Tuesday, November 26, 2024
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कठपुतली केयरटेकर सरकार ने अब बातचीत के लिए शुरू किया गिड़गिड़ाना, जानें क्या है मनमोहन-मुशर्रफ फॉर्मूला?

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मुशर्रफ-मनमोहन फॉर्मूले में कश्मीर में शांति के लिए एक महत्वाकांक्षी प्रयास की परिकल्पना की गई थी, जो आजादी के बाद से दोनों देशों के बीच विभाजित है। जिलानी 2003 में नई दिल्ली में उप उच्चायुक्त थे।

पाकिस्तान के नए विदेश मंत्री जलील अब्बास जिलानी ने दोनों देशों के बीच शांति लाने के लिए दशक पुराने मुशर्रफ-मनमोहन फॉर्मूले को पुनर्जीवित करने की मांग की है। मुशर्रफ-मनमोहन फॉर्मूला 2006 में तैयार किया गया था और इसमें जम्मू-कश्मीर में शांति के लिए एक महत्वाकांक्षी प्रयास की परिकल्पना की गई थी। जिलानी ने पाकिस्तान के विदेश सचिव और अमेरिका और यूरोपीय संघ सहित महत्वपूर्ण राजधानियों में पाकिस्तान के राजदूत के रूप में कार्य किया। बता दें कि जिलानी जिस योजना के बारे में बात कर रहे हैं वो पूर्व सैन्य शासकों जनरल परवेज़ मुशर्रफ और भारत के पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के शासनकाल के दौरान बनाई गई थी। उन्होंने कहा कि इससे दोनों ही परमाणु हथियार संपन्न देशों के बीच शांति आएगी। 

मुशर्रफ-मनमोहन फॉर्मूले में कश्मीर में शांति के लिए एक महत्वाकांक्षी प्रयास की परिकल्पना की गई थी, जो आजादी के बाद से दोनों देशों के बीच विभाजित है। जिलानी 2003 में नई दिल्ली में उप उच्चायुक्त थे, जब भारत सरकार ने उन पर जम्मू और कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों के लिए पैसा जुटाने का दोषी पाते हुए अवांछित घोषित कर दिया। जिलानी के करीबी सूत्रों ने द एक्सप्रेस ट्रिब्यून को बताया कि वह भारत के साथ रिश्ते सुधारने के पक्ष में हैं। विदेश मंत्री ने द एक्सप्रेस ट्रिब्यून को बताया कि भारत के साथ संबंधों में सुधार जम्मू-कश्मीर के लंबे समय से चले आ रहे मुद्दे सहित सभी लंबित मुद्दों के समाधान पर निर्भर है।

सूत्रों ने कहा, जिलानी का विचार था कि पाकिस्तान को मुशर्रफ-मनमोहन समय के दौरान शांति प्रक्रिया को पुनर्जीवित करने का मार्ग प्रशस्त करने के लिए विभिन्न विकल्प तलाशने चाहिए। विदेश मंत्री का मानना ​​है कि 2004 और 2007 के बीच दोनों देशों के बीच बातचीत फिर से शुरू की जा सकती है, बशर्ते दोनों पक्ष राजनीतिक इच्छाशक्ति और संकल्प दिखाएं। उस शांति प्रक्रिया को जम्मू-कश्मीर सहित अपने पुराने विवादों को सुलझाने के लिए दोनों देशों द्वारा किया गया सबसे निरंतर प्रयास माना गया था।

उस दौर में भारत और पाकिस्तान के बीच पर्दे के पीछे से हुई बातचीच से एक समय में कश्मीर विवाद के समाधान की दिशा में एक संभावित रोडमैप भी बन गया था। ऐसा कहा जाता है कि साल 2007 में मनमोहन सिंह के पाकिस्‍तान दौरे पर इस समझौते पर हस्‍ताक्षर होना था। हालांकि जनरल मुशर्रफ ने अचानक से सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को हटा दिया जिससे देश में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया और मुशर्रफ को आखिरकार सत्‍ता छोड़नी पड़ी। 

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