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लेकिन संवाद का अभाव है – उल्फा (आई) की मांगें पहले जैसी ही हैं और भारत सरकार उन्हें स्वीकार नहीं कर सकती। चेतिया ने कहा कि बरुआ बांग्लादेश में नहीं हैं, जैसी कि आम धारणा है। उन्होंने कहा, “वह कहीं और है, हमें नहीं पता। लेकिन हमारी चर्चा जारी है।” उन्होंने कहा कि अगर अन्य समूह भी बातचीत की मेज पर आते हैं तो यह असम और उसके लोगों के लिए अच्छा होगा।
केंद्र, असम सरकार और उल्फा के वार्ता समर्थक गुट के बीच शांति वार्ता 15 अगस्त के बाद राष्ट्रीय राजधानी में होगी। संगठन के नेता अनूप चेतिया ने बुधवार को यहां संवाददाताओं से बातचीत में यह जानकारी दी।
चेतिया ने यह उम्मीद भी जतायी कि शांति वार्ता 2024 से पहले पूरी हो जाएगी। उन्होंने कहा, हमें उम्मीद है कि (आम) चुनाव से पहले हम भारत सरकार के साथ किसी समाधान पर पहुंच जाएंगे… उन्हें एहसास है कि अगर वे हमारे साथ (उल्फा का वार्ता समर्थक गुट) समझौते पर हस्ताक्षर करते हैं तो असम की समस्या सुलझ जाएगी।
वार्ता समर्थक उल्फा गुट ने 2011 में ही केंद्र के साथ बातचीत शुरू कर दी थी लेकिन अंतिम समाधान अभी तक नहीं निकल सका है।
गुट का आरोप है कि नरेन्द्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से बहुत प्रगति नहीं हुई है, हालांकि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में बातचीत अंतिम चरण में पहुंच गई थी।
एक कार्यक्रम के सिलसिले में यहां आए चेतिया ने कहा, स्वतंत्रता दिवस समारोह के बाद हमारी बातचीत नयी दिल्ली में भारत सरकार और असम सरकार के प्रतिनिधियों के साथ होगी।
यह पूछे जाने पर कि क्या वार्ता समर्थक गुट, उल्फा-आई प्रमुख परेश बरुआ से शांति प्रक्रिया में शामिल होने की अपील करेगा, चेतिया ने कहा, “हमने उनसे संपर्क किया है… … यह भारत सरकार पर निर्भर करता है – क्या वह उनसे और समूह से बात करने की इच्छुक है।
लेकिन संवाद का अभाव है – उल्फा (आई) की मांगें पहले जैसी ही हैं और भारत सरकार उन्हें स्वीकार नहीं कर सकती।
चेतिया ने कहा कि बरुआ बांग्लादेश में नहीं हैं, जैसी कि आम धारणा है। उन्होंने कहा, “वह कहीं और है, हमें नहीं पता। लेकिन हमारी चर्चा जारी है।” उन्होंने कहा कि अगर अन्य समूह भी बातचीत की मेज पर आते हैं तो यह असम और उसके लोगों के लिए अच्छा होगा।
डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।
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