Saturday, February 8, 2025
HomePrabhasakshi Exclusive: Russia-Ukraine War क्या खत्म होने के कगार पर है, UAE...

Prabhasakshi Exclusive: Russia-Ukraine War क्या खत्म होने के कगार पर है, UAE में होने वाली शांति वार्ता में भारत समेत 30 देश किस प्रस्ताव पर लगाएंगे मुहर?

देश प्रहरी की खबरें अब Google news पर

क्लिक करें

[ad_1]

Prabhasakshi

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि देखा जाये तो यह युद्ध इतना लंबा खिंच गया है और अब रूस और यूक्रेन ही नहीं बल्कि दुनिया के देश भी थक चुके हैं इसलिए भी शांति वार्ता की पहल की जा रही है।

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के ताजा हालात क्या हैं? हमने पूछा कि खबर है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच सऊदी अरब अगस्त में शांति वार्ता की मेजबानी करेगा। इसे कैसे देखते हैं आप? हमने यह भी जानना चाहा कि यूएई में ही क्यों शांति वार्ता की जा रही है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध एक तरह से थमा हुआ है। कभी कभार यूक्रेन मास्को तक ड्रोन भेज दे रहा है ताकि दुनिया में संदेश जा सके कि वह मास्को तक पहुँच सकता है। जवाब में रूस यूक्रेन के रिहायशी इलाकों की किसी बिल्डिंग का छोटा-सा हिस्सा गिरा देता है। यानि हल्के फुल्के तरीके से दिन काटे जा रहे हैं। हालांकि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यह ठान कर बैठे हैं कि यह युद्ध किसी भी हालत में जीतना ही है। यूक्रेन को नाटो और यूरोपीय देशों ने अब तक जितनी आर्थिक और सैन्य मदद दी है वह रूस का कुछ नहीं बिगाड़ सकी। इसके अलावा रूस पर तमाम तरह के प्रतिबंध भी ज्यादा असर नहीं दिखा पाये हैं लेकिन अब रूस भी शायद यही चाहता है कि उसकी शर्तों को मान लिया जाये तो वह भी शांत हो जाये। उन्होंने कहा कि रूस ने यूक्रेन पर तमाम हमले किये लेकिन उसका इतना असर नहीं हुआ जितना ग्रेन डील रद्द करने से हो गया। उन्होंने कहा कि रूसी हमलों को अब तक सिर्फ यूक्रेन झेल रहा था लेकिन ग्रेन डील रद्द होने से कई देशों के समक्ष भुखमरी की नौबत आ गयी और महंगाई आसमान छूने लगी तो सबको शांति वार्ता की याद आ गयी जबकि इससे पहले तक कोई शांति वार्ता की बात ही नहीं कर रहा था और कोई राष्ट्राध्यक्ष यूक्रेन जाकर तो कोई यूक्रेन के राष्ट्रपति को अपने यहां बुलाकर उसकी हर संभव मदद करने का आश्वासन दे रहा था। उन्होंने कहा कि पुतिन ने जब यह देखा कि अनाज सौदा रद्द करने का असर पड़ने लगा है तो उन्होंने गरीब देशों खासकर अफ्रीकी देशों को यह आश्वासन दिया है कि उनकी अनाज की जरूरतों को पूरा किया जाता रहेगा।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि देखा जाये तो यह युद्ध इतना लंबा खिंच गया है और अब रूस और यूक्रेन ही नहीं बल्कि दुनिया के देश भी थक चुके हैं इसलिए भी शांति वार्ता की पहल की जा रही है। उन्होंने कहा कि हालांकि शांति वार्ता इससे पहले कोपनहेगन में भी हो चुकी है लेकिन उसके लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किये गये थे इसलिए उसका कोई परिणाम नहीं निकला था। उन्होंने कहा कि जहां तक यूएई में शांति वार्ता की बात है तो उसमें 30 देशों को आमंत्रित किया गया है। यूएई में यह वार्ता रखने का एक कारण यह भी था कि यूएई रूस का मित्र देश है। हाल ही में यूएई के प्रेसिडेंट रूस की यात्रा पर गये थे और वहां पुतिन से मुलाकात की थी। इसके अलावा यूएई का मित्र देश होने के कारण चीन भी वार्ता में भाग लेने आ जायेगा। इस वार्ता में भारत को भी आमंत्रित किया गया है। अमेरिका और नाटो जानते हैं कि भारत और चीन की बात को रूस जरूर सुनेगा इसलिए शांति प्रस्ताव पर इन दोनों देशों का भाग लेना बहुत अहम है। उन्होंने कहा कि भारत और चीन दोनों ही रूस और यूक्रेन को शांति के लिए कह चुके हैं और दोनों ही देश भारत और चीन की बात को सुनते हैं इसलिए यहां जो प्रस्ताव रखा जायेगा उसमें भारत और चीन के बिंदुओं को भी शामिल किया जायेगा ताकि वह पूरे प्रस्ताव पर रूस से बात करें। उन्होंने कहा कि इससे पहले चीन ने अकेले एक शांति प्रस्ताव पेश किया था लेकिन वह सफल नहीं हो पाया था इसलिए यूएई में होने वाली वार्ता पर दुनिया भर की नजर है क्योंकि हर देश इस युद्ध से किसी ना किसी तरह प्रभावित हो रहा है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि यह शिखर वार्ता लाल सागर के बंदरगाह शहर जेद्दा में होगी। शिखर वार्ता में यूक्रेन के साथ ही ब्राजील, भारत, दक्षिण अफ्रीका और कई अन्य देश हिस्सा लेंगे। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन के एक उच्च स्तरीय अधिकारी के भी बैठक में शामिल होने की संभावना है। इस आयोजन की तैयारियां कीव संभाल रहा है। उन्होंने कहा कि रूस के वार्ता में भाग लेने की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि यह शांति वार्ता पांच-छह अगस्त को होगी और लगभग 30 देश इसमें हिस्सा लेंगे। उन्होंने साथ ही बताया कि शिखर वार्ता की खबर ऐसे वक्त में आई, जब अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवान ने पिछले सप्ताह ही सऊदी अरब की यात्रा की थी।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक युद्ध में पुतिन की असफलताओं का सवाल है तो यूक्रेन पर आक्रमण करके, पुतिन वास्तव में नाटो को और अधिक विस्तारित करने में सफल रहे हैं क्योंकि फिनलैंड और स्वीडन गठबंधन में शामिल हो गए हैं। उन्होंने कहा कि पुतिन के लिए इससे भी बुरी बात यह है कि उनका शासन अब लगातार कमजोर होता जा रहा है। यूक्रेन में उनकी विफलताओं ने रूस के आज्ञाकारी मीडिया के लिए विजय की कहानी गढ़ना भी असंभव बना दिया है। उन्होंने कहा कि जून में येवगेनी प्रिगोझिन के नाटकीय विद्रोह पर पुतिन की प्रतिक्रिया ने कमजोरी की धारणा को और बढ़ा दिया। शुरुआत में उन्हें एक आपातकालीन प्रसारण में आने में कई घंटे लग गए, जिसमें उन्होंने संभावित गृह युद्ध की बात की थी और वैगनर गद्दारों को खत्म करने का वादा किया था। लेकिन एक बार जब प्रिगोझिन के साथ आनन-फानन में समझौता हो गया, तो पुतिन के प्रेस सचिव ने उस मजबूत बयान को कुछ ही घंटों बाद वापस ले लिया।

अन्य न्यूज़



[ad_2]

Source link

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments