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उन्होंने कहा, ‘‘हमारा लक्ष्य साइबर सुरक्षित विश्व बनाना है न कि साइबर नाकाम विश्व। हम साथ मिलकर सभी के लिए एक सुरक्षित और समृद्ध डिजिटल भविष्य सुनिश्चित करते हुए इन प्रौद्योगिकियों की क्षमता का इस्तेमाल कर सकते हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ‘‘डायनामाइट से मेटावर्स’’ तथा ‘‘हवाला से लेकर क्रिप्टोकरेंसी’’ तक सुरक्षा चुनौतियां बढ़ने के प्रति वैश्विक समुदाय को बृहस्पतिवार को आगाह किया और जी-20 देशों से पारंपरिक सीमाओं से परे जाकर इन साइबर अपराधों को नियंत्रित के लिए वास्तविक समय पर जानकारी साझा करने को कहा।
शाह ने ‘‘कृत्रिम मेधा, मेटावर्स और एनएफटी के युग में अपराध तथा साइबर सुरक्षा’’ पर जी-20 सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि आतंकवादियों द्वारा वित्तीय लेनदेन के लिए नये तरीके तथा नयी तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे सुरक्षा तंत्र तथा डिजिटल ढांचे के लिए खतरा पैदा हो गया है।
उन्होंने ‘‘डार्कनेट, मेटावर्स, डीपफेक, रैंसमवेयर’’ और टूलकिट-आधारित गलत सूचना अभियानों एवं महत्वपूर्ण सूचनाओं तथा वित्तीय प्रणालियों का गलत इस्तेमाल करके साइबर अपराधियों से उत्पन्न खतरों को भी रेखांकित किया।
शाह ने किसी का नाम लिए बिना कहा कि कुछ असामाजिक तत्व और वैश्विक ताकतें नागरिकों तथा सरकारों को आर्थिक और सामाजिक नुकसान पहुंचाने के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रही हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘जी-20 ने अब तक आर्थिक दृष्टिकोण के लिए डिजिटल बदलाव, डेटा प्रवाह पर ध्यान केंद्रित किया लेकिन अब अपराध तथा सुरक्षा पहलुओं को समझना तथा समाधान तलाशना अधिक महत्वपूर्ण हो गया है।’’
शाह ने कहा कि ऐसी गतिविधियां राष्ट्रीय स्तर पर चिंता का कारण हैं क्योंकि ये राष्ट्रीय सुरक्षा, कानून व्यवस्था तथा अर्थव्यवस्था को सीधे तौर पर प्रभावित करती हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि इस तरह के अपराधों और अपराधियों को रोकना है तो हमें पारंपरिक भौगोलिक सीमाओं से ऊपर उठकर सोचना और कार्य करना होगा।
शाह ने कहा, ‘‘मनुष्यों, समुदायों और देशों को करीब लाने में प्रौद्योगिकी का अहम योगदान है, लेकिन कुछ वैश्विक ताकतें और असामाजिक तत्व भी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल नागरिकों और सरकारों को आर्थिक तथा सामाजिक नुकसान पहुंचाने के लिए कर रहे हैं।’’
केंद्रीय गृह मंत्री ने सीमा पार से सक्रिय साइबर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कई सुझाव दिए जिनमें सभी देशों के कानूनों में एकरूपता लाना, देशों के विभिन्न कानूनों के तहत एक प्रतिक्रिया तंत्र विकसित करना, सभी देशों की साइबर एजेंसियों के बीच अधिक समन्वय स्थापित करना आदि शामिल है।
उन्होंने कहा, ‘‘साइबर सुरक्षा नीतियों के प्रति एकीकृत तथा स्थिर रुख से सूचना साझा करने में भरोसा बढ़ेगा, एजेंसी के नियम आड़े नहीं आएंगे तथा संसाधनों की कमी दूर होगी। सदस्य देशों के बीच ‘वास्तविक समय में साइबर खतरे से जुड़ी खुफिया जानकारी’ साझा करना समय की जरूरत है।’’
शाह ने कहा, ‘‘इंटरनेट के बारे में हमारा दृष्टिकोण इतना भी स्वतंत्र नहीं होना चाहिए कि हमारे देशों के अस्तित्व को खतरे में डालते हों।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कई देशों में साइबर हमले हो चुके हैं और ये खतरे दुनिया के सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों पर मंडरा रहे हैं। विश्व बैंक के अनुमान के अनुसार साइबर हमलों से दुनियाभर को 2019-2023 के बीच 5200 अरब डॉलर का नुकसान पहुंचा होगा। क्रिप्टो करेंसी का इस्तेमाल-इसे रोकने और पहचान करने की प्रक्रिया को और जटिल बनाती है।’’
गृह मंत्री ने यह भी सुझाव दिया कि सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के आपराधिक इस्तेमाल पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के अनुरूप, साक्ष्यों का शीघ्र संरक्षण, जांच और समन्वय आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि आने वाली प्रौद्योगिकियों से निपटने के लिए ‘कम्प्यूटर इंमजेंसी रिस्पॉन्स टीम्स’ (सीईआरटीएस) को मजबूत बनाने की आवश्यकता है।
गृह मंत्री ने कहा कि डिजिटल करेंसी से जुड़े साइबर अपराधों के बढ़ने से इस प्रकार की आर्थिक अनियमितताओं को रोकने के लिए देशों के बीच एक ‘‘समर्पित साझा उपाय’’ की जरूरत है।
साइबर अपराधियों से निपटने के लिए देश के कदमों का जिक्र करते हुए शाह ने कहा कि भारत ने सामान्य पहुंच वाले ‘डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर मॉडल’ स्थापित किए हैं जो आज दुनिया में उदाहरण बन गए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत ने डिजिटल पहचान के लिए आधार मॉडल, तेजी से भुगतान के लिए यूपीआई मोड, डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क (ओएनडीसी, और ओपन हेल्थ सर्विस नेटवर्क) आदि विकसित किए हैं।
दुनिया को आज सूचना तथा वित्त के प्रवाह को सुविधाजनक बनाने की खातिर डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के लिए एक नए मॉडल की आवश्यकता है। इससे दुनिया के देशों को अपने नागरिकों को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने में मदद मिलेगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘देश के सभी थानों में अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क और प्रणाली (सीसीटीएनएस) लागू की गई है। भारत सरकार ने साइबर अपराध के खिलाफ व्यापक रूप से कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए भारतीय साइबर-अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) की स्थापना की है।’’
शाह ने कहा कि भारत ने साइबर सुरक्षा के लिए दुनिया का सबसे बड़ा प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है और ये ऑनलाइन पाठ्यक्रम मंच ‘सीवाई ट्रेन’ पोर्टल के जरिए चलाया जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा लक्ष्य साइबर सुरक्षित विश्व बनाना है न कि साइबर नाकाम विश्व। हम साथ मिलकर सभी के लिए एक सुरक्षित और समृद्ध डिजिटल भविष्य सुनिश्चित करते हुए इन प्रौद्योगिकियों की क्षमता का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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