाज उठा रहे थे, लेकिन इस दौरान पुलिस और छात्रों के बीच टकराव हुआ। छात्रों का कहना है कि उन्हें न्याय दिलाने के बजाय उनपर अत्याचार किया गया।
आदिवासी मुख्यमंत्री के राज्य में अत्याचार
चंद्र मोहन मांडी ने झारखंड में आदिवासी मुख्यमंत्री होने के बावजूद आदिवासियों पर हो रहे अत्याचारों को दुःखद बताया। उन्होंने कहा कि आदिवासियों की सुरक्षा और अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए और छात्रों के खिलाफ दर्ज मामले को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।
आगे की रणनीति
प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने यह भी कहा कि अगर मांगे नहीं मानी जातीं, तो प्रदर्शन और उग्र हो सकता है। आने वाले दिनों में राज्य के अन्य हिस्सों में भी इसी तरह के प्रदर्शन किए जा सकते हैं, ताकि सरकार पर दबाव बनाया जा सके।
इस प्रदर्शन में आदिवासी छात्रों के साथ-साथ भारत जकात मांझी परगना महल के अन्य सदस्य और स्थानीय नेता शामिल हुए। सभी ने एकजुट होकर सरकार से प्राथमिकी को वापस लेने की मांग की और छात्रों के साथ न्याय की अपील की।