Thursday, July 10, 2025
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संतों ने गुरु की भूमिका निभाते हुए समूची मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया

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भारत के संतों की यह परंपरा हमें सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। योगी ने कहा कि ना सिर्फ गुरु पूर्णिमा पर बल्कि कृतज्ञता ज्ञापन की अपनी संस्कृति से हम आश्विन माह में भी जुड़ते हैं।

 उत्‍तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हमारे संतों, महर्षियों ने गुरु की भूमिका निभाते हुए अलग-अलग कालखंड में समाज को विकृतियों से बचाकर समूची मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया।
भारत के संतों की यह परंपरा हमें सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।
गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ गुरु पूर्णिमा पर्व पर सोमवार को गोरखनाथ मंदिर में आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्‍होंने कहा, सनातन ही सत्य एवं शाश्वत है, कर्ता के प्रति कृतज्ञता ज्ञापन ही सनातन धर्म की पहचान है। गुरु पूर्णिमा गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने की इसी पहचान से जुड़ा पावन पर्व है।महंत दिग्विजयनाथ स्मृति सभागार में आयोजित कार्यक्रम में योगी ने आदि गुरु वेदव्यास को नमन करते हुए कहा, महर्षि वेदव्यास जी की जयंती ही गुरु पूर्णिमा के रूप में प्रतिष्ठित है।

हमारे वैदिक व धार्मिक ज्ञान को लिपिबद्ध कर सर्वसुलभ बनाने में कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास जी का अनिर्वचनीय योगदान है।
मुख्यमंत्री ने वेदव्यास जी के साथ ही गुरु गोरक्षनाथ, आदि शंकराचार्य, संत रामानंद, स्वामी निम्बाचार्य, गोस्वामी तुलसीदास आदि का स्मरण करते हुए कहा, हमारे संतों और महर्षियों ने गुरु की भूमिका निभाते हुए अलग-अलग कालखंड में समाज को विकृतियों से बचाकर समूची मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया।भारत के संतों की यह परंपरा हमें सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।
योगी ने कहा कि ना सिर्फ गुरु पूर्णिमा पर बल्कि कृतज्ञता ज्ञापन की अपनी संस्कृति से हम आश्विन माह में भी जुड़ते हैं। इस माह में पूरा एक पक्ष हम तर्पण के माध्यम से अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं।
उन्होंने कहा कि बादशाह शाहजहां को जब उसके पुत्र ने कैद कर लिया तब उसने कहा था, ‘‘सबसे अच्छे तो सनातनी लोग हैं, जो जीते जी अपने माता-पिता की सेवा तो करते ही हैं, उनकी मृत्यु के बाद भी तर्पण से उनके प्रति कृतज्ञता का भाव प्रकट करते हैं।’’


गोरक्षपीठ के महंत और मुख्यमंत्री ने कहा कि सनातन संस्कृति में गुरु की पांच श्रेणियां हैं। ऋषि परंपरा के गुरु, माता-पिता, बड़े भाई, शिक्षा गुरु व दीक्षा गुरु। ये सभी किसी न किसी रूप में हमारा मार्गदर्शन कर हमें जीवन पथ पर आगे बढ़ाते हैं, इसलिए इनके प्रति सदैव सम्मान व कृतज्ञता का भाव होना चाहिए।
योगी ने कहा कि राष्ट्रीयता की भावना और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यशस्वी नेतृत्व में भारत ने लंबी छलांग लगाई है। आजादी के अमृत महोत्सव में जब हर घर पर शान से तिरंगा लहरा रहा था तब भारत ने इस पर 200 साल शासन करने वाले ब्रिटेन को पछाड़कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की उपलब्धि भी हासिल कर ली।
गुरु पूर्णिमा उत्सव में संबोधन से पहले मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने दादा गुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ महाराज व गुरु राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ महाराज के चित्र पर पुष्प अर्पित किया।

Disclaimer:प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।



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