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एससीओ समिट ऐसे वक्त में हो रहा है जब इंटरनैशनल डिप्लोमेसी में भारत के बढ़ते दखल से कोई इनकार नहीं कर सकता।
भारत आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की वर्चुअल मेजबानी करने के लिए पूरी तरह तैयार है। शिखर सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी नेता व्लादिमीर पुतिन भी हिस्सा लेंगे। जून के अंत में वैगनर भाड़े के समूह के विद्रोह को कुचलने के बाद पुतिन की किसी अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम में यह पहली उपस्थिति होगी। शिखर सम्मेलन में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ भी भाग लेंगे। आतंकवादियों को पनाह देने के कारण विश्व स्तर पर अलग-थलग पड़ चुका पाकिस्तान इस शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए तैयार है। शिखर सम्मेलन का एक प्रमुख आकर्षण यह है कि पाकिस्तान और चीन ने शिखर सम्मेलन में भाग लेने की इच्छा व्यक्त की है।
जिनपिंग करेंगे महत्वपूर्ण टिप्पणी
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने एक बयान में कहा कि जिनपिंग बैठक में महत्वपूर्ण टिप्पणियां देंगे और अन्य नेताओं के साथ संगठन के भविष्य के विकास के लिए रूपरेखा तैयार करेंगे। उम्मीद है कि एससीओ सदस्य राष्ट्र अफगानिस्तान, आतंकवाद, क्षेत्रीय सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और डिजिटल समावेशन सहित अन्य विषयों पर चर्चा करेंगे। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने एक बयान में कहा कि जिनपिंग बैठक में महत्वपूर्ण टिप्पणियां देंगे और अन्य नेताओं के साथ संगठन के भविष्य के विकास के लिए रूपरेखा तैयार करेंगे। उम्मीद है कि एससीओ सदस्य राष्ट्र अफगानिस्तान, आतंकवाद, क्षेत्रीय सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और डिजिटल समावेशन सहित अन्य विषयों पर चर्चा करेंगे।
एससीओ समिट में क्या चाहेगा भारत?
एससीओ समिट ऐसे वक्त में हो रहा है जब इंटरनैशनल डिप्लोमेसी में भारत के बढ़ते दखल से कोई इनकार नहीं कर सकता। अमेरिकी दौरे के दौरान राष्ट्रपति बाइडेन और पीएम मोदी की नजदीकी और उसके बाद अमेरिकी मैगजीन फॉरेन पॉलिसी में भारत के पावर प्लेयर होने की चर्चा दोनों ही बातें कूटनीति के मैदान में भारत के एक नए बड़े खिलाड़ी होने की ओर इशारा तो करती ही हैं। जाहिर है इस समिट का फायदा भारत दो तरीके से उठाना चाहेगा। पहले तो वो इस समिट को G20 लीडर्स समिट की कूटनीतिक तैयारी के तौर पर देख सकता है। दूसरा चीन के साथ असहज संबंधों पर भी वह अपना संदेश और साफ तरीके से रख सकता है। क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान का जिक्र करके वो इस में कामयाब हो सकता है। एक अहम मुद्दा सभी डिप्लोमैटिक रिश्तों में बैलेंस फैक्टर को लेकर भी है। भारत चीन के प्रभुत्व वाले एससीओ में है और अमेरिका की अगुवाई वाले क्वॉड में भी ।
इस देशों को मिल सकती है सदस्यता
सूत्रों के मुताबिक गोवा में एससीओ के विदेश मंत्रियों की 4-5 मई को बैठक हुई थी। इस बैठक में जो फ़ैसले लिए गए थे, उन फ़ैसलों को मंज़ूरी के लिए शिखर सम्मेलन में रखा जाएगा. इसके साथ ही संगठन के नए सदस्य के तौर पर ईरान को शामिल करने पर भी फैसला संभव है। फिलहाल भारत में एससीओ के 8 पूर्णकालिक सदस्य हैं. जिनमें भारत, चीन, पाकिस्तान, रूस, कज़ाखस्तान, किर्गिज़स्तान, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान शामिल हैं।
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