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बिहार में मंत्रिमंडल का विस्तार होना है. लेकिन यह कब और कैसे होगा इस पर नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव मौन हैं. इधर, कांग्रेस मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर निरंतर दबाव बना रही है. कैबिनेट विस्तार में देरी से नाराज कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने तो यहां तक कह दिया है कि महागठबंधन में कांग्रेस अपमान सह कर नहीं रहेगी. इससे पहले पटना में हुई विपक्षी एकता की बैठक के बाद तो कांग्रेस पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी नीतीश कुमार से पूछा था कि मंत्रिमंडल का विस्तार कब कर रहे हैं? तब नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव की तरफ ही देखकर उनसे पूछा था कि क्या करना है? कुछ दिन पहले एक बार फिर से वही सवाल किया गया तो नीतीश कुमार ने फिर गेंद तेजस्वी यादव के पाले में फेंक दिया. इसके बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि मंत्रिमंडल के विस्तार में देरी मेरी वजह से नहीं हो रही. यह तेजस्वी यादव को तय करना है. नीतीश कुमार के इस राजनीतिक बयान के बाद सियासी हलचलें तेज हुई.
विपक्ष भी इसको लेकर नीतीश कुमार पर अब तंज कसने लगा है. नीतीश कुमार के बयान को राजनीतिक पंडित अपने-अपने हिसाब से व्याख्या भी कर रहे हैं. कुछ लोगों का कहना है कि सीएम नीतीश कुमार ने ऐसा बयान जानबूझकर दिया है. कुछ लोगों का कहना है कि यह देरी आरजेडी की ओर से ही हो रही है.
कहां फंसा है मामला
बिहार सरकार में फिलहाल 31 मंत्री हैं. पांच मंत्री के पद अभी भी रिक्त है. नीतीश कुमार 33 से अधिक मंत्रियों को अपने कैबिनेट में अभी तक नहीं रखे हैं. इसलिए यह कहा जा रहा है कि इस इस दफा भी वे अपने कैबिनेट में 33 से ज्यादा लोगों को नहीं रखेंगे. ऐसे में कैबिनेट में सिर्फ दो लोगों को ही स्थान मिल सकता है. कैबिनेट में जो दो सीट खाली है वे राजद कोटे के है. कार्तिक कुमार और सुधाकर सिंह. इन दोनों के त्यागपत्र के बाद से यह खाली है. राजद ने अपने इन दोनों सीटों पर अभी तक किसी को मंत्री नहीं बनाया है. इधर,कांग्रेस कैबिनेट में दो सीटों की मांग कर रही है. महागठबंधन में कांग्रेस की बात मानी गई तो इसके लिए राजद को ही त्याग करना पड़ेगा. आरजेडी इसके लिए तैयार नहीं है. इस कारण वो इस सवाल पर मौन है. इसके साथ ही आरजेडी में मंत्री पद को लेकर राजनीति भी चरम पर है. पार्टी के सामने धर्मसंकट यह है कि एक को मंत्री बनाते हैं तो पांच नाराज हो जाएंगे. पार्टी 2024 लोकसभा चुनाव तक किसी प्रकार का कोई बवाल नहीं चाह रही है. नए मंत्री बने तो पहले से जो मंत्री हैं उनके विभाग कम होंगे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बाद सर्वाधिक चार विभाग तेजस्वी प्रसाद यादव के पास हैं. राजद कोटे से मंत्री बनाए जाने के बाद राजद कोटे से या तो तेजस्वी प्रसाद यादव को मिले विभागों में कटौती करनी होगी या किसी और सदस्य को कैबिनेट से ड्रॉप करना होगा. इसको लेकर भी असंतोष भड़क सकता है. गठबंधन में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी है. इसलिए आरजेडी में ही सबसे ज्यादा बवाल भी हो सकता है. इसलिए पार्टी नेतृत्व इस पर मौन है.
कांग्रेस का दबाव
इधर, कांग्रेस कैबिनेट विस्तार को लेकर निरंतर दबाव बनाए हुए है. दिसंबर 2022 में डा अखिलेश प्रसाद सिंह कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बनते ही जनवरी 2023 में कांग्रेस कोटे से दो और मंत्रियों को कैबिनेट में जगह की देने की मांग कर रहे हैं. इस बात को अधिक हवा उस समय लगी जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों की बैठक पटना में आयोजित हुई. पटना में 26 जून को आयोजित विपक्षी दलों की बैठक में शामिल होने के लिए कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और महासचिव केसी वेणुगोपाल पटना पहुंचे. विपक्षी दलों की बैठक के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अकेले में हुई बातचीत में कांग्रेस के दो सदस्यों को कैबिनेट में शामिल करने के लिए कहा. बैठक संपन्न होने के बाद से मंत्रिपरिषद के विस्तार की मांग जोर पकड़ने लगी. कांग्रेस विधायक इसको लेकर दिल्ली में अपने पक्ष में लॉबिंग भी करने लगे. कई नाम भी चर्चा में आए. लेकिन, यह पूरा मामला फिर शांत पड़ गया है. इससे अब कांग्रेस नाराज है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सिवान में आयोजित अपने अभिनंदन समारोह में कहा कि महागठबंधन में कांग्रेस अपमान सह कर नहीं रहेगी. कांग्रेस लोकसभा से लेकर विधानसभा तक सम्मानजनक सीटों की उम्मीद तो करती ही है, मंत्रिमंडल में भी उसे उचित प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi उत्तरदायी नहीं है.)
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Tags: Congress, Jdu, Nitish kumar, RJD, Tejaswi yadav, बिहार
FIRST PUBLISHED : July 29, 2023, 14:19 IST
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