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सरकार ने ईशनिंदा के आरोपों को लेकर हुई हिंसा के संबंध में बृहस्पतिवार को उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए और ईसाई समुदाय के सभी क्षतिग्रस्त गिरजाघरों और मकानों की मरम्मत कराने का वादा किया।
लाहौर। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में 21 गिरजाघरों पर भीड़ के हमले के संबंध में 135 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सरकार ने ईशनिंदा के आरोपों को लेकर हुई हिंसा के संबंध में बृहस्पतिवार को उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए और ईसाई समुदाय के सभी क्षतिग्रस्त गिरजाघरों और मकानों की मरम्मत कराने का वादा किया।
पंजाब की प्रांतीय राजधानी लाहौर से करीब 130 किलोमीटर दूर फैसलाबाद जिले की जरांवाला तहसील में दो ईसाइयों द्वारा कुरान का अपमान करने की कथित खबरों से गुस्साई भीड़ ने सैकड़ों गिरजाघरों और मकानों को बुधवार को जला दिया।
पंजाब के कार्यवाहक सूचना मंत्री आमिर मीर ने एक बयान में कहा, ‘‘आतंकवाद और ईशनिंदा के आरोप के तहत 600 संदिग्धों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।’’
पंजाब पुलिस के एक प्रवक्ता ने कहा कि जरांवाला में गिरजाघरों और अल्पसंख्यक समुदाय के मकानों पर हमले के आरोप में 135 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार किए गए लोगों में कट्टरपंथी समूह तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के सदस्य भी शामिल हैं।
मीर ने कहा कि क्षेत्र में शांति बहाल कर दी गई है और गिरजाघरों तथा अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय के लोगों के घरों के बाहर पुलिस और रेंजर्स की एक बड़ी टुकड़ी तैनात की गई है।
मीर ने कहा कि पुलिस ने विभिन्न इमारतों को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से किए गए कई प्रयासों को विफल कर दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री ने मामले की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं और इस जघन्य अपराध में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।’’
पंजाब के कार्यवाहक मुख्यमंत्री मोहसिन नकवी ने उन सभी गिरजाघरों और अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय के मकानों की तीन से चार दिन के भीतर मरम्मत कराने का वादा किया, जिन पर भीड़ ने हमला किया था और आग लगा दी थी।
ईसाई समुदाय के धार्मिक नेताओं की एक बैठक को संबोधित करते हुए नकवी ने भीड़ की हिंसा की निंदा की और कहा कि इस तरह की हरकतें इस्लाम और पवित्र पैगंबर की शिक्षाओं के खिलाफ हैं।
‘डॉन’ अखबार की खबर के अनुसार नकवी ने कहा कि भीड़ का हमला ‘‘देश में आग भड़काने और शांति-सौहार्द्र को नुकसान पहुंचाने’’ की ‘‘साजिश’’ थी। नकवी ने वादा किया कि भीड़ की हिंसा में क्षतिग्रस्त सभी इमारतों को ‘‘तीन से चार दिन’’ में उनकी मूल स्थिति में बहाल कर दिया जाएगा और भविष्य में ऐसी किसी भी ‘‘साजिश’’ को रोकने का संकल्प लिया।
जिला प्रशासन ने जरांवाला में सरकार द्वारा आयोजित कार्यक्रमों को छोड़कर सभी प्रकार के जमावड़े पर रोक लगाते हुए सात दिन के लिए धारा 144 लागू कर दी है। जरांवाला में बृहस्पतिवार को सभी शैक्षणिक संस्थान, बाजार और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे।
फैसलाबाद में ईसाई समुदाय के नेताओं ने जरांवाला में उनके धार्मिक स्थानों और घरों को हुए नुकसान का आकलन किया।
उन्होंने कहा कि ईशनिंदा के झूठे आरोप में कुल 21 गिरजाघरों में आगजनी या तोड़फोड़ की गई, बाइबिल की सैकड़ों प्रतियों को आग लगा दी गई।
‘पाकिस्तान सेंटर फॉर लॉ एंड जस्टिस’ के नेपोलियन कय्यूम ने बताया, ‘‘बुधवार को भीड़ ने 21 गिरजाघरों और एक पादरी के आवास सहित ईसाइयों के 35 घरों को या तो पूरी तरह से जला दिया या तोड़फोड़ की।’’
हिंसा के बाद जरांवाला में 3,000 से अधिक पुलिसकर्मी और पाकिस्तान रेंजर्स की दो कंपनियां तैनात की गई हैं। कय्यूम ने कहा, ‘‘अधिकतर ईसाइयों ने अपनी जान बचाने के लिए क्षेत्र छोड़ दिया और वे तभी लौटेंगे जब गिरजाघरों और इसाइयों के घरों पर हमलों में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।’’
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चर्च ऑफ पाकिस्तान’ के अध्यक्ष बिशप आजाद मार्शल ने हिंसा की निंदा करते हुए कहा कि बाइबिल की प्रतियां जला दी गईं और ईसाई समुदाय के सदस्यों पर ‘‘पवित्र कुरान का अनादर करने का झूठा आरोप लगाया गया’’ तथा उन्हें प्रताड़ित किया गया। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने एक बयान में मांग की है कि ‘‘अधिकारियों को अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।’’
इस बीच, इस्लामाबाद पुलिस ने ‘‘अल्पसंख्यक समुदायों और उनके उपासना स्थलों की सुरक्षा’’ के लिए 70 सदस्यीय विशेष इकाई का गठन किया।
इस्लामाबाद पुलिस ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘70 जवानों (पुलिसकर्मियों) को अल्पसंख्यक सुरक्षा इकाई में तैनात किया गया है।’’ पोस्ट में कहा गया है कि सभी जिला पुलिस अधिकारी अपने क्षेत्रों में अल्पसंख्यक पूजा स्थलों और समुदायों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होंगे।
‘सेंटर फॉर सोशल जस्टिस’ (सीएसजे) के अनुसार, 16 अगस्त, 2023 तक लगभग 198 लोगों पर ईशनिंदा का आरोप लगाया गया है, जिनमें से 85 प्रतिशत मुस्लिम, नौ प्रतिशत अहमदिया और 4.4 प्रतिशत ईसाई हैं।
पाकिस्तान में ईसाइयों और हिंदुओं सहित विभिन्न अल्पसंख्यकों पर अक्सर ईशनिंदा के आरोप लगाए जाते हैं और कुछ पर ईशनिंदा के तहत मुकदमा चलाया गया तथा उन्हें सजा भी दी गई।
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