पाकुड़। सदर अस्पताल में चिकित्सकों की लापरवाही का आरोप बढ़ता जा रहा है, जिसके कारण जनता में सदर अस्पताल के प्रति भरोसा कम होता दिखाई दे रहा है। रसका बास्की का कहना है कि चिकित्सकों का सारा ध्यान अपने निजी क्लिनिक पर केंद्रित रहता है और वे सरकारी अस्पताल में सेवा देने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। यह स्थिति बेहद गंभीर है क्योंकि सरकारी अस्पताल में आने वाले मरीजों की संख्या अधिक होती है, लेकिन इलाज में कमी और लापरवाही के कारण लोग अब निजी अस्पतालों की ओर रुख करने लगे हैं।
मौत का अस्पताल बनता सदर अस्पताल
पिछले दो महीनों में बड़तल्ला, कोटलपोखर, और करियोडीह क्षेत्रों के तीन मरीजों की मौत से सदर अस्पताल को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। लोगों का कहना है कि यह अस्पताल अब मौत का घर बनता जा रहा है, जहां इलाज की उचित व्यवस्था न होने के कारण लोगों की जान जा रही है। इन घटनाओं के बाद लोगों में सरकारी अस्पतालों के प्रति अविश्वास बढ़ता जा रहा है। इस मामले में रसका बास्की ने भी अपनी चिंता जाहिर की और अस्पताल की व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं।
निजी नर्सिंग होम में बदल जाती है भाषा
रसका बास्की का कहना है कि चिकित्सकों का व्यवहार सदर अस्पताल में मित्रवत नही रहता, वही चिकित्सक निजी नर्सिंग होम में होते हैं, तो उनकी भाषा और व्यवहार पूरी तरह बदल जाता है। उन्होंने कहा, “सदर अस्पताल में मरीजों की हालत पर ध्यान नहीं दिया जाता, जबकि निजी अस्पताल में वही चिकित्सक पूरी गंभीरता से काम करते हैं। यह स्थिति चिकित्सा क्षेत्र के प्रति जनता के विश्वास को कमजोर कर रही है।”
रसका बास्की ने बताया कि वह बड़तल्ला निवासी स्व० हलीमा बीबी के घर गए थे, जहां पूरा परिवार शोक में डूबा हुआ था। बास्की ने आरोप लगाया कि चिकित्सकों द्वारा उल्टा बच्चे के पिता को जेल भेजने का दबाव बनाया जा रहा है। इस स्थिति से परिवार पर अतिरिक्त मानसिक और सामाजिक बोझ आ गया है।
रसका बास्की ने डॉ अमित के तबादले के बावजूद उन्हें पाकुड़ में रहने को लेकर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि डॉ अमित का तबादला हुए एक साल से ज्यादा हो गया है, फिर भी वे अब तक पाकुड़ में ही सेवाएं दे रहे हैं। बास्की ने पूछा कि किस नियम के तहत सिविल सर्जन ने उन्हें पाकुड़ में ही रखा है। उन्होंने मांग की कि अगर डॉ अमित सेवा करना चाहते हैं तो उन्हें सिर्फ सरकारी अस्पताल में सेवा देनी चाहिए, न कि राजनीति का हिस्सा बनकर पद पर बने रहना चाहिए।
सरकार से मुआवजे और कार्रवाई की मांग
रसका बास्की ने सरकार से मांग की कि डॉ अमित का तबादला गढ़वा में किया जाए और स्व हलीमा बीबी के मौत के लिए परिवार को उचित मुआवजा दिया जाए। साथ ही, उन्होंने दोषी चिकित्सकों पर तुरंत कार्रवाई करने की भी अपील की। उनका कहना है कि अस्पताल में लापरवाही से होने वाली मौतों पर सख्त कदम उठाने की जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके और जनता का अस्पतालों पर भरोसा बना रहे।
स्थिति पर सरकारी ध्यान जरूरी
सदर अस्पताल की स्थिति को देखते हुए यह आवश्यक है कि सरकार और प्रशासन तुरंत इस पर ध्यान दें। चिकित्सकों की जिम्मेदारियों का पालन सुनिश्चित करना और मरीजों को समय पर उचित इलाज देना बेहद जरूरी है। यदि इस स्थिति को जल्द सुधारा नहीं गया, तो जनता का सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर से विश्वास और अधिक कमजोर हो सकता है।