Friday, May 9, 2025
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खाड़ी में सुरक्षा मजबूत करने के मुद्दे पर नालंदा विश्वविद्यालय में सेमिनार

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मो. महमूद आलम/नालंदा. एशिया में समुद्री व्यवस्था को एक बार फिर प्रभावित करने की क्षमता के साथ बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में भू-आर्थिक, भू-राजनीतिक और भू-सांस्कृतिक गतिविधियों में वृद्धि हो रही है. खाड़ी में रुचि रखनेवाले सभी लोगों के लिए कनेक्शन और मंच बनाकर, नालंदा विश्वविद्यालय ने नवंबर 2023 में छठे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन से पहले सेमिनार की शृंखला शुरू की है. सकारात्मक उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए एक ज्ञान मार्ग बनाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है. विश्वविद्यालय का लक्ष्य खाड़ी में चुनौतियों और अवसरों के बारे में जनता में अधिक जागरूकता लाकर उसे संवेदनशील बनाना है.

हाइब्रिड मोड में आयोजित यह संगोष्ठी समुद्री सुरक्षा पहलू को मजबूत करने पर केंद्रित थी. कोलोक्वियम के संयोजक डॉ. राजीव रंजन चतुर्वेदी ने कहा कि खाड़ी प्राकृतिक संसाधनों की असीमित दोहन और भू-राजनीतिक साजिश के कारण उत्पन्न एक अभूतपूर्व संकट का सामना कर रही है. इससे विनाशकारी परिणामों के साथ पारिस्थितिक, आर्थिक और सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. विश्वविद्यालय के अंतरिम कुलपति प्रो. अभय कुमार सिंह ने जोर दिया कि बिम्सटेक क्षेत्र की समृद्धि और विकास के साथ-साथ कई सुरक्षा मुद्दों का सामना करने के लिए एक महत्वपूर्ण ताकत बन रहा है. वाइस एडमिरल जी अशोक कुमार, पीवीएसएम, एवीएसएम, वीएसएम (सेवानिवृत्त), भारत के पहले राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा समन्वयक और राजदूत सीएसआर राम, संयुक्त सचिव (बिम्सटेक और सार्क), विदेश मंत्रालय भारत सरकार का उन्होंने हार्दिक आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि भारत सरकार के दो बहुत वरिष्ठ प्रतिनिधियों की भागीदारी और उपस्थिति इस बात का द्योतक है कि हमारी सरकार खाड़ी क्षेत्र को कितना महत्व देती है.

संगोष्ठी में महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी के कुलपति प्रोफेसर संजय श्रीवास्तव, बंगाल की खाड़ी कार्यक्रम-अंतर सरकारी संगठन के निदेशक डॉ. पी कृष्णन, साउथ एशिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर संजय चतुवेर्दी न भी अपनी बात रखी. प्रो. श्रीवास्तव ने भारत के लिए खाड़ी के महत्व पर प्रकाश डाला और क्षेत्रीय सुरक्षा जटिल प्रणाली पर चर्चा की. भारत को एक नेट सुरक्षा प्रदाता के रूप में देखा. डॉ. कृष्णन ने गैर-पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित किया और बहुआयामी दृष्टिकोण पर जोर दिया. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कानूनी व्यवस्था को मजबूत करने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया. प्रो. चतुर्वेदी ने समुद्री सुरक्षा को उप-क्षेत्रीय बनाने की अनिवार्यताओं अवसरों और चुनौतियों पर बात की और रेखांकित किया कि भारत को इस क्षेत्र में ‘ज्ञान प्रदाता’ की भूमिका निभाने और हार्डवेयर के साथ-साथ सॉफ्टवेयर साझा करने के माध्यम से भागीदार देशों की क्षमता बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया.

Tags: Bihar News, Local18, Nalanda news

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