पाकुड। रेलवे परिसर स्थित दुर्गा पूजा पंडाल में विजयादशमी के पावन अवसर पर पारंपरिक शस्त्र पूजन का आयोजन किया गया। इस पवित्र आयोजन में सामाजिक कार्यकर्ता हिसाबी राय के नेतृत्व में युवाओं और मातृशक्ति ने पारंपरिक वैदिक मंत्रों के साथ मां दुर्गा की प्रतिमा के समीप शस्त्र पूजन किया। पुरोहित सजल चटर्जी और सुभो सहाना द्वारा यजमान अनिकेत गोस्वामी के नेतृत्व में पूजन विधिवत संपन्न कराया गया।
पूजा मंडप में जय माता दी, जय मां दुर्गे, जय श्री राम, हर हर महादेव के जयघोष गूंज उठे, जिससे समूचा मंडप भक्तिमय हो गया। इस शस्त्र पूजन में युवाओं और मातृशक्ति का उत्साह देखते ही बनता था, और कई श्रद्धालुओं ने अपने शस्त्रों का सामूहिक रूप से पूजन किया।
शस्त्र पूजन की परंपरा और विजयदशमी का महत्व
इस आयोजन में उपस्थित मातृशक्ति सम्पा साहा ने बताया कि दशहरा के पावन अवसर पर शस्त्र पूजन की परंपरा सदियों पुरानी है। इस दिन हर घर में शास्त्रों की पूजा होती है, जो शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक है। श्रीमती साहा ने आगे कहा, “दशहरा असत्य पर सत्य की विजय का पर्व है। यह वह दिन है जब मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने रावण का वध किया और देवी दुर्गा ने महिषासुर को पराजित किया, जिससे बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश मिला।”
श्रद्धालुओं की उपस्थिति और उत्साह
शस्त्र पूजन कार्यक्रम में अनेक प्रतिष्ठित लोग और श्रद्धालु उपस्थित थे। इनमें बाबुधन मुर्मू, पार्वती देवी, अखिलेश कुमार चौबे, पिंकी मंडल, संतोष कुमार ठाकुर, प्रभाती मंडल, राणा शुक्ला, वर्षा चटर्जी शामिल थे। सभी श्रद्धालुगण उत्साह से भरपूर थे और शस्त्र पूजन में भागीदारी कर रहे थे।
सामूहिक रूप से शस्त्र पूजन करने वालों में संजय कुमार ओझा, मोऊ शहाना, सुशील साहा, मुरारी मंडल, पिंटू हाजरा, शताब्दी तिवारी, विजय राय, संगीता साहा, अजित मंडल, चंपा साहा, राम मंडल, रिंकू दास, अविनाश पंडित, पिंकी सरकार, लाल्टू भौमिक, निवेदिता मंडल, परिणिता शुक्ला, मुन्ना रविदास, वैशाखी मंडल, ओमप्रकाश नाथ, दृष्टि गोस्वामी, रतन पासवान, शानवी गोस्वामी, नवनीत गोस्वामी, राजेश डोकानियां, धर्मेंद्र साह, अमलेश रंजन, कृष्णा यादव, विपिन चौधरी, तनमय पोद्दार, मिठ्ठू ठाकुर, कमल पाण्डेय, रातुल दे, अंकित शर्मा, प्रतुल दे, जितेश रजक, राजा झा और अन्य श्रद्धालु शामिल थे।
विजयदशमी का संदेश
विजयदशमी का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। शस्त्र पूजन एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है। इस आयोजन ने न केवल धार्मिक महत्व को उजागर किया बल्कि समाज में एकता और शक्ति के संदेश को भी प्रबल किया।
पूजा के समापन पर जय माता दी और हर हर महादेव के जयघोष के साथ श्रद्धालु अपने-अपने शस्त्रों के साथ मां दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए समर्पित हुए।