पूर्व केंद्रीय मंत्री और जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव पंचतत्व में विलीन हो गए। नर्मदापुरम जिले के माखननगर में स्थित उनके पैतृक गांव आंखमऊ में शनिवार को उनका अंतिम संस्कार में किया गया। शरद यादव को उनकी बेटी शुभांगिनी और बेटे शांतनु ने मुखाग्नि दी। इससे पहले उन्हें पुलिस ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया।
आज सुबह दिल्ली से चार्टर्ड विमान के जरिए शरद यादव के पार्थिव देह को भोपाल लाया गया, जहां मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने श्रद्धांजलि दी। दोपहर तीन बजे पार्थिव देह भोपाल एयरपोर्ट से उनके पैतृक गांव आंखमऊ पहुंचा। साथ ही मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी आंखमऊ तक साथ आए। बता दें, दिग्विजय सिंह ने जब नर्मदा परिक्रमा की थी, उस वक्त शरद यादव भी उनकी परिक्रमा में शामिल हुए थे। शरद यादव का गुरुवार को 75 साल की उम्र में दिल्ली के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया था।
शरद यादव ने नैतिकता की राजनीति की…
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, वो अचानक चले गए। मेरे तो वो पड़ोसी थे। मेरा गांव नर्मदा के इस पार था, उनका गांव नर्मदा के उस पार था। बचपन से प्रखर और जुझारू थे। अन्याय के खिलाफ लड़ने वाले शरद भाई छात्र जीवन में ही राष्ट्रीय राजनीति में छा गए थे। जेपी के आंदोलन के प्रमुख स्तंभ थे। वे जेल में रहते हुए चुनाव जीते। भारत की राजनीति पर छा गए। उन्होंने 80-90 के दशक में राष्ट्रीय राजनीति की दशा बदली।
उन्होंने कहा कि शरद यादव ने मंडल कमीशन लागू कराने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका थी। समाज के कमजोर और पिछड़े वर्ग के कल्याण के लिए उन्होंने अपने जीवन को होम दिया था। वह ऐसे नेता थे कि जो गलत होता था, उसका विरोध करते थे। उन्होंने नैतिकता की राजनीति की। जब इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाई और संसद का कार्यकाल छह साल कर दिया था, तब शरद यादव ने संसद से इस्तीफा देकर कहा था कि जनता ने हमें पांच साल के लिए चुना है, छह साल के लिए नहीं।