पाकुड़। झारखंड में ग्रामीण विकास मंत्री डॉ. इरफान अंसारी से मुलाकात के दौरान पाकुड़ के जनसमस्याओं को लेकर गंभीर चर्चा की गई। इस मुलाकात में झामुमो केंद्रीय समिति के पूर्व सदस्य शाहिद इक़बाल ने प्रोजेक्ट भवन, रांची में मंत्री से बातचीत की और पाकुड़ की प्रमुख समस्याओं पर ध्यान आकृष्ट कराया। उन्होंने खास तौर से मास्टर सोबरन मांझी पुस्तकालय के कर्मचारियों के वेतन के मुद्दे पर चर्चा की, जो पिछले कई महीनों से लंबित है।
मास्टर सोबरन मांझी पुस्तकालय के कर्मचारियों की वेतन समस्या
शाहिद इक़बाल ने बताया कि मास्टर सोबरन मांझी पुस्तकालय में कार्यरत कर्मचारियों को पिछले 10 महीनों से मानदेय नहीं मिला है। इसका मुख्य कारण सरकार द्वारा फंड का आवंटन नहीं होना है, जिसके चलते न केवल पाकुड़, बल्कि पूरे झारखंड के पुस्तकालयों में कार्यरत कर्मचारियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। कर्मचारियों के लिए परिवार का भरण-पोषण करना बेहद मुश्किल हो गया है, खासकर जब त्योहारी सीजन नजदीक है।
ग्रामीण विकास मंत्री ने दिए कार्रवाई के निर्देश
इस मुद्दे पर चर्चा करते हुए शाहिद इक़बाल ने ग्रामीण विकास मंत्री डॉ. इरफान अंसारी को एक आवेदन भी सौंपा, जिसमें उन्होंने इस समस्या का समाधान करने का आग्रह किया। मंत्री ने तुरंत संबंधित विभागीय सचिव से फोन पर बातचीत की और निर्देश दिए कि इस मामले में आवश्यक कार्रवाई की जाए ताकि कर्मचारियों को जल्द से जल्द उनका भुगतान मिल सके।
शिक्षा विभाग से भी की गई अपील
शाहिद इक़बाल ने यह भी बताया कि वे शिक्षा मंत्री बैद्यनाथ राम, शिक्षा सचिव, और शिक्षा निदेशक से मिलकर इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा कर चुके हैं। उन्होंने शिक्षा विभाग से भी इस विषय पर जल्द से जल्द कार्रवाई करने का आग्रह किया है। उनके अनुसार, यह समस्या कई महीनों से बनी हुई है, और अब इसे और लंबा खींचना कर्मचारियों के हित में नहीं होगा।
पुस्तकालय का ऐतिहासिक महत्व
गौरतलब है कि मास्टर सोबरन मांझी पुस्तकालय का नाम झामुमो के केंद्रीय अध्यक्ष दिशोम गुरु शिबू सोरेन के पिता के नाम पर रखा गया है। यह पुस्तकालय झारखंड के सांस्कृतिक और बौद्धिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता है, और इसके संचालन में व्यवधान आने से न केवल पुस्तकालय के कर्मचारियों को, बल्कि पुस्तकालय से जुड़े छात्रों और शोधार्थियों को भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
समाधान की उम्मीद
इस चर्चा के बाद यह उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही झारखंड सरकार इस मामले में आवश्यक कदम उठाएगी। शाहिद इक़बाल ने इस मुद्दे को मंत्री और संबंधित अधिकारियों के समक्ष पूरी गंभीरता से उठाया है, और अब सभी की निगाहें सरकार द्वारा उठाए जाने वाले कदमों पर टिकी हैं।