ज्यूडिशियल अकैडमी रांची के निर्देश पर आयोजित हुआ कार्यक्रम
पाकुड़ व्यवहार न्यायालय परिसर में रविवार, 11 मई 2025 को न्यायालय कर्मचारियों के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण एवं पुनश्चर्या कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम ज्यूडिशियल अकैडमी रांची के निर्देश पर और प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश शेषनाथ सिंह की अध्यक्षता में आयोजित हुआ। कार्यक्रम सुबह 11 बजे से लेकर संध्या 5 बजे तक चला, जिसमें तकनीकी दक्षता, ई-कोर्ट प्रणाली, और प्रक्रिया प्रबंधन से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विस्तार से जानकारी दी गई।
ई-कोर्ट सेवाओं और एन स्टेप ऐप पर मिला विशेष प्रशिक्षण
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य था न्यायालय कर्मचारियों को आधुनिक तकनीकी प्रणालियों से परिचित कराना, जिससे वे ई-कोर्ट सर्विस, प्रक्रिया प्रबंधन, और एन स्टेप मोबाइल एप्लिकेशन का प्रभावी उपयोग कर सकें। इस प्रशिक्षण के दौरान कर्मचारियों को प्रक्रिया स्वचालन तकनीक, डिजिटल केस मैनेजमेंट, और सूचना प्रवाह के नवीनतम तरीकों पर विशेष जानकारी दी गई।
सिस्टम असिस्टेंट नगमा परवीन ने दिए व्यावहारिक प्रशिक्षण के टिप्स
ट्रेनर नगमा परवीन ने एक-एक बिंदु पर विस्तार से चर्चा करते हुए कर्मचारियों को ई-कोर्ट परियोजना, केस सूचना प्रणाली (CIS) की विशेषताओं, प्रक्रिया निर्माण, डेटा एंट्री, ड्राफ्ट जनरेशन, फाइल अपलोडिंग, और डिजिटल दस्तावेजों के उपयोग की जानकारी दी। उन्होंने एन स्टेप मोबाइल एप्लिकेशन के विभिन्न फीचर्स जैसे कि बेलिफ/प्रोसेस सर्वर द्वारा प्रक्रिया आवंटन, पीडीएफ देखना, फोटो और हस्ताक्षर कैप्चर, लोकेशन सेविंग, और अपलोड स्टेटस ट्रैकिंग जैसे विषयों पर भी प्रकाश डाला।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़ी मास्टर ट्रेनर अर्पणा कुजूर
कार्यक्रम को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए मास्टर ट्रेनर अर्पणा कुजूर ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रशिक्षण दिया। उन्होंने बेंच क्लर्क, ऑफिस क्लर्क, नाज़िर, नायब नाज़िर और प्रॉसेस सर्वर को विशेष प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षण को चार सत्रों में विभाजित किया गया, जिससे सभी कर्मचारियों को गहन जानकारी और व्यावहारिक अनुभव प्राप्त हो सके।
चार्ज फ्रेम और जजमेंट टेंप्लेट पर हुई चर्चा
प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश शेषनाथ सिंह ने बताया कि यह कार्यक्रम रिफ्रेशर कोर्स के रूप में कर्मचारियों की पूर्व में प्राप्त जानकारी को पुनः मजबूत करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण में चार्ज फ्रेमिंग और जजमेंट टेंप्लेट के उपयोग पर भी चर्चा की गई, जिससे न्यायिक कार्य को तेज, प्रभावी और समयबद्ध रूप से संपन्न किया जा सके। साथ ही प्लेंट प्रक्रिया को सम्मन से जोड़ने के सुझाव भी साझा किए गए।
न्यायिक पदाधिकारियों की उपस्थिति में सफल आयोजन
इस महत्वपूर्ण अवसर पर अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी विशाल मांझी एवं न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी वी. के. दास की भी उपस्थिति रही, जिन्होंने कार्यक्रम को और अधिक गरिमा प्रदान की। उनकी उपस्थिति से प्रतिभागियों में सकारात्मक ऊर्जा और उत्साह का संचार हुआ।
तकनीक से सशक्त हो रहा न्यायिक तंत्र
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम न्यायिक कर्मचारियों को डिजिटल रूपांतरण के साथ जोड़ने और न्याय प्रणाली को अधिक पारदर्शी, कुशल और तेज़ बनाने की दिशा में एक सार्थक प्रयास था। इस तरह के कार्यक्रम न्यायिक प्रक्रिया को आधुनिक बनाने और न्याय वितरण प्रणाली को तकनीक के साथ सशक्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।