पाकुड़। झालसा रांची के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकार पाकुड़ के तत्वाधान में मासिक लोक अदालत का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश और जिला विधिक सेवा प्राधिकार पाकुड़ के अध्यक्ष शेष नाथ सिंह ने की। आयोजन का स्थल पाकुड़ का व्यवहार न्यायालय था, जहां यह लोक अदालत सफलतापूर्वक आयोजित की गई।
नौ बेंचों का गठन, सुलह समझौते से वादों का निपटारा
लोक अदालत में कुल नौ बेंचों का गठन किया गया, जिनकी देखरेख अलग-अलग न्यायिक अधिकारियों ने की। इस अवसर पर सुलह समझौता के आधार पर तीन वादों का निष्पादन किया गया। इन वादों के निपटारे के दौरान कुल बीस लाख सत्रह हजार रुपए का समझौता भी कराया गया, जो एक बड़ी सफलता मानी जा रही है। इस प्रक्रिया से न्यायालय में लंबित मामलों में त्वरित समाधान और न्याय की प्रक्रिया को सरल बनाने में मदद मिली।
न्यायिक अधिकारियों की सक्रिय उपस्थिति और योगदान
मौके पर उपस्थित रहे प्रमुख न्यायिक अधिकारियों में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश शेष नाथ सिंह, अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम कुमार क्रांति प्रसाद, और अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी सह प्रभारी सचिव डालसा विशाल मांझी ने लोक अदालत के आयोजन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसके अलावा, अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी सादिश उज्जवल बेक और प्रभारी न्यायाधीश विजय कुमार दास भी इस कार्यक्रम में मौजूद रहे। सभी न्यायिक अधिकारियों की उपस्थिति और सक्रियता ने लोक अदालत की सफलता को और अधिक सुनिश्चित किया।
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वादियों और प्रतिवादियों की उपस्थिति
मासिक लोक अदालत में वादी और प्रतिवादी की भी सक्रिय उपस्थिति रही, जिससे अदालत के माध्यम से उनके विवादों का समाधान शीघ्रता से हुआ। लोक अदालत का मुख्य उद्देश्य न्याय दिलाने की प्रक्रिया को सरल और सुलभ बनाना था, जो कि इस आयोजन में पूरी तरह से सफल रहा।
लोक अदालत का महत्व
लोक अदालतें लोगों को समयबद्ध और कम खर्चीली न्याय प्रक्रिया प्रदान करने में मदद करती हैं। इस कार्यक्रम ने यह साबित कर दिया कि सुलह और समझौते के माध्यम से लंबित वादों का शीघ्र समाधान किया जा सकता है। यह आयोजन न्यायपालिका की एक अहम पहल मानी जा रही है, जो नागरिकों को न्याय की प्रक्रिया से जोड़ने में मदद करता है।